भारत सरकार ने स्मार्टफोन विनिर्माताओं को अगले साल मार्च तक सभी हैंडसेट में ‘संचार साथी’ ऐप को पहले से इंस्टॉल (प्री-इंस्टॉल) करने का जो निर्देश दिया था, उसे विवाद को देखते हुए वापस ले लिया गया है। सरकार के इस कदम से खूब राजनीतिक हंगामा हुआ और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखी गई।
दूरसंचार विभाग ने आज कहा कि स्मार्टफोन विनिर्माताओं को पहले ऐप इंस्टॉल करने का आदेश नहीं दिया गया था और यह निर्णय सरकार द्वारा पिछले महीने जारी निर्देश के बाद ऐप डाउनलोड में भारी वृद्धि देखने के बाद लिया गया।
दूरसंचार विभाग ने एक बयान में कहा, ‘संचार साथी की बढ़ती स्वीकृति को देखते हुए सरकार ने मोबाइल विनिर्माताओं के लिए इसे पहले से इंस्टॉल करना अनिवार्य नहीं करने का फैसला किया है।’अधिकारियों के अनुसार विभाग इस संबंध में परिपत्र जारी करेगा।
सरकार का यह बयान इस स्पष्टीकरण के एक दिन बाद आया है कि ऐप को डिलीट भी किया जा सकता है। कुछ वैश्विक हैंडसेट विनिर्माताओं ने सरकार को संकेत दिया था कि वे इस निर्देश के अनुपालन में सहज नहीं हैं। विभाग ने कहा कि 1 दिसंबर से एक दिन में 6 लाख से अधिक नागरिकों ने ऐप डाउनलोड करने के लिए पंजीकरण कराया, जो इसकी स्वीकृति में 10 गुना वृद्धि है।
विभाग ने आगे कहा कि 1.4 करोड़ उपयोगकर्ताओं ने इस ऐप को डाउनलोड किया और वे प्रतिदिन 2,000 धोखाधड़ी की घटनाओं की जानकारी दे रहे हैं। विभाग ने कहा, ‘उपयोगकर्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है और ऐप को इंस्टॉल करने का आदेश इस प्रक्रिया को तेज करने और कम जागरूक नागरिकों के लिए ऐप को सुलभ कराने के लिए था।’
इससे पहले दिन में दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोक सभा में कहा कि सरकार उपभोक्ताओं से मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर ऐप को पहले से लोड करने के आदेश वाले नियमों में बदलाव करने के लिए तैयार है।
संचार साथी पोर्टल 2023 में शुरू हुआ था उसका ऐप जनवरी 2025 में लाया गया। इसने 1.5 करोड़ धोखाधड़ी वाले कनेक्शनों को डिस्कनेक्ट करने, 26 लाख चोरी हुए मोबाइल फोन का पता लगाने और 7 लाख चोरी हुए मोबाइल फोन की रिकवरी में मदद की है।
दूरसंचार विभाग की एआई और इंटेलिजेंस यूनिट ने 28 नवंबर को एक निर्देश जारी किया, जिसमें स्मार्टफोन विनिर्माताओं को बिक्री से पहले उपकरणों पर ऐप को पहले से लोड करने और सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से पहले से विनिर्मित और बिक्री चैनलों में भेजे गए स्मार्टफोन में अपडेट के माध्यम से ऐप पुश करने का आदेश दिया गया था।
दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024 के तहत जारी निर्देश में यह भी आवश्यक था कि पहले से लोड किए गए ऐप को डिलीट नहीं किया जा सके। इस निर्देश से राजनीतिक हंगामा मच गया, विपक्षी दलों के नेताओं ने आरोप लगाया कि ऐप निगरानी का एक उपकरण बन गया है जबकि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि यह कदम गोपनीयता कानूनों की भावना के विपरीत है जिसे सरकार ने पिछले महीने ही पेश किया था।