सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत उद्यमियों को दिए जाने वाले कर्ज का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के लिए घटाकर 3 लाख करोड़ रुपये कर दिया है, जबकि वित्त वर्ष 21 में 3.21 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे कारोबारियों के लिए लाई गई क्रेडिट गारंटी स्कीम में आवंटन बढ़ा है, जिसकी वजह से पीएमएमवाई का लक्ष्य कम किया गया है।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत मंजूर किए गए 3.21 लाख करोड़ रुपये कर्ज में से 3.12 लाख करोड़ रुपये उद्यमियों को दिए गए। वित्त वर्ष 2019-20 में मंजूर किए गए कर्ज की राशि ज्यादा हैं, जब कुल 3.37 लाख करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, जिसमें से 3.29 लाख करोड़ रुपये जारी कर दिए गए।
पीएमएमवाई के तहत बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की ओर से छोटी कारोबारी इकाइयों की औद्योगिक गतिविधियों के लिए 10 लाख रुपये तक कर्ज मुहैया कराया जाता है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेडिंग, सेवाएं और कृषि संबंधी गतिविधियों सहित इस क्षेत्र के नए उद्यमी भी शामिल हैं। केंद्र सरकार इस योजना के तहत कर्ज देने का सालाना लक्ष्य आवंटित करती है। वित्त वर्ष 22 में 13 सरकारी बैंकों द्वारा 25 जून तक 3,804 करोड़ रुपये कर्ज दिया गया है। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि मुद्रा ऋण छोटे कारोबारियों को दिया जाता है, जो बैंकों के प्राथमिकता के क्षेत्र में शामिल हैं। सबनवीस ने कहा कि पिछले साल सराकर ने 3 लाख करोड़ रुपये ईसीएलजीएस योजना के माध्यम से हस्तक्षेप किया था, जिससे कर्ज दिए जाने की मात्रा बढ़ी थी। सबनवीस ने कहा, ‘इस साल मुद्रा के लिए लक्ष्य 3 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल से कम है। लेकिन इस साल ईसीएलजीएस योजना के तहत गारंदी मुहैया कराई गई है, जिससे 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन हुआ है। इस तरह से देखें तो लक्ष्य कम नहीं है।’
सिडबी-ट्रांसयूनियन सिबिल एमएसएमई पल्स रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 21 में एमएसएमई को 9.5 लाख करोड़ रुपये कर्ज जारी किए गए थे, जो वित्त वर्ष 20 की तुलना में उल्लेखनीय रूप से ज्यादा है, जब 6.8 लाख करोड़ रुपये दिए गए थे। ईसीएलजीएस योजान जैसे सरकारी हस्तक्षेपों की वजह से एमएसएमई को दिए जाने वाले कर्ज में तेज बढ़ोतरी हुई है।
सरकार ने संसद को भी सूचित किया है कि सार्वजनिक बैंकों द्वारा स्टैंड अप इंडिया योजना के तहबत चालू वित्त वर्ष में 28 जून तक 167 करोड़ रुपये कर्ज जारी किया गया है। स्टैंडअप इंडिया के तहत विनिर्माण, ट्रेडिंग या सेवा क्षेत्र और कृषि से जुड़ी गतिविधियों में नई परियोजनाएं स्थापित करने के लिए 10 लाख से 1 करोड़ रुपये तक कर्ज दिया जाता है। वित्त वर्ष 2020-21 में करीब 2,155 करोड़ रुपये इस योजना के तहत 12 सरकारी बैंकों ने जारी किए थे, जो इन बैंकों द्वारा एक साल पहले जारी राशि से करीब 38 प्रतिशत कम है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में अलग से पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि आतिथ्य, खेल, अवकाश, यात्रा और पर्यटन उद्योग को इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) के तहत 2 जुलाई, 2021 तक 3,918 करोड़ रुपये ऋण की गारंटी दी गई है।
वित्त राज्य मंत्री भागवत करड ने कहा कि सरकार की अब और सरकारी बैंकों के विलय की कोई योजना नहीं है। सरकार ने इसके पहले कई बैंकों का विलय किया था। राज्य मंत्री चौधरी ने कहा कि केयर्न एनर्जी की ओर से कर विवाद के निपटारे के लिए देश के कानूनी ढांचे के तहत कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है।
