स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अपोलो को उम्मीद है कि कंपनी द्वारा किए जाने वाले अंग प्रत्यारोपण की संख्या वर्ष 2024 तक पहली बार प्रति वर्ष 2,000 तक पहुंच जाएगी और देश में अंग प्रत्यारोपण की संख्या में प्रति वर्ष 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी होगी। अपोलो के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यह वृद्धि मुख्य रूप से निकट भविष्य में रोबोटिक्स जैसी प्रौद्योगिकियों के अधिकाधिक इस्तेमाल से प्रेरित होगी। कंपनी ने शुक्रवार को ‘अपोलो अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम’ की शुरुआत के बाद से 23,000 प्रत्यारोपण पूरे करने की घोषणा की।
वर्ष 2012 के बाद से प्रति वर्ष 1,200 से अधिक प्रत्यारोपण दर्ज किए जाने के बाद से यह कार्यक्रम वर्ष 2022 में 1,641 प्रत्यारोपण के साथ नई ऊंचाई पर पहुंच गया। फिलहाल भारत में प्रति वर्ष 16,000 से अधिक प्रत्यारोपण में से लगभग 12 प्रतिशत अपोलो द्वारा किए जाते हैं।
यह कार्यक्रम विशेष रूप से 18,500 गुर्दा प्रत्यारोपण, 4,300 लीवर प्रत्यारोपण और 500 बच्चों लीवर प्रत्यारोपण का उल्लेखनीय स्तर पार करने वाला देश का पहला कार्यक्रम होने का गौरव रखता है। वर्ष 2020 की कोविड महामारी के चरम से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद अपोलो द्वारा 814 प्रत्यारोपण किए गए।
अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष प्रताप सी रेड्डी ने कहा कि 23,000 प्रत्यारोपण, जिनमें से 30 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय रोगियों के लिए थे, करने के प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड के साथ अपोलो इस क्षेत्र में अग्रणी योगदानकर्ता के रूप में खड़ा है। देश के सभी प्रत्यारोपणों में से लगभग 12 प्रतिशत अपोलो करता है और इसकी विशेषज्ञता वैश्विक प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं में एक प्रतिशत तक विस्तार प्राप्त कर चुकी है।
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अपोलो 50 से अधिक देशों के मरीजों में प्रत्यारोपण कर चुका है। इनमें अमेरिका, कनाडा, फिलीपींस, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन, जॉर्डन, पाकिस्तान, केन्या, इथियोपिया, नाइजीरिया, सूडान, तंजानिया, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, सीआईएस, म्यांमार जैसे देश शामिल हैं।
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और वरिष्ठ पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट अनुपम सिब्बल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हम आने वाले वर्षों में देश और अपने लिए प्रत्यारोपण में 20 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि अगले 18 महीने में हमें प्रति वर्ष 2,000 प्रत्यारोपण का आंकड़ा पार
कर लेंगे।
अपोलो हॉस्पिटल्स ने वर्ष 1998 में भारत में एक वयस्क और बच्चे में पहला सफल लिवर प्रत्यारोपण और वर्ष 1999 में पहला संयुक्त लिवर-किडनी प्रयारोपण किया था। सिब्बल ने कहा कि वर्तमान में हम प्रति वर्ष 300 से अधिक रोबोटिक्स सर्जरी कर रहे हैं। अब रोबोटिक्स का रुझान है और हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में इस क्षेत्र से विकास होगा।