केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट के खिलाफ सिंगापुर के साथ भारत की कर संधि के प्रावधानों के कथित दुरुपयोग पर साक्ष्यों के आधार पर मामला बना रहा है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बोर्ड को उम्मीद है कि मामला स्थापित हो जाने के बाद जवाबदेही तय की जाएगी। सीबीडीटी ने सलाहकार फर्म ईवाई और ब्रोकरेज फर्म नुवामा से पहले ही आंकड़े एकत्र कर लिए हैं और अपने डेटा संग्रह को बढ़ा रहा है। अधिकारी के अनुसार, इसके बाद वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। हालांकि इसके लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की गई है।
एक वरिष्ठ कर अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि जांच अभी जारी है और भारत में कई स्रोतों से जानकारी जुटाई जा रही है। रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंपी जाएगी। अधिकारी ने कहा, मामला बनाने की प्रक्रिया लंबी होती है। एक बार मामला बन के बाद कर देनदारी अपने आप तय हो जाएगी। इस बारे में जानकारी के लिए जेन स्ट्रीट और वित्त मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
अधिकारियों ने बताया कि जांच में जटिल कानूनी मुद्दे शामिल हैं। इनमें यह भी शामिल है कि जेन स्ट्रीट की भारतीय इकाई का प्रभावी प्रबंधन स्थल (पीओईएम) क्या वाकई विदेश में था। इस आकलन का इकाई की कर देयता पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि इससे यह तय होता है कि क्या सिर्फ भारतीय स्रोतों से प्राप्त आय पर यहां कर लगेगा या कंपनी की संपूर्ण वैश्विक आय भारत में कर योग्य होगी।
पीओईएम एक वैशिविक स्तर पर मान्यता प्राप्त कर अवधारणा है जिसे आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने स्वीकार किया है। इसका अर्थ है कि किसी विदेशी कंपनी पर भारत में कर लगाया जा सकता है अगर उसके प्रमुख निर्णय और नियंत्रण पूरी तरह से भारत में स्थित हों। चूंकि कंपनी की रेजीडेंसी हर साल तय होती है और पीओईएम की समीक्षा भी सालाना होती है।
अधिकारी इस बात का भी अध्ययन कर रहे हैं कि क्या सामान्य कर निरोधक नियम (जीएएआर) लागू किए जा सकते हैं। अधिकारी ने कहा, अभी तक किसी को भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। जीएएआर नियम कर विभाग को किसी संधि या लेन-देन के लाभों से इनकार करते हैं, अगर यह पाया जाता है कि ऐसा मुख्य रूप से कर भुगतान से बचने के लिए किया गया है।