पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए पंजाब के फोर्जिंग, हस्त उपकरण निर्माता और ऑटो उद्योग ने कार्बन के्रडिट नियामक अपनाने का फैसला किया है।
इन उद्योगों से ही ओजोन, कार्बन-डाइ-ऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों का सबसे ज्यादा उत्सर्जन होता है। इन उद्योगों को उम्मीद है कि इन्हें जल्द ही संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन प्रारूप संधि (यूएनएफसीसीसी) से अप्रैल तक इसकी अनुमति भी मिल जाएगी। दरअसल अप्रैल में ही इन उद्योगों को विश्व बैंक के साथ कार्बन के्डिट के लिए बिक्री करार भी करना है।
सभी उद्यमी अपने बचे हुए क्रेडिट लुधियाना हैंड टूल्स और फोर्जिंग एन्वाइकोर नाम की विशेष उद्देश्य कंपनी (एसपीवी) को बेचेंगे। कंपनी के अध्यक्ष एस सी रलहन ने बताया, ‘पहले से ही लगभग 50 उद्यमी इन कार्बन के्रडिट नियामकों को अपनाने के लिए हामी भर चुके हैं। हमें उम्मीद है कि आने वाले दो महीनों में लगभग 50 और उद्यमी इसके लिए हामी भर देंगे।’
सीओटू गैस के उत्सर्जन कम करने पर एक प्रमाणपत्र दिया जाता है। इसे कंपनी बाकी उत्पादों की तरह कभी भी वायदा कारोबार में बेच सकती है। आमतौर पर विकसित देशों की पावर कंपनियों को ही यह प्रमाणपत्र बेचे जाते हैं।