कर्नाटक के हासन जिले में अचानक दिल के दौरे से होने वाली मौतों और कोविड-19 टीकों के बीच संबंध की आशंका जताने वाली राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की टिप्पणियों पर फार्मा उद्योग के दिग्गजों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने देश के कोविड टीकाकरण कार्यक्रम की सुरक्षा और वैज्ञानिक एकजुटता का पुरजोर बचाव करते हुए सुझाव दिया कि जन स्वास्थ्य को राजनीति से ऊपर रखना चाहिए। उन्होंने कड़े बयान दिए।
सिद्धरमैया ने बीते 1 जुलाई को दावा किया था कि हासन में पिछले एक महीने में 20 से अधिक लोगों की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। अपने बयान के पक्ष में उन्होंने उन वैश्विक अध्ययनों का भी हवाला दिया, जिनमें कहा गया था कि दिल का दौरा पड़ने से कोविड-19 टीके का कुछ संबंध हो सकता है। उन्होंने कहा कि उसी समिति को फरवरी में विशेष रूप से युवाओं पर टीकों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए कहा गया था।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आए उनके बयानों ने फार्मास्युटिकल उद्योग, चिकित्सा विशेषज्ञों और जन स्वास्थ्य संस्थानों में खलबली मचा दी और उन्होंने तत्काल प्रतिक्रिया देकर मुख्यमंत्री के दावों को वैज्ञानिक रूप से निराधार और संभावित रूप से खतरनाक बताया। सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज के दिलीप संघवी से लेकर टॉरंट फार्मा के समीर मेहता, बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के सतीश रेड्डी और जाइडस लाइफसाइंसेज के पंकज पटेल जैसे उद्योग दिग्गजों ने न केवल सोशल मीडिया पर अपनी चिंताएं व्यक्त की बल्कि भारतीय टीकों की वैज्ञानिक विश्वसनीयता के समर्थन में सार्वजनिक बयान जारी किए।
देश की सबसे बड़ी दवा कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक दिलीप सांघवी ने कहा, ‘हासन में हुई मौतें दुखद हैं और इनकी पूरी जांच होनी चाहिए। लेकिन बिना वैज्ञानिक सबूत इन मौतों को कोविड-19 टीकों से जोड़ना गलत और भ्रामक है। भारत की वैक्सीन अनुमोदन प्रक्रिया पूरी तरह विज्ञान-आधारित और मजबूत रही है।’
इसी प्रकार डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के अध्यक्ष सतीश रेड्डी ने कहा, ‘भारत में बने टीके सुरक्षित, प्रभावी हैं और डब्ल्यूएचओ द्वारा समर्थित 90+ देशों में विश्वसनीय हैं। संदेह के बजाय हमें विज्ञान में विश्वास पैदा करना चाहिए और जन स्वास्थ्य को राजनीति से ऊपर रहना चाहिए।’
देश में प्रमुख वैक्सीन निर्माता जाइडस लाइफसाइंसेज के अध्यक्ष पंकज पटेल ने बताया कि टीकों ने व्यापक मृत्यु दर को रोकने में मदद की है। लांसेट अध्ययन के अनुसार अकेले 2021 में टीकाकरण के कारण भारत में लगभग 34 लाख मौतों को टाला गया।’ भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस के महासचिव सुदर्शन जैन ने भी तीखी प्रतिक्रिया में कहा, ‘गलत सूचना और तथ्यों का विकृतिकरण सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डालता है।’