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जरा हटके होगी वर्जिन मोबाइल की सेवा

Last Updated- December 05, 2022 | 5:27 PM IST

वर्जिन ग्रुप के चेयरमैन रिचर्ड ब्रैनसन की जीवनशैली और काम करने का तरीका दूसरों से अलग है।


 कुछ दिनों पहले जब वह वर्जिन मोबाइल के लॉन्च के मौके पर भारत पहुंचे, तो उनका यही अंदाज देखने को मिला।कंपनी ने भारत के मोबाइल मार्केट के लिए खास रणनीति तैयार की है।


वर्जिन ग्रुप के चेयरमैन रिचर्ड ब्रैनसन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। बिजनेस महारथी होने के अलावा वह अपनी अफलातूनी और मनमौजी हरकतों केलिए भी सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने कभी भी जिंदगी के बने-बनाए ढर्रे पर चलने की कोशिश नहीं की। उनके मुताबिक, शायद जिंदगी को अगर आप इतना सीमित कर दें तो फिर आपके जीवन से रोमांच का अहम तत्व खत्म हो जाता है।


ब्रैनसन शायद इसकी अहमियत बखूबी समझते हैं। इसलिए जब वर्जिन ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन पिछले महीने मुंबई के एक पांचसितारा होटल की छत पर उतरे तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। भारत में वर्जिन मोबाइल ब्रांड को लॉन्च करने का उनका यह अंदाज काफी निराला था। इस मौके पर शेरवानी में मौजूद ब्रैनसैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि अगर हम चीजों को अलग तरीके से नहीं करते हैं तो फिर हमारा ब्रांड सफल नहीं होगा।


ब्रैनसन को उम्मीद है कि वर्जिन मोबाइल के लॉन्च के मौके पर उनका यह दिलचस्प अंदाज उपभोक्ताओं में ऐसी ही दिलचस्पी पैदा करने में कामयाब होगा। भारत के मोबाइल सेवा बाजार में पहले से ही काफी जमघट है। ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में बाजार में मौजूद सीडीएमए और जीएसएम खिलाड़ी 25 करोड़ उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएं मुहैया करा रहे हैं।


मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली इन कंपनियों को यहां अपने ब्रांड का निर्माण करने में करीब 10 साल लग गए। इसके मद्देनजर वर्जिन मोबाइल का भारत में अपनी जड़ें जमाने के लिए सिर्फ सस्ती सेवा और विज्ञापन अभियान जैसे कदमों से काम नहीं चलेगा। यहां सवाल यह पैदा होता है कि भारतीय मोबाइल मार्केट के लिए वर्जिन की क्या योजना है?


नफा नुकसान का जायजा


भारत के मोबाइल बाजार में पहले से कई कंपनियां मौजूद हैं। बहरहाल यह अब भी काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसलिए वर्जिन मोबाइल के लिए कहीं खुशी तो कहीं गम जैसी स्थिति है। पहले हम मुश्किलों की बात करते हैं। भारत के शहरी इलाकों में मोबाइल की पहुंच का दायरा 40 फीसदी से भी ज्यादा है,(मैनेजमेंट कंस्लटेंसी बोस्टन ग्रुप के आंकड़ों के मुताबिक) लेकिन मोबाइल का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता किसी नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।


नंबर पोर्टेबिलिटी की सुविधा के अभाव में वर्जिन के लिए इन उपभोक्ताओं को अपनी सेवाएं लेने के लिए राजी करना काफी मुश्किल होगा। नंबर पोर्टेबिलिटी के तहत सर्विस प्रदाना कंपनी के बदलने के बावजूद नंबर नहीं बदलने का प्रावधान होता है।अब हम अच्छी खबर की ओर चलते हैं? वर्जिन को भारत में सेवा मुहैया करा रहीं बड़ी कंपनियां की तरह हर शख्स को इसके लिए राजी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।


ब्रैनसन ने पिछले महीने ऐलान किया था कि उनकी कंपनी का मकसद किसी भी तरह उपभोक्ता बनाना नहीं है। कंपनी का यह भरोसा इस बात से पैदा होता है कि वर्जिन का बिजनेस मॉडल दूसरी कंपनियों से बिल्कुल अलग है। एक ओर जहां अन्य मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां अपने नेटवर्क के जरिये सेवाएं मुहैया कराती हैं, वहीं दूसरी ओर वर्जिन टाटा टेलिसर्विसेज के नेटवर्क के जरिये अपनी सेवाएं मुहैया कराएगी।


