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मार्वल टेक्नॉलजी की R&D पावर बना भारत, 90% से ज्यादा प्रोडक्ट लाइन में दे रहा योगदान: नवीन बिश्नोई

मार्वल टेक्नॉलजी का भारतीय परिचालन बगैर किसी शोर के 70 अरब डॉलर की सेमीकंडक्टर दिग्गज की वैश्विक अनुसंधान एवं विकास रणनीति का आधार बन गया है

Last Updated- December 03, 2025 | 10:02 PM IST
Navin Bishnoi
डेटा सेंटर इंजीनियरिंग के कंट्री हेड (इंडिया) और एवीपी नवीन बिश्नोई

मार्वल टेक्नॉलजी का भारतीय परिचालन बगैर किसी शोर के 70 अरब डॉलर की सेमीकंडक्टर दिग्गज की वैश्विक अनुसंधान एवं विकास रणनीति का आधार बन गया है। दो दशकों में कंपनी ने अपने भारतीय कर्मचारियों की संख्या लगभग 1,700 तक बढ़ा दी है, जो इसके वैश्विक इंजीनियरिंग कर्मचारियों की संख्या का एक चौथाई है। यह कार्यबल मार्वल की 90 प्रतिशत से अधिक श्रृंखलाओं में योगदान देता है, जिसमें हाइपरस्केल डेटा सेंटरों को शक्ति प्रदान करने वाले एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर चिप्स भी शामिल हैं। पीरजादा अबरार के साथ वीडियो कॉल में डेटा सेंटर इंजीनियरिंग के कंट्री हेड (इंडिया) और एवीपी नवीन बिश्नोई ने बताया कि कैसे भारत एक सहायता केंद्र से एक उत्पाद निर्माण केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। मुख्य अंश …

मार्वल भारत में लगभग दो दशकों से काम कर रही है। यहां आपके कर्मचारियों की संख्या क्या है, निवेश का स्तर क्या है और अगले 2-3 वर्षों में आपकी विस्तार योजनाएं क्या हैं?

जनवरी में, हम मार्वल इंडिया की 20वीं वर्षगांठ मनाएंगे। एक सब कुछ करने वाली कंपनी से एक उद्यम कंपनी बनने की हमारी वैश्विक यात्रा के दौरान, भारत को मजबूत प्रायोजन प्राप्त हुआ। 2017 में हमारे कर्मचारियों की संख्या 100 से भी कम थी। मगर आज हमारे पास

लगभग 1,700 नियमित कर्मचारी हैं और साझेदार संसाधनों को मिलाकर, हमारे कर्मचारियों की संख्या 2,000 को पार कर जाती है। दुनिया भर में हमारे 7,000 कर्मचारी हैं। भारत तेजी से कंपनी के कर्मचारियों की संख्या का लगभग एक-चौथाई बन गया है और हर उत्पाद और तकनीक में अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाता है।

कुछ उत्पाद श्रृंखलाएं वैश्विक बाजार के लिए पूरी तरह से भारत में ही डिजाइन, विकसित और वितरित की जाती हैं। अगले तीन वर्षों में हमारा लक्ष्य इस वृद्धि को बरकरार रखना है। इसमें दक्षताओं को बढ़ाना, टीमों का विस्तार करना और वैश्विक बाजार के लिए उत्पाद तैयार करना शामिल है। हम औसतन 15 फीसदी सालाना वृद्धि दर से बढ़ रहे हैं और उम्मीद है कि यह गति जारी रहेगी। अगले वर्ष हमारे बेंगलूरु और हैदराबाद कार्यालयों का भी विस्तार होगा।

मार्वल के वैश्विक अनुसंधान एवं विकास और उत्पाद नवाचार में अब भारत के जीसीसी की कितनी हिस्सेदारी है? क्या आप दायर किए गए पेटेंट, डिजाइन किए गए चिप्स या भारत से उत्पन्न राजस्व के लिहाज से यहां के योगदान को आंक सकते हैं?

भारत अमेरिका के बाहर हमारा सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास केंद्र है, जो मार्वल के वैश्विक इंजीनियरिंग कार्यबल का एक-चौथाई हिस्सा है। 8 अरब डॉलर के राजस्व और वैश्विक स्तर पर 7,000 कर्मचारियों के साथ भारत हमारे 10 लाख डॉलर प्रति कर्मचारी राजस्व मीट्रिक में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।

उत्पाद में योगदान के लिहाज से अगर देखें तो मार्वल की 90 फीसदी से अधिक उत्पाद श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका है। कुछ उत्पाद पूरी तरह से भारत के स्वामित्व वाले और यहीं बनते हैं। उदाहरण के लिए, डेटा केंद्रों के लिए सुरक्षा प्रोसेसर, जिनमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों शामिल हैं, पूरी तरह से भारत में विकसित किए जाते हैं। भारत का प्रभाव सुरक्षा, फाइबर चैनल, वायरलेस, संचार और कई अन्य प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है।

भारत का मुकाबला अमेरिका या इजरायल जैसे अन्य वैश्विक अनुसंधान एवं विकास केंद्रों से कैसे है?

सुरक्षा एक प्रमुख उदाहरण है। इसके अलावा 4जी, 5जी और जी जैसे वाहक नेटवर्क के लिए वायरलेस है। मार्वल इन अवसंरचनाओं के लिए प्रमुख डीपीयू (डेटा प्रोसेसिंग यूनिट) प्रौद्योगिकी की आपूर्ति करती है और हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर बनाने में एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारत में होता है। अमेरिका हमारा सबसे बड़ा केंद्र है। उसके बाद भारत का स्थान है। अन्य केंद्र काफी छोटे हैं। जहां अन्य वैश्विक केंद्र विशिष्ट उत्पाद श्रृंखलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वहीं भारत सभी उत्पादों और प्रौद्योगिकी में योगदान देता है।

क्या आपको घरेलू स्तर पर आवश्यक कौशल मिल रहे हैं या आपको तेजी से अपने कौशल को बढ़ाना पड़ रहा है, खासकर एआई और चिप डिजाइन जैसे क्षेत्रों में?

भारत में प्रतिभाओं का एक मजबूत आधार है और दशकों से वैश्विक चिप डिजाइनरों में से लगभग 20 से 25 फीसदी भारतीय रहे हैं। मगर अब तीन क्षेत्र विकसित हो रहे हैं। पहला, वैश्विक सहयोग कौशल, क्योंकि चिप डिजाइन स्वाभाविक रूप से वैश्विक है और इसके लिए टीमों को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में निर्बाध रूप से काम करने और प्रभावी ढंग से संवाद करने की आवश्यकता होती है।

दूसरा एआई-सक्षम इंजीनियरिंग, क्योकि एआई कोडिंग से लेकर दस्तावेज बनाने तक के वर्कफ्लो को बदल रहा है। तीसरा उद्योग और अकादमिक सहयोग, जिसका हम पाठ्यक्रम फीडबैक, संकाय इंटर्नशिप और संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से समर्थन करते हैं।

First Published - December 3, 2025 | 9:53 PM IST

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