केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रोजगार को बढ़ावा देना भारत सरकार की प्राथमिकता है और केंद्र सरकार लाइसेंस राज की ओर नहीं बढ़ रही है। केंद्रीय मंत्री का यह बयान भारत मे बेरोजगारी और लैपटॉप आयात पर बैन जैसे मुद्दों पर बढ़ती आशंकाओं के बीच आया है। वित्त मंत्री ने गुरुवार को अपने नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस में एक इन्टरव्यू में बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि उभरते क्षेत्रों के साथ-साथ उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है जो नौकरियों पर बड़ा असर डाल सकते हैं।
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) के लिए क्षेत्रों को चुनने के पीछे के तर्क को समझाते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी लिस्ट में मौजूद डिमांड के अनुसार ही इसे तैयार करना होगा।’
सीतारमण ने कहा कि कंपनियों को घरेलू समर्थन विशिष्ट (specific ) होगा और समयबद्ध तरीके से इसपर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात की बराबर चिंता है कि जब तक हम मैन्युफैक्चरिंग के कुछ क्षेत्रों को समर्थन नहीं देंगे, वे कभी खड़े नहीं हो पाएंगे। लेकिन इससे लाइसेंस राज वापस नहीं आएगा। यह बहुत विशेष, टॉरगेटेड और लिमिटेड समय के लिए था और स्थायी नहीं होने वाला है।’
महंगाई दर को नियंत्रित करने का विश्वास दिलाते हुए, सीतारमण ने कहा कि सरकार ने कभी भी आयातित मुद्रास्फीति (imported inflation) का बोझ उपभोक्ता पर नहीं डाला है। ‘अगर मुद्रास्फीति बढ़ी है, तो हम यह कहने के लिए खुलकर सामने आए हैं कि हम इसे कैसे कम करने की कोशिश कर रहे हैं, और इसे कम कर रहे हैं। पिछले महीने महंगाई दर 7 फीसदी को पार कर गई थी, इसके अलावा यह हमेशा 6 प्रतिशत या उससे नीचे रही है।’
वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई दर लगातार बनी रहने वाली एक स्थायी चुनौती है और सरकार को आम गरीब नागरिकों को राहत देने के लिए काम करना होगा जिन्हें बाजार से चीजें खरीदनी पड़ती हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन फैक्ट यह भी है कि नरेंद्र मोदी सरकार का महंगाई दर मैनेजमेंट में पहले की किसी भी दूसरी सरकार के मुकाबले बेहतर रिकॉर्ड रहा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं आराम से बैठ जाऊंगी। हम पर्याप्त उपाय कर रहे हैं।’
बढ़ते सब्सिडी बोझ के मैनेजमेंट पर, सीतारमण ने कहा कि सरकार ने हमेशा यह रुख अपनाया है कि किसान पर बोझ नहीं डाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘दो साल पहले जिस तरह का बोझ हमने अपने ऊपर लिया था जब कीमतें 10 गुना बढ़ गई थीं, हमने अभी भी किसान पर बोझ नहीं डाला है। हम किसानों को महत्व देते हैं और भारत को फूड को लेकर आत्मनिर्भर बने रहना चाहिए।’
सीतारमण ने कहा कि उन्हें वित्त वर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP ) के 5.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य (fiscal deficit target ) को पूरा करने का भरोसा है। इसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारे रिकॉर्ड को देखें (यह खुद बोलता है)। यहां तक कि जब कोविड के समय में सबसे गंभीर चुनौतियां थीं हमने एक स्पष्ट बयान में लक्ष्य से चूकने की वजह बताई।
रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण (internationalisation of the rupee) पर उन्होंने कहा कि रुपये के व्यापार में कई देशों की बहुत ज्यादा दिलचस्पी है। उन्होंने इसके बारे में कहा, ‘जिन देशों के पास अब डॉलर जैसी रिजर्व करेंसी की सुविधा नहीं है, वे रुपये में व्यापार करने से खुश हैं, खासकर इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि यह कई अन्य करेंसी के मुकाबले स्थिर (स्टेबल) है। इससे उन्हें यह भी तसल्ली मिलती है कि भारत एक उभरता हुआ बाजार है। ऐसे में लगभग 22 देश यह देखने के लिए चर्चा कर रहे हैं कि वे रुपये में कैसे ट्रेड कर सकते हैं।’
चीनी अर्थव्यवस्था की मंदी पर सीतारमण ने कहा कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि क्या चीन की रियल एस्टेट समस्या केवल रियल एस्टेट तक ही सीमित रहने वाली है। उन्होंने बताया कि इसकी बारीकी से निगरानी की जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘(हम) इस बात को लेकर पूरी तरह से सचेत हैं कि हमें चीन की तरफ से कभी भी पूरी जानकारी नहीं मिलने वाली है।
वित्त मंत्री ने अदाणी-हिंडनबर्ग मामले पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि विदेशी न्यायक्षेत्रों में भी शॉर्ट-सेलिंग एक सामान्य घटना है और कॉरपोरेट गवर्नेंस में सुधार करने में मदद करती है। ‘भारत में रेगुलेटर्स काम कर रहे हैं। मामले को लेकर कोई बात छिपाई नहीं जा रही है। लेकिन बड़ी बात यह है कि इस मामले के कारण कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सबका ध्यान चला गया है। यहां तक कि अब मार्केट को भी अनुपालन के बारे में बेहतर जानकारी है। मुझे लगता है कि इससे पूरे देश को काफी फायदा होगा।’
IDBI Bank के लंबित विनिवेश (disinvestment ) पर, सीतारमण ने कहा कि विशेष रूप से कुछ भी इसे रोक नहीं रहा है। उन्होंने कहा, ‘IDBI होना चाहिए…कब तक, मैं बाजार पर नजर रखना चाहती हूं और फैसला लेना चाहती हूं।’
G20 शिखर सम्मेलन के नतीजे पर, सीतारमण ने कहा, ‘भारत को इस बार समिट की अध्यक्षता मिली और इसने इस अवसर का उपयोग सभी पहलुओं–राजनयिक (diplomatic), फाइनैंस और अन्य सभी मंत्रिस्तरीय लेवल पर किया है।’