वर्जिन का टाटा की इस इकाई के साथ ब्रांड फ्रैंचाइज करार है। इसका मतलब यह हुआ कि भारती एयरटेल और रिलायंस की तरह वर्जिन को अपना नेटवर्क खड़ा करने के लिए बड़ी पूंजी नहीं निवेश करनी होगी। मसलन विश्लेषकों का कहना है कि वर्जिन जैसे छोटे खिलाड़ी को अपने नेटवर्क के तहत 6 हजार से 8 हजार करोड़ रुपये सालाना निवेश करने होंगे, जबकि वर्जिन का टाटा के साथ राजस्व हिस्सेदारी संबंधी करार होगा।


यानी टाटा टेलिसर्विसेज के नेटवर्क के इस्तेमाल के लिए वर्जिन उसे अपनी कमाई का एक तय हिस्सा देगी। हालांकि इस बिजनेस मॉडल पर अब तक भारत में कोई तय मानदंड नहीं है। सेल्युलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया ने दूरसंचार विभाग को पत्र लिखकर वर्जिन मोबाइल के ऑपरेशनल स्टेटस के बारे में सफाई मांगी है।


वर्जिन मोबाइल के लॉन्च के मौके पर कंपनी के अधिकारी चिंतित मुद्रा में बता रहे थे कि टाटा टेलिसर्विसेज के साथ समझौते को मोबइल वर्चुअल नेटवर्क  ऑपरेटर (एमवीएनओ) के रूप में नहीं देखना चाहिए। यह एक ब्रैंड फ्रैंचाइजी मॉडल है। गौरतलब है कि भारत में एमवीएनओ की अनुमति नहीं है।


युवाओं का नेटवर्क


वर्जिन मोबाइल की प्रतिद्वंद्वी कंपनियां जहां उसकी कमजोर नस को पकड़ने में जुटी हैं, वहीं कंपनी इससे बेपरवाह अपनी योजना पर आगे बढ़ने में जुटी है। ब्रैनसन का कहना है कि भारत में टेलिकॉम सर्विस मुहैया करा रहीं वर्तमान सारी कंपनियां एक रणनीति के तहत काम कर रही हैं। इन कंपनियों का मकसद कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ता बनाना है। ब्रैनसन के मुताबिक, वर्जिन का इरादा किसी खास तबके को ध्यान में रखकर उसके काम की ज्यादा से ज्यादा सेवाएं मुहैया कराना है।


यह खास तबका है भारतीय युवा। भारत में 14 से 25 साल के युवाओं की तादाद तकरीबन 21 करोड़ 50 लाख है। इनमें 7 करोड़ के पास मोबाइल है। वर्जिन के अधिकारियों को अगले 3 साल में इस आयु वर्ग के मोबाइल उपभोक्ताओं में 5 करोड़ की और बढ़ोतरी की उम्मीद है। सवाल यह है कि यह सेगमेंट इतना अहम क्यों है? दरअसल मोबाइल का इस्तेमाल करने में युवाओं की भागीदारी 30 फीसदी है, जबकि मोबाइल से प्राप्त होने वाले राजस्व में इनका हिस्सा 50 फीसदी से भी ज्यादा है।


2007-08 में टेलिकॉम इंडस्ट्री को इस तबके से प्राप्त होने वाले राजस्व की राशि 50 हजार करोड़ रुपये है। वर्जिन को 2010 का अपना रेवेन्यू 35 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा पहुंच जाने की उम्मीद है। अगले 3 साल में वर्जिन मोबाइल को इस सेगमेंट के बढ़ते बाजार ( 5 करोड़ उपभोक्ता) के 10 फीसदी हिस्से पर कब्जा करने की योजना है। कंपनी ने इसके लिए खास रणनीति तैयार की है।


कंपनी के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर प्रसाद नरसिम्हन कहते हैं कि युवा मोबाइल फोन का इस्तेमाल अलग अंदाज में करते हैं और यह कंपनी के लिए काफी कारगर साबित होगा। वर्जिन मोबाइल ने लॉन्च से पहले मोबाइल उपभोक्ताओं की आदतों पर एक सर्वे भी कराया था। इसमें युवा मोबाइल उपभोक्ताओं की आदत संबंधी कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आईं। इसके तहत युवाओं में काफी लंबे समय तक बात करने की प्रवृत्ति पाई गई। इसका मतलब यह हुआ कि इनका मोबाइल बिल काफी ज्यादा होगा।


