मार्च महीने में व्यापारिक माल निर्यात में तेज वृद्घि नजर आने के आने के बावजूद विशेषज्ञों ने चेताया है कि हो सकता है अगले कुछ महीने तक यह रुझान जारी नहीं रहे। उन्होंने इसकी वजह भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण बनी अनिश्चितता और विदेशों में मांग आई कमजोरी को बताया है।
गुरुवार को सरकार की ओर से जारी प्राथमिक आंकड़ों के मुताबिक भारत का व्यापारिक माल निर्यात मार्च में 34 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया जो सालाना आधार पर 58 फीसदी अधिक है। क्रमिक आधार पर व्यापारिक माल निर्यात में वृद्घि 21 फीसदी रही। निर्यातों का मूल्य अब कोविड-19 के प्रसार से लगभग एक वर्ष पहले मार्च 2019 के 32.55 अरब डॉलर के पिछले उच्च स्तर को पार कर गया है।
निर्यातों में तेज उछाल की वजह वैश्विक महामारी के प्रसार और उसके बाद मार्च, 2020 में लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण बने अनुकूल आधार प्रभाव को बताया जा सकता है। हालांकि, इसके उज्वल पक्ष की ओर देखें तो इससे मांग में सुधार आने के भी संकेत मिलते हैं।
इंजीनियरिंग ऐंड एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (ईईपीसी) के चेयरमैन महेश देसाई ने कहा, ‘मार्च महीने में इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में हुई मजबूत वृद्घि से इस क्षेत्र के उज्ज्वल परिदृश्य का पता चलता है लेकिन लघु अवधि की तेजी के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सतर्क रहने की जरूरत है।’
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा एक ओर जहां मार्च महीने के प्राथमिक आंकड़े आकर्षक नजर आते हैं वहीं इस समय निर्यात सामान्य तौर पर बहुत अधिक रहता है क्योंकि कंपनियां अमूमन वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले अपने लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करती हैं।
सबनवीस ने कहा, ‘इसके अलावा यह समझने के लिए कि क्या यह रुझान टिकाऊ है हमें लगातार तीन महीनों में हुई वृद्घि पर नजर डालने की जरूरत है। यूरोपीय देशों में कोविड के मामलों में वृद्घि से निर्यातों पर थोड़ा असर पड़ सकता है। हालांकि, फिलहाल अमेरिकी और अफ्रीकी देशों को होने वाला निर्यात स्थायी नजर आ रहा है।’
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के ताजे अनुमान के मुताबिक वैश्विक स्तर पर व्यापारिक माल के व्यापार के आकार में 2021 में 8 फीसदी वृद्घि होने की उम्मीद है। 2020 में इसमें 5.3 फीसदी की गिरावट हुई थी। संगठन ने यह भी अनुमान जताया है कि अगले वर्ष व्यापार की वृद्घि घटकर 4 फीसदी हो जाएगी जिससे वैश्विक व्यापार की पूरी मात्रा महामारी से पहले के रुझान से नीचे रहेगी।
डब्ल्यूटीओ ने बुधवार को कहा, ‘वैश्विक व्यापार के लिए अपेक्षाकृत सकारात्मक अल्पकालिक परिदृश्य क्षेत्रीय असमानताओं, सेवा व्यापार में जारी कमजोरी और विशेष तौर पर गरीब देशों में टीकाकरण समय पर पूरा नहीं होने से पिछड़ रहा है। कोविड-19 लगातार व्यापार के लिए सबसे बड़ी दिक्कत बना हुआ है क्योंकि संक्रमण की नई लहर से सुधार की उम्मीद आसानी से समाप्त हो सकती है।’
भारत में कोविड-19 के मामले पिछले कुछ हफ्तों से तेजी से बढ़ रहे हैं। 2 अप्रैल के आंकड़ों के मुताबिक देश में कोविड-19 के 81,000 नए मामले आए थे। इनमें सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से आए थे। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्य सरकारों ने स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने की घोषणा की है ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके। पिछले महीने आई भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमण की दूसरी लहर 100 दिनों तक रह सकती है जिसकी गणना 15 फरवरी से की गई है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा कोविड-19 के बढ़ते मामले चिंता की बात है और यह अनिश्चितता को बढ़ाने वाला है और इससे निर्यातों पर असर पड़ सकता है। सहाय ने कहा, ‘हो सकता है कि हमें उत्पादन में गिरावट नजर नहीं आए लेकिन यह निश्चित तौर पर कुछ चिंता उत्पन्न कर रहा है। सबसे अहम सवाल है कि दूसरी लहर कब तक समाप्त होती है।’