पेमेंट्स फर्म मोबिक्विक ने अपने शेयरों की सार्वजनिक सूचीबद्धता की योजना को आगे बढ़ा दिया है। कंपनी को 7 अक्टूबर को बाजार नियामक सेबी से मंजूरी मिली थी और शुरू में कंपनी ने नवंबर में शेयर सूचीबद्ध कराने की योजना बनाई थी।
मोबिक्विक का बिजनेस मॉडल फिनटेक कंपनी पेटीएम की तरह है और उसने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिए 1,900 करोड़ रुपये जुटाने के लिए सेबी के पास आवेदन जमा कराया था।
आईपीओ योजना टाले जाने के बारे में पूछने पर कंपनी ने सीधे-सीधे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन आधिकारिक बयान में कहा है, कंपनी मजबूत कारोबारी बढ़त देख रही है और लाभ में आने के लिए उसके पास स्पष्ट योजना है और सही समय पर शेयरों को सूचीबद्ध कराया जाएगा। सूत्रों ने कहा, अब कंपनी साल 2022 में शेयर सूचीबद्ध करा सकती है।
मोबिक्विक का यूजर बेस 31 मार्च को 10.1 करोड़ था। मोबिक्विक ने एक बयान में कहा, कंपनी का ध्यान रोजाना के भुगतान की खातिर अभी खरीदो और बाद में भुगतान करो (बीएनपीएल) की योजना पर केंद्रित है और भारत में मार्च 2021 तक पहले से मंजूर उसके बीएनपीएल यूजर्स का आधार 2.23 करोड़ रहा। कंपनी ने हमेशा से ही बढ़त की स्थायी रणनीति अपनाई है।
पेटीएम की खराब सूचीबद्धता के बाद कई निवेशकों और बाजार के सूत्रों का मानना है कि मोबिक्विक की तरफ से सूचीबद्धता में देरी की वजह पेटीएम आईपीओ से जुड़ी घटना हो सकती है। सूचीबद्धता के दिन पेटीएम का शेयर 27 फीसदी टूट गया था। पेटीएम का शेयर आज 10 फीसदी चढ़ा, लेकिन अभी भी यह आईपीओ कीमत से काफी नीचे है।
हालांकि मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल उधारी को लेकर आरबीआई की तरफ से किए गए हालिया बदलाव भी मोबिक्विक को लेकर निवेशकों के सतर्क रुख का एक कारण हो सकता है।
आरबीआई वर्किंग ग्रुप की सिफारिश के मुताबिक, गैर-विनियमित इकाइयों की तरफ से दिए जाने वाले कर्ज को रोकने के लिए आरई (विनियमित इकाइयों) को ऐसी इकाइयों के साथ एफएलडीजी (फस्र्ट लॉस डिफॉल्ट गारंटी) जैसी व्यवस्था में शामिल होने की इजाजत नहींं दी जानी चाहिए। आरई किसी गैर-विनियमित इकाई को अपनी बैलेंस शीट के इस्तेमाल की इजाजत न दे।
बाय नाउ पे लेटर सेगमेंट में मोबिक्विक बड़ी कंपनी है और उसके 2.23 करोड़ यूजर हैं। फंडिंग के आखिरी दौर में मोबिक्विक ने अबु धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी से इस साल जून में करीब 2 करोड़ डॉलर जुटाए हैं और उसका मूल्यांकन करीब 75 करोड़ डॉलर है। डीआरएचपी के मुताबिक, फिनटेक फर्म ने वित्त वर्ष 21 में 111.3 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया जबकि वित्त वर्ष 20 व वित्त वर्ष 19 में उसका नुकसान क्रमश: 99 करोड़ रुपये व 147.9 करोड़ रुपये रहा था।
