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बजट को वृद्घि में सुधार की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए

Last Updated- December 11, 2022 | 9:45 PM IST

बीएस बातचीत
प्रसिद्घ अर्थशास्त्री और देश के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन  ने असित रंजन मिश्र के साथ बातचीत में कहा कि  आगामी दिनों में महंगाई अर्थव्यवस्था के लिए  बड़ी चिंता हो सकती है। उनके मुताबिक महंगाई से निपटने की पूरी जिम्मेदारी रिजर्व बैंक पर छोड़ देनी चाहिए और सरकार को अब अर्थव्यवस्था में वृद्घि की चुनौती पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए बजट में मांग बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। पेश हैं मुख्य अंश:
वित्त वर्ष 2022 के लिए जीडीपी वृद्घि को लेकर हाल में जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमान के बारे में आपकी क्या राय है?
इससे यह संकेत मिलता है कि जीडीपी 2020 के स्तर से थोड़ा ऊपर होने के बावजूद खपत उस स्तर से गंभीर रूप से नीचे है जिसका मतलब है कि प्रणाली में कुछ ऐसा हो रहा है जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है क्योंकि उससे लंबी अवधि की चुनौती पैदा हो सकती है। मोटे तौर पर आमराय यह है कि आय वितरण इस प्रकार का हो चुका है कि वह नीचे की श्रेणी के लोगों को अत्यधिक प्रभावित करता है जो कि उच्च उपभोक्ता हैं। उन्होंने अपनी आमदनी उच्च आय वाले लोगों के हाथ गंवा दी है जो कि उच्च बचतकर्ता हैं। इसको लेकर चिंता की जानी चाहिए।

क्या आपको लगता है कि पहले अग्रिम अनुमान में जीडीपी वृद्घि को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है?
मुझे संदेह है कि ऐसा कुछ है। तीसरी लहर में इस पर कोई असर नहीं होगा। अर्थव्यवस्था पर असर महामारी का नहीं बल्कि इस बात का होगा कि विभिन्न सरकारें राज्य और स्थानीय स्तर पर किस प्रकार का प्रतिबंध लगाती हैं। यदि दूसरी लहर की तरह प्रतिबंध लगाए गए तो जीडीपी में पहले की तरह करीब 7.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है।

बजट बनाते समय वित्त मंत्री के समक्ष कौन सी बड़ी चुनौती होगी?
बड़ी चुनौती मुद्रास्फीति है। हम बहुत अधिक सीपीआई के बारे में सोचने के चक्कर में पड़ गए हैं क्योंकि इसका इस्तेमाल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) करता है लेकिन आप मुद्रास्फीति की संभवत: अधिक सटीक उपाय पर गौर करें तो यह जीडीपी अपस्फीतिकारक है। यह वित्त वर्ष 2022 में करीब 8.5 फीसदी रहा। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वित्त मंत्री बजट में इसको लेकर बहुत अधिक उपाय करेंगी। वित्त मंत्री यह कर सकती हैं कि वृद्घि की जिम्मेदारी वह अपने ऊपर लें और रिजर्व बैंक को महंगाई की समस्या को दूर करने के लिए कहें।
 
बजट में राजकोषीय विस्तार को लेकर वित्त मंत्री क्या कदम उठा सकती हैं?
यह एक बड़ा प्रश्न है। जबरदस्त कर संग्रह से वित्त मंत्री को विस्तारवादी राजकोषीय नीति लाने के लिए पर्याप्त गुंजाइश मिलेगी। सवाल इस बात का है कि वह इस गुंजाइश का इस्तेमाल करती हैं या फिर समय से पहले राजकोषीय सुधार के रास्ते पर बढ़ती हैं। महंगाई को देखते हुए मेरी राय में उन्हें इस अवसर का लाभ राजकोषीय विस्तार के लिए करना चाहिए और रिजर्व बैंक को महंगाई पर ध्यान देने के लिए कहना चाहिए।
कर संग्रह में उछाल को देखते हुए क्या व्यक्तिगत आयकर के मोर्चे पर छूट दी जा सकती है?
मोटे तौर पर यह एक खराब विचार होगा क्योंकि आयकर चुकाने वाले लोग वे हैं जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है। मुश्किल में ऐसे लोग हैं जो किसी भी तरह से आयकर भुगतान के दायरे में नहीं आते हैं।

सरकार ने अधिकांश उपाय अब तक आपूर्ति बढ़ाने के लिए ही किए हैं। क्या मांग बढ़ाने के लिए कोई प्रोत्साहन दिया जा सकता है?
मुझे इसकी उम्मीद है क्योंकि आपूर्ति के मोर्चे पर किए उपाय से नतीजे नहीं निकले। हम दो वर्ष से आपूर्ति के पक्ष में उपाय कर रहे हैं। लिहाजा अब सबक लेते हुए थोड़ा बहुत प्रयास मांग के मोर्चे पर करने की जरूरत है।

First Published - January 23, 2022 | 11:18 PM IST

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