डेलॉयट के कार्यबल एवं वेतन वृद्धि रुझान सर्वेक्षण के शुरुआती अनुमानों के मुताबिक वर्ष 2022 में औसत सालाना वेतन बढ़ोतरी 8.6 फीसदी के करीब रहेगी। कोविड से पहले भी वेतन बढ़ोतरी का कमोबेश यही स्तर था। सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के महीनों में कारोबारी आत्मविश्वास में धीरे-धीरे सुधार दिखा है, जिसक कारण सर्वेक्षण में शामिल करीब 25 फीसदी कंपनियों ने वर्ष 2022 में दो अंकों में वेतन वृद्धि का अनुमान जताया।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि महामारी की वजह से 2020 में लगाए गए लॉकडाउन और यात्रा बंदिशों के बाद औसत वेतन बढ़ोतरी घटकर 4.4 फीसदी रह गई थी। लेकिन हाल के महीनों में कारोबारी रुझानों में सुधार से वर्ष 2021 में भारत में औसत वृद्धि करीब 8 फीसदी रहने का अनुमान है।
भारत में यह बी2बी सर्वेक्षण जुलाई में किया गया, जिसमें दो दर्जन से अधिक क्षेत्रों और उप-क्षेत्रों की 450 कंपनियों के मानव संसाधन (एचआर) पेशेवरों ने हिस्सा लिया। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार 2021 में 92 फीसदी कंपनियों ने 8 फीसदी की औसत वेतन वृद्घि की थी, जबकि 2020 में केवल 4.4 फीसदी इजाफा हुआ था। उस समय केवल 60 फीसदी कंपनियों ने वेतन बढ़ाया था। डेलॉयट के सर्वेक्षण में कहा गया है कि अगर वेतन वृद्धि 8.6 फीसदी तक पहुंच जाती है तो यह महामारी से पहले साल 2019 में हुई वेतन वृद्घि के बराबर होगी।
सर्वेक्षण में शामिल लगभग 25 फीसदी कंपनियों ने वर्ष 2022 के लिए दोहरे अंकों की वृद्धि का अनुमान जताया है। डेलॉयट तोश तोमात्सु इंडिया एलएलपी के पार्टनर आनंदरूप घोष ने कहा कि अधिकतर कंपनियां 2022 में 2021 के मुकाबले अधिक वेतन वृद्घि का अनुमान जता रही हैं मगर बाजार कोविड-19 के कारण अनिश्चितता से भरे माहौल में काम कर रहा है। घोष ने कहा ‘सर्वेक्षण में शामिल कुछ लोगों ने 2021 का वेतन वृद्घि का चक्र हाल ही में पूरा किया है, इसलिए 2022 की वेतन वृद्धि उनके लिए अभी दूर है। वित्त वर्ष 2021-22 के जीडीपी पूर्वानुमान दूसरी लहर के बाद बदले गए थे और हमें उम्मीद है कि संगठन अगले साल अपनी स्थिर लागत के प्रबंधन में इस पर करीबी नजर रखेंगे।’
क्षेत्रवार बात करें, तो सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में सर्वाधिक वेतन वृद्धि की संभावना है। इसके बाद जीवन विज्ञान क्षेत्र का स्थान आता है। आईटी ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि वह कुछ डिजिटल/ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ सर्वाधिक वेतन वृद्धि देने की योजना बना रहा है।
खुदरा, अतिथि-सत्कार, रेस्तरां, बुनियादी ढांचा और रियल एस्टेट कंपनियां अपने कारोबार की रफ्तार के हिसाब से ही सबसे कम वेतन वृद्घि का अनुमान लगा रही हैं। सभी कर्मचारियों को समान वेतन वृद्धि मिलने की उम्मीद नहीं है क्योंकि संगठन कौशल और प्रदर्शन के आधार पर वेतन वृद्धि में अंतर रख रहे हैं। शीर्ष प्रदर्शन करने वाले औसत प्रदर्शन करने वालों की तुलना में लगभग 1.8 गुना वेतन वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। डेलॉयट के पार्टनर अनुभव गुप्ता के अनुसार संगठन कर्मचारियों पर आने वाली लागत को अपने कर्मचारियों के लिए बेहतरीन ढंग से संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो कई संगठनों के लिए कुछ वर्षों से मुश्किल काम रहा है।
वर्ष 2021 में करीब 12 फीसदी कर्मचारियों को पदोन्नति मिली, जबकि 2020 में आंकड़ा केवल 10 फीसदी था। लगभग 12 फीसदी कंपनियों ने अपनी पुरस्कार संरचनाओं को बदलती प्राथमिकताओं के अनुरूप करने के लिए अपने बोनस या वेरिएबल पे के ढांचे में सुधार किया है। नौकरियां देने के बारे में पूछे जाने पर 78 फीसदी कंपनियों ने कहा कि उन्होंने उसी रफ्तार से नौकरी पर रखना शुरू कर दिया है, जिस रफ्तार से वे कोविड-19 से पहले नौकरी पर रखा करती थीं।
सर्वेक्षण में केवल 25 फीसदी कंपनियों ने ही कर्मचारियों के काम पर लौटने की रणनीति तय करने के लिए कर्मचारियों से उनकी पसंद पूछी है। सर्वेक्षण में पाया गया है ‘पसंदीदा कार्यस्थल के संबंध में कर्मचारी वरीयताओं का आकलन करने में आईटी क्षेत्र सबसे ज्यादा सक्रिय रहा है। ज्यादातर मामलों में जहां इस तरह का सर्वेक्षण किया गया था, कर्मचारी किसी हाइब्रिड कार्य व्यवस्था को पसंद करते दिखे हैं। हालांकि देश भर में केवल 40 फीसदी संगठनों ने काम पर लौटने की अपनी रणनीति को अंतिम रूप दिया है।’
अधिकांश संगठनों ने काम पर लौटने की अपनी रणनीति को अंतिम रूप नहीं दिया है, लेकिन लगभग 90 फीसदी संगठनों ने कहा कि वे भविष्य में हाइब्रिड ढांचा तैयार कर सकते हैं। हालांकि कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कब और कितना विकल्प चुनने के संबंध में स्थायी छूट प्रदान करना ज्यादा पसंद किया जाने वाला विकल्प नहीं था।
लाइन मैनेजरों से मंजूरी या घर से काम करने के दिनों की संख्या के संबंध में सीमा निर्धारित करना कंपनियों द्वारा पसंद किए जाने वाले अधिक सामान्य विकल्प रहे। परिणामस्वरूप केवल 1 फीसदी संगठनों द्वारा केवल घर से काम करने वाले प्रारूप का इस्तेमाल किए जाने की संभावना है, जबकि 88 फीसदी संगठन अपने कर्मचारियों को स्थायी आधार पर किसी भी स्थान से काम करने की अनुमति देने की योजना नहीं बना रहे हैं।
