पिछले एक साल में शेयर बाजार में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। Nifty-500 कंपनियों की कमाई पिछले पांच तिमाहियों में सबसे ज्यादा बढ़ी है। यह बढ़त खास तौर पर मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों की वजह से हुई है। मिड-कैप कंपनियों की कमाई 27% बढ़ी, जबकि स्मॉल-कैप कंपनियों की कमाई 37% बढ़ी, जो बड़ी कंपनियों की तुलना में कहीं ज्यादा है। इसके मुकाबले Nifty-100 (बड़ी कंपनियों) की कमाई सिर्फ 10% ही बढ़ी। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक बड़े शेयर कमजोर रहे, लेकिन छोटे और मझोले शेयरों ने बाजार को मजबूती दी। बाजार में उतार-चढ़ाव और कम मांग के बावजूद छोटे शेयरों का प्रदर्शन बहुत मजबूत रहा।
इस तिमाही में कैपिटल गुड्स, तेल और गैस, मेटल, एनबीएफसी और टेलिकॉम जैसे सेक्टरों ने बाजार को संभालने में बड़ी मदद की। सीमेंट सेक्टर की कमाई 211% बढ़ीं, जो लगातार दूसरी तिमाही में मजबूत प्रदर्शन है। टेलिकॉम कंपनियों ने भी अच्छा मुनाफा कमाया। पिछले साल जहां नुकसान हुआ था, इस बार फायदा हुआ है। रिटेल कंपनियों को त्योहारों की वजह से ज्यादा बिक्री मिली और रियल एस्टेट कंपनियों की भी अच्छी बिक्री और कमाई हुई। दूसरी ओर, ऑटो उद्योग में एक बड़े पैसेंजर व्हीकल निर्माता की कमजोरी ने पूरे सेक्टर को नुकसान पहुंचाया।। प्राइवेट बैंकों की कमाई भी कम रही, जिसकी वजह से निफ्टी-100 का प्रदर्शन कमजोर पड़ गया।
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हालांकि कंपनियों पर खर्च का दबाव बढ़ रहा है, फिर भी उनका EBITDA मार्जिन बेहतर हुआ है। बीएफएसआई को छोड़कर बाकी कंपनियों का मार्जिन 120 बेसिस पॉइंट बढ़ा है। लेकिन अगर मेटल और तेल-गैस जैसे कमोडिटी सेक्टरों को अलग कर दें, तो बाकी सेक्टरों का मार्जिन थोड़ा कम हुआ है। इसका मतलब यह है कि मार्जिन में जो मजबूती दिख रही है, वह ज्यादातर सिर्फ कुछ चुनिंदा सेक्टरों की वजह से है। सभी उद्योगों में यह सुधार बराबर दिखाई नहीं दे रहा।
FY26 की पहली छमाही में निफ्टी-500 इंडेक्स की कमाई 12 प्रतिशत बढ़ी है। मिड-कैप कंपनियों ने 23 प्रतिशत की बढ़त दिखाई, जबकि स्मॉल-कैप कंपनियां 19 प्रतिशत की बढ़त के साथ आगे रहीं। बड़ी कंपनियां सबसे पीछे रहीं और उनकी कमाई सिर्फ 9% बढ़ी। यह भी खास बात है कि निफ्टी-500 की लगभग आधी कंपनियों ने 15% से ज्यादा मुनाफा कमाया, जबकि बहुत कम कंपनियों की कमाई 15% से ज्यादा घटी।
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कमाई अच्छी होने के बावजूद मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों की कीमतें उनके पुराने औसत के मुकाबले काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। नवंबर 2025 में निफ्टी मिडकैप-100 का पी/ई करीब 29 गुना है, जो उसके लंबे समय के औसत से बहुत ऊपर है। स्मॉल-कैप इंडेक्स का पी/ई भी अपने पुराने औसत से काफी ज्यादा है। इसके मुकाबले निफ्टी-50 का वैल्यूएशन लगभग सामान्य है। इसका मतलब यह है कि छोटे और मझोले शेयरों में कीमतें कमाई से ज्यादा तेजी से बढ़ी हैं, जिससे आगे चलकर निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ सकता है।
रिपोर्ट बताती है कि बाजार में इस समय तीन बड़े बदलाव हो रहे हैं। पहला, बड़ी कंपनियों की जगह अब छोटे और मझोले शेयर ज्यादा कमाई दिखा रहे हैं और आगे निकल रहे हैं। दूसरा, तेल-गैस, मेटल, सीमेंट और कैपिटल गुड्स जैसे सेक्टरों की फिर से वापसी हो रही है और ये सेक्टर इस तिमाही में बहुत अच्छी कमाई कर रहे हैं। तीसरा, मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में भले ही तेजी दिख रही है, लेकिन उनकी कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं। इसलिए निवेशकों को सावधानी से कदम रखना चाहिए। कमाई अच्छी है, लेकिन ये शेयर अब बहुत महंगे होते जा रहे हैं, जिससे आगे जोखिम बढ़ सकता है।