facebookmetapixel
अमर सुब्रमण्य बने Apple AI के वाइस प्रेसिडेंट, जॉन जियानएं​ड्रिया की लेंगे जगहमारुति सुजूकी ने देशभर में 2,000 से अधिक ईवी चार्जिंग पॉइंट स्थापित कर इलेक्ट्रिक वाहन नेटवर्क किया मजबूतNLCAT ने व्हाट्सऐप और मेटा के डेटा-शेयरिंग मामले में स्पष्टीकरण याचिका पर सुनवाई पूरी कीरुपया 90 के करीब पहुंचा: RBI की दखल से मामूली सुधार, एशिया में सबसे कमजोर मुद्रा बनासुप्रीम कोर्ट फरवरी में करेगा RIL और उसके साझेदारों के कृष्णा-गोदावरी D6 गैस विवाद पर अंतिम सुनवाईसूरत संयंत्र में सुची सेमीकॉन ने शुरू की QFN और पावर सेमीकंडक्टर चिप पैकेजिंगपुतिन की भारत यात्रा: व्यापार असंतुलन, रक्षा सहयोग और श्रमिक गतिशीलता पर होगी अहम चर्चाविमानन सुरक्षा उल्लंघन: DGCA जांच में एयर इंडिया के अधिकारियों को डी-रोस्टर किया गया‘संचार साथी’ पर सरकार का नया स्पष्टीकरण: ऐप हटाने की आजादी, निगरानी न होने का दावाभारत निश्चित रूप से हमारा सरताज है, युवा डिजिटल आबादी ने बढ़ाया आकर्षण: एसबी शेखर

सुप्रीम कोर्ट फरवरी में करेगा RIL और उसके साझेदारों के कृष्णा-गोदावरी D6 गैस विवाद पर अंतिम सुनवाई

दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने इस वर्ष की शुरुआत में एकल न्यायाधीश के पीठ के 2023 के आदेश को पलट दिया था

Last Updated- December 02, 2025 | 11:25 PM IST
supreme court of india
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और उसके साझेदारों ब्रिटेन की बीपी एक्सप्लोरेशन (अल्फा) लिमिटेड और कनाडा की निको लिमिटेड द्वारा कृष्णा-गोदावरी (केजी)-डी6 गैस माइग्रेशन विवाद में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अगले साल 25 और 26 फरवरी को सुनवाई करेगा।

आरआईएल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी जिसने केंद्र के इस दावे को बरकरार रखा कि मुकेश अंबानी की कंपनी और उसके भागीदारों ने आंध्र प्रदेश के तट से दूर कृष्णा-गोदावरी बेसिन में ओएनजीसी ब्लॉक के भंडार से गैस निकाली थी। आरआईएल को आवंटित गैस ब्लॉक ओएनजीसी द्वारा संचालित ब्लॉक के बगल में था। दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने इस वर्ष की शुरुआत में एकल न्यायाधीश के पीठ के 2023 के आदेश को पलट दिया था, जिसमें 2018 में आरआईएल के पक्ष में मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा गया था।

सूत्रों ने कहा कि आरआईएल ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के खंडपीठ को मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं करना चाहिए था, क्योंकि इस मामले की सुनवाई और निर्णय सिंगापुर की मध्यस्थ लॉरेंस बू की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण द्वारा किया गया था।

First Published - December 2, 2025 | 11:03 PM IST

संबंधित पोस्ट