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रुपये में आगे भी होगी गिरावट, हर साल 2-3% टूटने की आशंका; 90 प्रति डॉलर अब न्यू नॉर्मल

विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के बीच रुपया बुधवार को पहली बार 90 प्रति डॉलर के नीचे चला गया

Last Updated- December 03, 2025 | 5:56 PM IST
Rupee vs Dollar

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के अंशकालिक सदस्य नीलेश शाह (Nilesh Shah) ने बुधवार को रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिरने के बीच कहा कि भविष्य में भी रुपये की विनिमय दर में गिरावट जारी रह सकता है और 90 के स्तर को अब ‘न्यू नॉर्मल’ माना जाना चाहिए।

रुपये पर दबाव की मुख्य वजह महंगाई

कोटक महिंद्रा म्युचुअल फंड के मैनेजिंग डायरेक्टर शाह ने मुबंई में संवाददाताओं से कहा कि रुपये पर दबाव की मुख्य वजह भारत में महंगाई का ऊंचा स्तर और व्यापार साझेदार देशों की तुलना में कम उत्पादकता हैं। उन्होंने कहा, “रुपये की किस्मत में विनिमय दर में गिरावट होना ही है क्योंकि हमारी महंगाई कारोबारी साझेदारों से ज्यादा है जबकि उत्पादकता उनसे कम है। ऐसे में हर साल रुपये में दो-तीन फीसदी की गिरावट सामान्य मानी जानी चाहिए।”

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रुपया 90.21 प्रति डॉलर के ऑल टाइम लो पर

विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के बीच रुपया बुधवार को पहली बार 90 प्रति डॉलर के नीचे चला गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 25 पैसे टूटकर 90.21 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है। इस संदर्भ में शाह ने कहा कि इनफ्लो और अन्य कारक शॉर्ट टर्म में रुपये को अस्थायी रूप से मजबूत या कमजोर कर सकते हैं लेकिन लॉन्ग टर्म में रुपये के स्थायी रूप से मजबूत होने की गुंजाइश नहीं दिख रही है।

90 प्रति डॉलर अब न्यू नॉर्मल

शाह ने बताया कि वास्तविक प्रभावी विनिमय दर का आकलन भी रुपये की कीमत में दो-तीन फीसदी गिरावट का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि निर्यात प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए भी रुपये का कुछ कमजोर होना जरूरी है। जब उनसे पूछा गया कि 90 रुपये प्रति डॉलर क्या अब भारतीय मुद्रा की ‘न्यू नॉर्मल स्थिति’ हो चुकी है तो उन्होंने इससे सहमति जताते हुए कहा, “यदि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता हो भी जाए, तब भी रुपये के 90 के आसपास ही बने रहने की संभावना है।”

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रुपये की दिशा बाजार ही तय करेगा

शाह ने इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक मुद्रा विनिमय दर तय नहीं करता है, बल्कि तेज उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए सीमित हस्तक्षेप करता है। उन्होंने कहा, “रुपये की दिशा बाजार ही तय करेगा, आरबीआई नहीं।” इसके साथ ही शाह ने वर्ष 2020 में पड़ोसी देशों से आने वाले निवेश पर लगाम लगाने के लिए जारी प्रेस नोट-3 की पुनर्समीक्षा की वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत को कैपिटल इनफ्लो आकर्षित करने के तरीके खोजने होंगे और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इसके बेहद अहम साधन हैं।

(PTI इनपुट के साथ)

First Published - December 3, 2025 | 5:49 PM IST

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