ब्रोकरेज फर्में अक्सर अपने क्लाइंटों के कोलेटरल की गलत जानकारी साझा कर रहे हैं, जो स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के दौरान वे ब्रोकरेज के पास बनाए रखते हैं।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज ने पाया है कि ब्रोकरेज फर्मों की तरफ से जिस कोलेटरल की जानकारी दी जा रही है वहां कई तरह की गड़बड़ी है। इनमें एक ही आंकड़ों के कई फाइल अपलोड करना, विभिन्न क्षेत्रों में परिचालन के आधार पर छोटी-छोटी जानकारी मुहैया न कराना और कुछ मामलों में कुछ निश्चित क्लाइंटों के आंकड़ों की रिपोर्टिंग नहीं करना शामिल है।
अगर शेयर बाजार की चाल ट्रेडर के उलट होती है तो कोलेटरल का इस्तेमाल पूंजी की जरूरतों को पूरा करने में होता है। यह ब्रोकरेज को क्लाइंट की तरफ से किसी तरह की चूक से सुरक्षा प्रदान करता है क्योंकि कोलेटरल का इस्तेमाल कमी की भरपाई में हो सकता है। यह बाजार में सेटलमेंट से जुड़े मसलों को टालने में भी मदद करता है। स्टॉक एक्सचेंज ने ब्रोकरेज फर्मों को बताया है कि एक्सचेंज ब्रोकरों के इस आंकड़े का इस्तेमाल बाजार की प्रभावी निगरानी में करता है।
देसी ब्रोकरेज फर्म के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कोलेटरल के संग्रह को लेकर जानबूझकर अस्पष्टता छोटी कंपनियों तक सीमित रखी जानी चाहिए, न कि काफी बड़ी फर्मों तक, जो अभी अपने क्लाइंट आधार के कारण बढ़ती जांच के दायरे में हैं।
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उन्होंने कहा, बड़ी ब्रोकिंग फर्मों को अब ज्यादा सावधान रहना होगा। पारंपरिक दलाल स्ट्रीट ब्रोकरेज के प्रमुख ने कहा, कुछ छोटी इकाइयों ने शायद नासमझी में कुछ गलतियां होंगी। ये जानबूझकर नहीं किए गए होंगे। बाजार नियामक सेबी ने क्लाइंटों के कोलेटरल और उसके प्रबंधन को लेकर सख्ती बरत रहा है।
बाजार में लिवरेज घटाने के अतिरिक्त नियामक ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया है कि क्लाइंटों के फंडों का ब्रोकरेज दुरुपयोग न करे क्योंकि हाल के वर्षों में कई ब्रोकरों ने चूक की है। नियामक ने ब्रोकरेज फर्मों को रोजाना आधार पर, क्लाइंटों के आधार पर (परिसंपत्तियों के ब्रेकअप समेत) कोलेटरल का खुलासा अनिवार्य किया था। यह जुलाई 2021 में प्रभावी हुआ। नियामक ने मई 2022 से यह भी सुनिश्चित किया कि क्लाइंटों के फंड का इस्तेमाल सेटलमेंट की देनदारी में ही किया जाए।
ब्रोकरेज फर्में अभी भी क्लाइंटों के फंड तक पहुंच रखती हैं और यह जानकारी जून 2023 में सेबी की बोर्ड बैठक की विस्तृत जानकारी से मिली। इसमें कहा गया है कि ये फंड बैंकों के पास फिक्स्ड डिपॉजिट के तौर पर रखे गए हैं। इसका इस्तेमाल स्टॉक ब्रोकर कोलेटरल के तौर पर करते हैं। कुछ फर्में इसका इस्तेमाल फिक्स्ड डिपॉजिट रिसीट्स से ज्यादा की बैंक गारंटी में करती हैं।
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बोर्ड बैठक के दस्तावेज से पता चलता है कि बैंक क्लाइंटों के फंड वाले एफडीआर व अन्य खाता शेष के आधार पर ब्रोकरों को अन्य फंडेड व गैर-फंडेड सुविधा देता है। इसके साथ ही इकोसिस्टम में क्लाइंटों के फंड के दुरुपयोग का बड़ा जोखिम है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की फरवरी 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलेटरल को लेकर सख्ती से ब्रोकरेज की फ्लोट इनकम में कमी की आशंका है। फ्लोट का इस्तेमाल क्लाइंटों के बिना इस्तेमाल वाले फंडों के लिए किया जाता है। बिना इस्तेमाल वाली पूंजी पर कम ब्याज आय से ब्रोकरेज फर्में अपना शुल्क बढ़ा सकती हैं, जिससे बड़ी कंपनियों के हक में एकीकरण हो सकता है। इक्रा की रिपोर्ट में ये बातें कही गई है।