अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 मरीजों के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली प्रमुख दवा रेमडेसिविर की कीमत बढ़ सकती है। उद्योग सूत्रों ने बतााय कि अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए से पूरी तरह मंजूरी मिलने के बाद इसे विकसित करने वाली कंपनी गिलियड कीमत में वृद्धि कर सकती है। फिलहाल जेनेरिक दवा बनाने वाली कई कंपनी स्वैच्छिक लाइसेंस समझौते के तहत भारत में इसका उत्पादन और बिक्री करती है और इसके लिए उसे गिलियड को कोई रॉयल्टी देने की जरूरत नहीं है। भारत में गिलियड के एक लाइसेंस साझेदार ने कहा, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि रेमडेसिविर एक परीक्षण वाली दवा है और कोविड-19 के उपचार के लिए उसे मंजूरी नहीं मिली है। मौजूदा वैश्विक महामारी के मद्देनजर यूएसएफडीए ने इसके आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी है। गिलियड ने लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर करते समय संकेत दिया था कि उपचार के लिए मंजूरी मिलने के बाद रॉयल्टी भुगतान के मुद्दे पर वह नए सिरे से विचार करेगी।’
अगस्त में गिलियड ने रेमडेसिविर के लिए मंजूरी हासिल करने के उद्देश्य से अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए के पास आवेदन किया था। गिलियड के चेयरमैन एवं सीईओ डेनियल ओ डे ने पिछले दिनों मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि रेमडेसिविर के लिए पूरी मंजूरी हासिल करने के लिए कंपनी ने सभी आवश्यकताओं को पूरा किया है और इसे जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
गिलियड रेमडेसिविर के विभिन्न फॉर्मूलेशन और टोसिलिजुमैब जैसी अन्य दवाओं के साथ उपचार के लिए 36 क्लीनिकल परीक्षण कर रही है। भारत में रेमडेसिविर की कीमत काफी प्रतिस्पर्धी है। पिछले महीने अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडिला ने सबसे कम कीमत के साथ इसे रेमडेक ब्रांड के साथ बाजार में उतारा था। इसकी कीमत 2,800 रुपये प्रति खुराक रखी गई है। यह प्रमुख प्रतिस्पर्धी सिप्ला की सिपरेमि के मुकाबले 30 फीसदी सस्ती है।
