बजट अनुमानों के अनुपात में केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में 31.1 फीसदी पर आ गया है। यह 18 वर्ष का न्यूनतम स्तर है।
राजकोषीय घाटा में यह कमी सालाना आधार पर अगस्त महीने में खर्च में हुई वृद्घि के बावजूद आई है। हालांकि, उससे पहले महीने खर्च में कमी आई थी।
निरपेक्ष रूप से भी 2021-22 के अप्रैल से अगस्त के दौरान केंद्र के खर्च और प्राप्तियों के बीच का अंतर घटकर 4.7 लाख करोड़ रुपये रह गया जो कि उससे पिछले वर्ष की समान अवधि में 8.7 लाख करोड़ रुपये रहा था। सच्चाई यह है कि यह 2019-20 के कोविड पूर्व की समान अवधि के दौरान के 5.5 लाख करोड़ रुपये से कम रहा। घाटे में इस कमी की वजह चालू वित्त वर्ष के अगस्त महीने तक कुल खर्च में सावधानी पूर्वक दो फीसदी की वृद्घि के बीच राजस्व प्राप्तियों में 114 फीसदी की उछाल है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि हालांकि, राजस्व प्राप्तियों के विस्तार की रफ्तार अगस्त महीने के अंत में धीमी पड़कर 114 फीसदी पर आ गई जो एक महीने पहले 194 फीसदी पर थी। ऐसा इसलिए हुआ कि पिछले वर्ष प्रगतिशील आर्थिक रिकवरी के साथ साथ अगस्त 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिशेष की आमद के कारण आधार सामान्य हो गया था।
उन्होंने कहा, ‘उत्साहजनक रूप से अगस्त 2021 में राजस्व और पूंजीगत व्यय दोनों में एक स्वस्थ वृद्घि नजर आई जो जुलाई 2021 में नजर आए संकुचन के समायोजन से अधिक है।’
इस साल जुलाई से अगस्त में केंद्र के राजस्व खर्च में मामूली दो फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई जिससे पता चलता है कि सरकार का अंतिम उपभोग खर्च वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्घि पर भारित हो सकता है जबकि इन दो महीनों की अवधि में पूंजीगत व्यय में 31 फीसदी की जबरदस्त वृद्घि से सकल अचल पूंजी निर्माण की वृद्घि को ताकत मिलेगी। करों से सरकार को राजस्व की आमद 2019-20 के कोविड पूर्व की समान अवधि के मुकाबले करीब 60 फीसदी बढ़ कर 6 लाख करोड़ रुपये हो गई। नायर ने कहा, ‘पहली छमाही में कोविड पूर्व के समान अवधि के स्तर के मुकाबले केंद्र सरकार के सकल कर राजस्वों में स्वस्थ्य विस्तार से उम्मीद बंधती है कियह सुधार दूसरी छमाही में भी जारी रहेगा। हालांकि, सामान्य हो रहे आधार के कारण आगे चलकर वृद्घि की रफ्तार मंद पड़ती नजर आ सकती है। हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार का सकल कर राजस्व वित्त वर्ष 2022 के बजट अनुमानों से कम से कम दो लाख करोड़ रुपये अधिक रहेगा।’ इसके अलावा रिजर्व बैंक ने अधिशेष हस्तांतरण के तौर पर केंद्र को 500 अरब रुपये दिया है। यह रकम भी बजट में निर्धारित रकम से अधिक है।
