देसी बाजारों में बुधवार को लगातार चौथे दिन गिरावट दर्ज की गई क्योंकि रुपये में गिरावट ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की निकासी को लेकर चिंता पैदा हुई। इसके अलावा, अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में देरी ने भी बाजार के प्रदर्शन पर असर डाला।
कारोबार के दौरान सेंसेक्स 375 अंक तक फिसल गया था, लेकिन अंत में 31.5 अंक यानी 0.04 फीसदी की गिरावट के साथ 85,107 पर बंद हुआ। निफ्टी 46 अंक यानी 0.2 फीसदी गिरकर 25,986 पर टिका। 27 नवंबर को अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद पिछले चार कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स और निफ्टी क्रमशः 0.7 फीसदी और 0.9 फीसदी नीचे आ चुके हैं। उधर, बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के पार चला गया और इस तरह से रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया।
16 प्रमुख क्षेत्रीय सूचकांकों में से 11 में गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 क्रमशः लगभग 0.7 फीसदी और 1 फीसदी टूटे। निफ्टी पीएसयू बैंक सूचकांक में सबसे ज्यादा 3.1 फीसदी की गिरावट आई, जो सात महीनों में सबसे ज्यादा है। यह गिरावट तब आई जब सरकार ने कहा कि वह इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49 फीसदी करने पर विचार नहीं कर रही है।
रुपये में कमजोरी से इस क्षेत्र को फायदा होने की उम्मीद के चलते निफ्टी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सूचकांक में 0.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। मोतीलाल ओसवाल ने एक नोट में कहा कि आईटी के लिए मूल्यांकन बेहद आकर्षक बना हुआ है, जबकि उसने इन्फोसिस, विप्रो और एम्फैसिस को अपग्रेड किया है।
बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा और 1,396 शेयर चढ़े जबकि 2,767 में गिरावट आई।