भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और स्टॉक एक्सचेंजों ने स्टॉक ब्रोकरों पर लगाए जाने वाले जुर्माने की रूपरेखा को तर्कसंगत और मानकीकृत कर दिया है। 10 अक्टूबर को जारी इस संशोधित रूपरेखा का उद्देश्य ब्रोकरेज फर्मों के लिए एकरूपता लाना, दोहराव कम करना और प्रतिष्ठा संबंधी जोखिमों को सीमित करना है।
मौजूदा ढांचे के अंतर्गत, समान टिप्पणियों के लिए जुर्माने अक्सर विभिन्न एक्सचेंजों में अलग अलग होते हैं तथा कई एक्सचेंजों में सदस्यता वाले ब्रोकरों को एक ही मुद्दे के लिए एक से अधिक बार दंडित किया जा सकता है।
इस प्रणाली की समीक्षा के लिए, सेबी ने एक्सचेंजों और ब्रोकर एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों वाला एक कार्य समूह गठित किया था। इस समूह की सिफारिशों को अब नए ढांचे में शामिल कर लिया गया है।
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संशोधित ढांचे के तहत कई एक्सचेंजों में होने वाले उल्लंघनों के लिए केवल एक प्रमुख एक्सचेंज द्वारा ही जुर्माना लगाया जाएगा, जिससे कई जुर्माने का जोखिम समाप्त हो जाएगा। इसके अलावा, अनावश्यक प्रतिष्ठा पर पड़ने वाले प्रभाव से बचने के लिए मामूली प्रक्रियात्मक या तकनीकी चूक के लिए ‘पेनाल्टी’ शब्द के स्थान पर ‘फाइनैंशियल डिसइंसेंटिव’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
अन्य बदलावों में पहली बार प्रक्रियागत चूक के लिए मौद्रिक दंड के स्थान पर परामर्श या चेतावनी देना, जुर्माना राशि में कमी और कुछ उल्लंघनों के लिए अधिकतम सीमा लागू करना, 40 प्रकार के उल्लंघनों पर दंड हटाना और अन्य को युक्तिसंगत बनाना शामिल है।
सेबी और एक्सचेंजों ने कुल 235 जुर्माना संबंधित मदों की समीक्षा की। इनमें से, 105 मामूली उल्लंघन अब वित्तीय निरुत्साहन (फाइनैंशियल डिसइंसेंटिव्स) के रूप में माने जाएंगे, जबकि केवल 90 उल्लंघनों पर ही जुर्माना बरकरार रहेगा। इनमें से 36 में बदलाव किया गया है, पहली बार अपराध करने पर सात को एडवाइजरी के साथ बदला गया है, छह की सीमा तय की गई है और 12 नए जुर्माने पेश किए गए हैं।
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नया फ्रेमवर्क चल रही प्रवर्तन कार्यवाहियों पर भी लागू होगा, जिससे स्टॉक ब्रोकरों को तत्काल राहत मिलेगी।