डिब्बाबंद भोजन से लेकर साबुन, डिटरजेंट और हेयर ऑयल जैसे कंज्यूमर स्टैपल्स क्षेत्रों की कंपनियों ने बढ़ते उत्पादन लागत दबाव से निपटने के लिए पिछले कुछ महीनों में कीमतों में 5 से 7 प्रतिशत के बीच इजाफा किया है। चाय क्षेत्र में, कीमत वृद्घि 10-15 प्रतिशत तक रही है और इस क्षेत्र के विश्लेषकों मानना है कि इससे कंपनियों को जिंस कीमतों में तेजी का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।
भले ही कीमत वृद्घि तेज उत्पादन लागत की वजह से हुई है, लेकिन यह एफएमसीजी कंपनियों के लिए जिंसों में तेजी से मुकाबले के लिए एकमात्र माध्यम नहीं है। एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियों ने कुछ अन्य उपायों का भी सहारा लिया है जिनमें उत्पाद मिश्रण में बदलाव के साथ साथ आक्रामक लागत बचत कार्यक्रमों पर जोर देना भी शामिल है। कंपनियां इन उपायों को अपना रही हैं, क्योंकि कीमत वृद्घि को काफी हद तक विवेकपूर्ण समझा जा रहा है।
पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ कैटेगरी प्रमुख मयंक शाह कहते हैं, ‘मैं नहीं मानता कि कंपनियां (चाहे फूड हो या गैर-फूड क्षेत्र) भारी कीमत वृद्घि कर सकती हैं। जहां ग्रामीण इलाकों में मांग मजबूत बनी हुई है, वहीं दूरदराज के इलाकों में खरीदारी क्षमता सीमित है। दूसरी तरफ, शहरी इलाकों में सुधार धीमी गति से दिख रहा है। हम क्रीम्स और कूकीज जैसे ज्यादा मार्जिन वाले उत्पादों पर ध्यान देने के लिए उत्पाद मिश्रण में बदलाव ला रहे हैं, क्योंकि ग्राहक अब धीरे धीरे इन उत्पादों की ओर रुख कर रहे हैं।’
बाजार शोधकर्ता नीलसन आईक्यू ने अक्टूबर-दिसंबर 2020 की अवधि के लिए अपने तिमाही अपडेट में कहइा है कि खाद्य श्रेणियों ने पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्घि दर्ज की। नीलसन ने कहा है, ‘वृद्घि मजबूत थी और स्टैपल फूड सेगमेंट ने दिसंबर तिमाही में एक साल पहले के मुकाबले 18 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की। अन्य कई श्रेणियों में भी सुधार दर्ज किया गया।’
नीलसन के अनुसार, दूसरी तरफ, होम ऐंड पर्सनल केयर बाजार ने दिसंबर तिमाही में खपत-केंदित रिकवरी दर्ज की और एक साल पहले के मुकाबले 5 प्रतिशत की बिक्री वृद्घि दर्ज की। प्रीमियम और डिस्क्रेशनरी उत्पादों में तेजी कंपनियों को इन पर अपना ध्यान बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मुंबई की मैरिको ने अपने हेयर ऑयल व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित किया है जिसका उसके घरेलू एफएमसीजी व्यवसाय में मौजूदा समय में 24 प्रतिशत का योगदान है। दिसंबर तिमाही में इस व्यवसाय ने 21 प्रतिशत की बिक्री वृद्घि दर्ज की। इससे कंपनी को भविष्य के लिए अपनी रणनीति में बदलाव लाने की प्रेरणा मिल रही है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल), गोदरेज कंज्यूमर, डाबर और इमामी जैसी कंपनियों ने संकेत दिया है कि उनका मुख्य जोर प्रीमियम पर्सनल केयर उत्पादों पर रहेगा, क्योंंकि शहरी इलाकों में अब इनकी मांग में सुधार आने लगा है।
एचयूएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा, ‘सितंबर तिमाही में, शहरी मांग नकारात्मक दायरे में थी। लेकिन पिछले तीन महीनों में यह सुधरी है, हालांकि यह सुधार निचले स्तरों पर ही है। टीके की पेशकश के आधार पर भी शहरी मांग बढ़ेगी।’
एफएमसीजी कंपनियों ने अपना मार्जिन सुरक्षित बनाने के लिए पिछले कुछ वर्षों से लागत बचत कार्यक्रमों पर भी जोर दिया है। उदाहरण के लिए, डाबर इंडिया को अगले दो वर्षों में अपने ‘प्रोजेक्ट समृद्घि’ कार्यक्रम के जरिये 80-100 करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है।
