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नोवार्टिस का वायमाडा पेटेंट रद्द, जेनेरिक दवाएं सस्ती होने के आसार

इस कदम से जेनेरिक दवाओं के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे कीमतों में 70 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आने की संभावना है

Last Updated- September 16, 2025 | 11:07 PM IST
Novartis

भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा नोवार्टिस की दवा (हृदय रोग) वायमाडा पर पेटेंट रद्द करने के फैसले से देश के 550 करोड़ रुपये के इस चिकित्सा बाजार का स्वरूप बदलने वाला है। इस कदम से जेनेरिक दवाओं के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे कीमतों में 70 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आने की संभावना है और भारत के हृदय रोगियों के लिए इन दवाओं तक पहुंच में बड़ा सुधार होगा।

विश्व स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण हृदय रोग दवाओं में से एक मानी जाने वाली वायमाडा भारत के 23,000 करोड़ रुपये के हृदय रोग दवा खंड में 2.4 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है। इस चिकित्सा ने 37 प्रतिशत की शानदार वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की है, जो मजबूत लोकप्रियता और बढ़ती मांग को दर्शाती है।

प्राइमस पार्टनर्स के ग्रुप सीईओ और सह-संस्थापक निलय वर्मा ने कहा, ‘लगभग 550 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ, वायमाडा की भारत में महत्वपूर्ण उपस्थिति है।’ उन्होंने कहा, ‘पेटेंट रद्द होने के साथ, 15 से अ​धिक प्रमुख भारतीय दवा कंपनियां अगले दो से तीन महीनों में जेनेरिक दवाएं पेश करने की स्थिति में हैं।’

पेटेंट रद्द होने से विश्लेषकों को भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा गहराने का अनुमान है। जहां मौजूदा समय में कीमतें 650-700 रुपये प्रति स्ट्रिप के आसपास चल रही हैं, वहीं अब इनमें तेज गिरावट आ सकती है।

पेटेंट कार्यालय ने अपने फैसले में कहा कि नोवार्टिस के पेटेंट में नवीनता और तकनीकी प्रगति का अभाव है तथा कंपनी पूर्व खुलासों की तुलना में अपने सुपरमॉलीक्यूलर कॉम्प्लेक्स की बढ़ी हुई चिकित्सीय प्रभावकारिता या तुलनात्मक लाभ दिखाने में विफल रही है।

पिछले कुछ वर्षों में, नोवार्टिस की कानूनी कार्रवाई के बाद नैटको, टॉरंट फार्मा, एमएसएन लैब्स और एरिस लाइफसाइंसेज की जेनेरिक दवाओं पर अदालतों द्वारा रोक लगा दी गई थी, जबकि कुछ कंपनियों ने ‘जोखिम में’ शुरुआत की थी।

वायमाडा का पेटेंट रद्द होने से भारत में एक बड़ा हृदय संबंधी बाजार खुल गया है, जिसमें सैक्यूबिट्रिल-वाल्सार्टन ने पहले ही खुद को एक हाई-वैल्यू प्रोडक्ट के रूप में स्थापित कर लिया है।

आशिका ग्रुप में फार्मा विश्लेषक निराली शाह ने कहा, ‘जेनेरिक दवाओं के आने से, हमें उम्मीद है कि शुरुआती लॉन्च की कीमतें महंगी होंगी, लेकिन प्रतिस्पर्धा के कारण अगले 12-18 महीनों में कीमतों में 50-70 प्रतिशत तक की कमी आएगी। इससे दवा तक मरीजों की पहुंच में सुधार आएगा और दवा निर्माताओं के लिए रिटर्न सामान्य हो जाएगा।’

First Published - September 16, 2025 | 11:05 PM IST

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