इसके अलावा इन दोस्तों की भी लंबी फेहरिस्त होती है, जो किसी खास शख्स ही नहीं पूरे ग्रुप से राजस्व के लिए बड़ा अवसर प्रदान करता है। इसके तहत पूरे ग्रुप एक ही सेवा प्रदाता कंपनी में शामिल करने के लिए लुभाया जा सकता है। साथ ही क्लोजर यूजर ग्रुप और अन्य उपायों के जरिये कस्टमाइज्ड सर्विसेज की भी योजना शुरू की जा सकती है।


भारत के युवा एसएमएस और अन्य वैल्यू ऐडेड सर्विसेज (वैस) के लिए भी काफी अहम हैं। 2007 में वैस का बाजार 4,800 करोड़ रुपये से भी ज्यादा था, जबकि कुल राजस्व में एसएमएस का हिस्सा 40 फीसदी से भी ज्यादा है।  इसके बाद रिंगटोन का भी राजस्व में अहम हिस्सा है।


युवा (25 साल से कम उम्र वाले) उपभोक्ता अपने हैंडसेट को भी जल्दी-जल्दी बदलते हैं। ये लोग अममून सालभर के बाद अपना हैंडसेट बदल लेते हैं, जबकि 25 साल से ज्यादा आयु वर्ग के लोग सामान्यतया 2 साल के बाद अपना हैंडसेट बदलते हैं।
 
ग्राहकों के दिल को देखो


संभावित उपभोक्ताओं की पहचान करने में वर्जिन मोबाइल के पास कोई दुविधा नहीं है। इसके मद्देनजर कंपनी की ऐसी स्कीम लाने की योजना है, जो ग्रुप की प्राथमिकताओं के मुताबिक हो। मसलन युवाओं द्वारा हैंडसेट बदलने का ट्रेंड कंपनी के लिए संभावित परेशानी है। लोगों द्वारा बार-बार हैंडसेट का बदलना जीएसएम टेक्नोलोजी के लिए ज्यादा फायदेमंद है।


सीडीएमए टेक्नोलोजी (टाटा टेलिसर्विसेज और वर्जिन इसी की सेवाएं मुहैया करा रहे हैं) में सिमकार्ड हैंडसेट से ही जुड़ा होता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप हैंडसेट बदल रहे हैं तो आपको नया कनेक्शन लेना पड़ेगा यानी आपका वास्ता नए नंबर से होगा। वर्जिन मोबाइल ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। कंपनी ने सीडीएमए फोन को आरयूआईएम टेक्नोलोजी से जोड़ा है। इस टेक्नोलोजी के तहत अपना नबंर बदले बगैर नया हैंडसेट इस्तेमाल कर सकते हैं।


आजकल लोग हैंडसेट की कीमत को लेकर भी काफी सजग नजर आते हैं। युवाओं के पास आय का कोई सुनिश्चित जरिया नहीं होता है और इसके मद्देनजर उन्हें ऐसा हैंडसेट चाहिए, जो उनकी जेब के काफी अनुकूल हो। हालांकि वे टेक्नोलोजी और फोन के लुक से कोई समझौता नहीं करना चाहते। वर्जिन मोबाइल ने अपने हैंडसेट को तैयार करने में इन सारी बातों का खासा ख्याल रखा है। इसके मॉडल वीकेव्ल की कीमत 3,999 रुपये है, जबकि वीब्लिंग की कीमत 2,500 रुपये है।


ये कीमतें इस कैटिगरी में अन्य कंपनियों के हैंडसेट के मुकाबले आधी हैं। नरसिम्हन कहते हैं कि वर्जिन के हैंडसेट स्टाइल, टेक्नोलोजी और कीमतों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं।


लॉन्च से पूर्व वर्जिन द्वारा किए गए आकलन के मुताबिक, 95 फीसदी युवा प्रीपेड सेवा इस्तेमाल करते हैं। महीने के आखिर तक पहुंचते-पहुंचते इनकी टॉक टाइम और पैसे दोनों खत्म हो जाते हैं। वर्जिन ने इसके लिए भी नायाब तरीका ढूंढ निकाला है। कंपनी कॉल रिसीव करने पर उपभोक्ताओं को क्रेडिट देगी। इसके तहत कंपनी प्रति 1 मिनट के रिसिविंग कॉल पर 10 पैसे की क्रेडिट देगी। और तो और इसके लिए यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि यह कॉल वर्जिन के नेटवर्क से आई हो।


