उत्तर प्रदेश में छोटे मकानों के लिए मची दौड़ के आगे सरकारी आवासीय संस्थाओं के बन रहे बड़े मकानों की ओर किसी को ध्यान देने की फुरसत नहीं है।
आवास और विकास परिषद की बड़े जोर शोर से शुरु की गयी स्ववित्त पोषित योजना के लिए खरीदारों का टोटा है। महंगे दामों पर बिक रहे इन मकानों को खरीदने के लिए गिनती के लोग ही आगे आ रहे हैं। हालांकि छोटे मकानों को लेकर लोगों में अभी भी उत्साह है और वे इसे हाथों हाथ ले रहे हैं।
वहीं कांशीराम आवास योजना के तहत शुरू की गयी सस्ते दरों की आवासीय योजना के लिए इतनी मार मची है कि इसकी अंतिम तारीख को बढ़ाना पड़ा है। कांशीराम शहरी गरीब आवासीय योजना में पंजीकरण के लिए मारा-मारी को देखते हुए इसकी अंतिम तारीख 31 जनवरी से बढ़ाकर 10 फरवरी कर दी गयी है।
आवास विकास परिषद ने पिछले महीने की 19 तारीख से रायबरेली रोड योजना की वृंदावन योजना और हरदोई रोड की आम्रपाली योजना में स्ववित्त पोषित योजना के तहत 576 मकानों का पंजीकरण खोला था। इन योजनाओं में आवेदक को 14 लाख से लेकर 35 लाख रुपये तक की कीमत के मकान मिलने थे। आवेदन की अंतिम तारीख 14 फरवरी रखी गयी है।
परिषद के अधिकारियों का कहना है कि 576 मकानों के लिए अब तक 300 आवेदन भी नहीं मिले हैं ऐसे में लगता है कि लोगों की रुचि महंगे मकान खरीदने में नहीं रही है। इन मकानों के पंजीकरण फॉर्म तो 300 रुपये के हैं ही, साथ ही इनमें 70,000 से लेकर 1.75 लाख रुपये तक के ड्राफ्ट भी जमा कराए जा रहे हैं।
बीते सप्ताह ही 31 जनवरी को कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के लिए पंजीकरण समाप्त होने वाला था। तब तक इस योजना के 1500 मकानों के लिए 35,000 आवदेन आ चुके थे। जनता की बेहद मांग पर इस योजना के पंजीकरण की तारीख को अब बढ़ाकर 10 फरवरी कर दिया गया है।
उप आवास आयुक्त लक्ष्मण प्रसाद के मुताबिक कांशीराम योजना में कई लोगों के फॉर्म अवकाश होने के चलते जमा नहीं हो पाए थे। इसलिए योजना में फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख को आगे बढ़ाना पड़ा। इस योजना के फॉर्मों की कीमत केवल 50 रुपये ही है।
दूसरी ओर प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद की महंगी योजना में भीड़ न जुटने से यह साफ हो गया है कि लोगों की रुचि ज्यादा कीमत देकर मकान लेने में नही है।
आवास विकास की इस परियोजना से पहले जब लखनऊ विकास प्राधिकरण ने रिवर व्यू अपार्टमेंट के लिए पंजीकरण खोला था तो वहां भी महंगी कीमत वाले 30 लाख रुपये के 4 शयनकक्ष के मकानों को लेने के लिए अपेक्षा से कम लोग आगे आए और हार कर प्राधिकरण को कहना पड़ा कि जितने आवेदक हैं उन सभी को मकान बना कर दिए जाएंगे और महंगे मकानों के लिए लॉटरी का सिस्टम नहीं रखा जाएगा।
