टायर उद्योग फिलहाल ज्यादा प्राकृतिक रबर के आयात पर विचार कर रहा है क्योंकि पिछले पांच हफ्ते के दौरान कीमतों में 33 फीसदी की तेजी आई है।
प्राकृतिक रबर की घरेलू बाजार और दुनिया भर की मौजूदा कीमतों में काफी फर्क आया है। मौजूदा बेंचमार्क ग्रेड आरएसएस-4 की भारतीय कीमतों में दुनिया के मुकाबले 13-14 फीसदी की बढ़त हुई है। इसी वजह से टायर की बड़ी कंपनियों के लिए आयात ही एक बेहतर जरिया नजर आ रहा है।
दरअसल टायर उद्योग कार और दोपहिए वाहन के टायर के सेगमेंट की बिक्री के सुधार के लिए अपने भंडारण का विस्तार करना चाहते हैं। ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने एक बयान जारी किया है जिसमें यह कहा गया है कि 1 मार्च तक प्राकृ तिक रबर 69 रुपये प्रति किलोग्राम की दर के स्तर से बढ़कर फिलहाल इसकी कीमत 94 रुपये हो गई है।
घरेलू रबर बाजार में इससे कीमतें अब जादुई 100 रुपये प्रति किलोग्राम के आंकड़े तक पहुंच चुकी है और इसने दुनिया के बाजार से अलग ही रुख अख्तियार किया है। हालांकि वैश्विक कीमतों में स्थिरता का ट्रेंड नजर आ रहा है वहीं भारतीय बाजार में रोजाना कीमतों में 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़त हो रही है।
दिलचस्प बात है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में अस्थिरता का रुख अब कमजोर पड़ चुका है। मिसाल के तौर पर थाईलैंड जो दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक रबर उत्पादक है वहां भी मार्च में कीमतों में केवल 4 फीसदी की बढ़त दिखी और 1 मार्च के 74 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले 31 मार्च को 77 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।
भारत में इसी अवधि में प्राकृतिक रबर की कीमतों में 23 फीसदी तक की तेजी आई और यह 1 मार्च को 69 रुपये से बढ़कर 31 मार्च को 85 रुपये हो गई। बाजार के विशेषज्ञ भी मौजूदा ट्रेंड के बारे में कोई दलील नहीं दे पा रहे हैं। आरएसएस-4 ग्रेड की कीमत कोट्टयम बाजार में आज 94 रुपये प्रति किलोग्राम है वहीं दुनिया भर में कीमत 80-81 रुपये है।
जब पिछले दिसंबर में प्राकृतिक रबर की कीमत 65 रुपये प्रति थी तब किसानों ने कीमतों के 80 रुपये तक पहुंचने का अंदाजा लगाया। कीमतें जब 85 रुपये के स्तर को भी पार कर गई तब किसान 100 रुपये प्रति किलोग्राम का इंतजार कर रहे हैं।
एटीएमए के महानिदेशक राजीव बुद्धिराजा का कहना है, ‘रबर के वायदा कारोबार के कुछ सटोरियों ने बाजार की यह स्थिति कर दी है। अब तो प्राकृतिक रबर की आपूर्ति ही एक मुद्दा बन चुका है।