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कोटक ने सिल्वर ETF फंड ऑफ फंड्स में निवेश अस्थायी रूप से रोका, निवेशकों को दी नई सलाह!

कोटक म्युचुअल फंड ने सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड्स में निवेश अस्थायी रूप से रोका, निवेशकों को सीधे ईटीएफ या वायदा में निवेश करने की सलाह दी

Last Updated- October 10, 2025 | 9:42 PM IST
Nilesh Shah,
कोटक महिंद्रा एएमसी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह | फाइल फोटो

सोने और चांदी की कीमतों में भारी उछाल के बीच कोटक म्युचुअल फंड ने अपने कोटक सिल्वर ईटीएफ फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) में एकमुश्त और स्विच-इन निवेश को अस्थायी रूप से रोकने की घोषणा की है। कोटक महिंद्रा एएमसी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने पुनीत वाधवा को फोन पर दिए साक्षात्कार के  मुख्य अंश…

कोटक एमएफ ने सिल्वर ईटीएफ एफओएफ में एकमुश्त और स्विच इन निवेश पर रोक लगा दी है। अचानक उठाए गए इस कदम के पीछे क्या तर्क है?

कीमतों के समीकरण के आधार पर रोकने का निर्णय लिया गया। ईटीएफ की कीमत वैश्विक चांदी की कीमतों से जुड़ी है जिसे रुपये में बदला जाता है, उसमें आयात शुल्क और जीएसटी जोड़ा जाता है। मान लीजिए वैश्विक कीमत 50 डॉलर प्रति औंस है। 90 रुपये प्रति डॉलर के हिसाब से यह 4,500 रुपये होती है। करीब 7 फीसदी आयात शुल्क और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) जोड़ने पर उचित मूल्य मोटे तौर पर  करीब 5,000 रुपये प्रति औंस होता है।

लेकिन हाजिर बाजार में जौहरी और सराफा कारोबारी चांदी की कीमत करीब 5,500 रुपये प्रति औंस मांग रहे हैं। ऐसा इसलिए कि वर्तमान में भौतिक चांदी की किल्लत है, इसकी वजह शिपमेंट में देरी, शॉर्ट कवरिंग या त्योहारी सीजन की मांग हो सकती है। अक्सर ऐसे प्रीमियम बहुत कम होते हैं (आमतौर पर करीब 0.5 फीसदी), न कि 10 फीसदी। गुरुवार को प्रीमियम करीब 12 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इसलिए जब निवेशक मेरा सिल्वर ईटीएफ खरीदते हैं तो वे प्रभावी रूप से 5,000 रुपये के बजाय 5,500 रुपये का भुगतान कर रहे होते हैं। चूंकि मेरा फंड ऑफ फंड्स उस ईटीएफ में निवेश करता है, इसलिए निवेशकों को उचित आयात सम मूल्य से 10 फीसदी अधिक भुगतान करना पड़ता है। 

सोने और चांदी की कीमतों में तेजी को देखते हुए क्या आपको संबंधित योजनाओं में रीडम्पशन के दबाव की आशंका है?

हमारे फंड ऑफ फंड्स को चांदी के वायदा कारोबार में निवेश की अनुमति नहीं है, वह केवल चांदी के ईटीएफ में निवेश कर सकता है। इसलिए हमारे पास नई खरीदारी रोकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था वरना निवेशक 10 फीसदी प्रीमियम पर निवेश करते। हम निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि अगर वे चांदी में निवेश करना चाहते हैं तो वे सीधे चांदी के ईटीएफ खरीद सकते हैं या चांदी के वायदा कारोबार में उन कीमतों पर निवेश कर सकते हैं जो हमारे फंड ऑफ फंड्स में निवेश करने की तुलना में 10 फीसदी सस्ती हैं। 

क्या चांदी की आपूर्ति की किल्लत कृत्रिम रूप से सृजित की गई है या फिर वास्तव में कमी है?

यह एक अस्थायी दौर है। वस्तुओं को हमेशा अपना संतुलन मिल जाता है। जब हंट ब्रदर्स ने 1980 के दशक में चांदी की कीमतें 50 डॉलर तक पहुंचा दी थीं तो लोगों ने चांदी के बर्तन पिघलाने शुरू कर दिए और अंततः आपूर्ति बहाल हो गई। इसलिए ऐसे प्रीमियम ज्यादा समय तक नहीं टिकते।

पिछले कुछ महीनों में सोने और चांदी में तेजी का कारण फंडामेंटल था या ये हवा में ही उछाल था?

सोने या चांदी के मूल्यांकन के लिए कोई पारंपरिक बुनियादी सिद्धांत नहीं हैं। इनका मूल्य धारणा पर होता है। लोग मानते हैं कि इनकी स्टोरेज वैल्यू है और वैश्विक स्तर पर खरीदा-बेचा जा सकता है। इसलिए इन पर प्रीमियम होता है। सोने की कीमतों में तेज़ी 2022 में शुरू हुई जब पश्चिमी देशों ने रूस के विदेशी मुद्रा भंडार को फ्रीज कर दिया। इससे दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने सोना जमा करना शुरू कर दिया, फलस्वरूप कीमतें तेजी से बढ़ी। गरीबों का सोना मानी जाने वाली चांदी ने भी इसका अनुसरण किया। सोने-चांदी का अनुपात ज्यादा बढ़ गया था और चांदी की तो औद्योगिक मांग भी है।

अगस्त में तो यह भी अफवाह उड़ी थी कि सऊदी अरब के केंद्रीय बैंक ने चांदी के ईटीएफ खरीद लिए हैं। तो, इन सभी वजहों से – साथ में कमज़ोर डॉलर और अमेरिका द्वारा रूसी विदेशी मुद्रा भंडार को फ्रीज करना- केंद्रीय बैंक विविधता के लिए प्रवृत्त हुए। वे पिछले तीन सालों से हर वर्ष करीब 1,000 टन सोना खरीद रहे हैं।

इक्विटी, सोना और चांदी में से निवेशकों को अब अपना पैसा कहां लगाना चाहिए?

यह केवल अधिकतम रिटर्न के बारे में नहीं है बल्कि जोखिम प्रबंधन के बारे में भी है। सोने या चांदी का मूल्यांकन करने का कोई बुनियादी तरीका नहीं है और उनकी स्टोरेज वैल्यू मानी जाती है। आपको अपने पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा कीमती धातुओं में नहीं लगाना चाहिए। अगर जोखिम उठाने की क्षमता है तो लगाइए, लेकिन ज्यादातर निवेशकों के लिए मैं सोने और चांदी दोनों में कम आवंटन (10-12 फीसदी) की सलाह देता हूं। तथापि हम दोनों पर आशावादी बने हुए हैं। लेकिन पिछले साल जैसे रिटर्न या रोजाना 3-4 फीसदी की बढ़त की उम्मीद न करें। 

अगले साल आप इक्विटी से किस तरह के रिटर्न की उम्मीद करते हैं? 

रिटर्न आय वृद्धि पर निर्भर करेगा। वित्त वर्ष 2026-27 के लिए हम उच्च एकल से निम्न दोहरे अंकों में आय वृद्धि की उम्मीद करते हैं और निवेशकों को भी इसी तरह के रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए। 

First Published - October 10, 2025 | 9:42 PM IST

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