अगर आप किसी दूसरे नेटवर्क से भी भी कॉल रिसीव करते हैं तो आपको यह फायदा मिलेगा। वर्जिन मोबाइल की प्रतिद्वंद्वी कंपनियां इसके बहुत ज्यादा प्रभावकारी नहीं होने की बात कहकर इसे खारिज कर देते हैं, लेकिन नरसिम्हन इन आलोचनाओं से बेपरवाह हैं। वह कहते हैं कि यह हमारे बिजनेस और उपभोक्ताओं दोनों के लिए काफी फायदेमंद होगा।


फोन नहीं दोस्त कहिए


इन लुभावने ऑफरों को तैयार करने से पहले वर्जिन मोबाइल की विज्ञापन एजेंसी बेट्स डेविड एंटरप्राइज (बीडीई) ने युवा उपभोक्ताओं की जिंदगी में मोबाइल की भूमिका के बारे में बाकायदा अध्ययन किया। बीडीई के उपाध्यक्ष (स्ट्रैटजिक प्लानिंग) धीरज शर्मा ने बताया कि युवाओं का यह तबका आजादी की नई परिभाषा गढ़ने में लगा है।


वह एक उदारण के जरिये इसे समझाने की कोशिश करते हैं। मसलन मोबाइल फोन युवाओं को देर रात तक घर से बाहर रहने में मदद करता है। इसकी वजह से उनके माता-पिता काफी निश्चिंत रहते हैं और उन्हें लगता है कि उनके बच्चे की दूरी महज एक फोन कॉल है।


बीडीई के कार्यकारी उपाध्यक्ष संदीप पाठक कहते हैं कि आजकल की पीढ़ी के लिए सारी चीजें काफी आसानी से उपलब्ध हैं। ऐसी परिस्थति में हमारी चुनौती एक ऐसी जरूरत की खोज करने की थी, जिसे वर्जिन मोबाइल पूरा कर सके।


अपने 2 हफ्तों के लॉन्च अभियान में वर्जिन मोबाइल ने दो व्यावसायिक विज्ञापन प्रसारित किए, जिसमें युवाओं को मुश्किल परिस्थतियों से उबारने की बात कही गई है। पहले विज्ञापन में एक लड़की यह कहकर अपने माता-पिता को चौंका देती है कि मर्दों में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है। वह अपने माता-पिता के सामने अपने पुरुष मित्र का फोन यह कहकर काट देती है कि वह उसके साथ गोवा नहीं जाना चाहती।


इस बात को सुनकर उसके माता-पिता आश्चर्य में पड़ जाते हैं और वह अपनी बेटी पर गोवा जाने के लिए दबाव डालते हैं। लड़की यही चाहती थी और उसका यह प्रयोग सफल रहा।दूसरे विज्ञापन में एक नौजवान ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ा जाता है। जब पुलिस के सामने नौजवान को इसके लिए अपने पिता की डांट सुननी पड़ती है तो उसे लेकर पुलिस वाले का रवैया काफी सहानूभूतिपूर्ण हो जाता है।


बाद में पता चलता है कि पिता के रूप में बात कर रहा शख्स उस लड़के के साथ कॉलेज में पढ़ता है। दोनों विज्ञापनों में मोबाइल फोन एक छोटी सी भूमिका में है। इसमें टैरिफ प्लान का कोई जिक्र नहीं है। 


हालांकि कंपनी की टैगलाइन ‘थिंक हटके’ को काफी अच्छे तरीके से पेश किया गया है। नरसिम्हन कहते हैं कि भविष्य में आने वाले विज्ञापन स्कीमों की बात करेंगे। मसलन रिसीव कॉल के बदले पाएं पैसे आदि। वर्जिन मोबाइल के लॉन्च के मौके पर ब्रैनसन तो सुरक्षित उतर गए थे, लेकिन कंपनी की सुरक्षित लैंडिंग के लिए अभी सफर बाकी है।

First Published - April 1, 2008 | 12:38 AM IST

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