facebookmetapixel
IndiGo की 180 से अधिक उड़ानें रद्द, नए नियमों से बढ़ी पायलटों की कमीभारत नहीं अब इन 7 देशों में लगेगा विदेशी पैसा- मार्क फैबर का दावाITR फाइल करने के महीनों बाद भी नहीं आया रिफंड, कहां रुका है पैसा? आ गया I-T विभाग का जवाबFitch ने बढ़ाया भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान, FY26 में अब 7.4% की दर से बढ़ेगी इकॉनमीPutin India visit 2025: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत आएंगे: चेक करें समय और पूरा शेड्यूलLPG आयात पर भारतीय रिफाइनर घटाएंगे शिपिंग खर्च, और 4 US कार्गो खरीद का दूसरा टेंडर जल्द₹474 करोड़ के आर्डर से 20% उछला SmallCap Stock, ₹30 से भी कम है शेयर का भावGold, Silver Price Today: चांदी की कीमतों में तेजी, सोना तेज शुरुआत के बाद लुढ़काडॉलर बॉन्ड की मांग धड़ाम! भारतीय कंपनियों का भरोसा अब सिर्फ रुपये परवैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत: IMF के हेराल्ड फिंगर

भारत नहीं अब इन 7 देशों में लगेगा विदेशी पैसा- मार्क फैबर का दावा

मार्क फैबर का कहना है कि अगले साल विदेशी निवेश भारत में नहीं आएगा, बल्कि इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, हांगकांग, ब्राजील, कोलंबिया और चिली जैसे देशों की ओर जाएगा

Last Updated- December 04, 2025 | 1:13 PM IST
MARC FABER

2025 उतार चढ़ाव से भरा रहा है और अब दुनिया भर के बाजार 2026 की तैयारी कर रहे हैं। मार्क फैबर जो द ग्लूम बूम एंड डूम रिपोर्ट के संपादक हैं उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड के पुनीत वाधवा से बातचीत में बताया कि इंडोनेशिया, मलेशिया थाईलैंड, हांगकांग, ब्राजील, कोलंबिया और चिली जैसे बाजार अगले साल अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

क्या 2026 में अमेरिकी शुल्क से फिर नई परेशानी होगी

मार्क फैबर का मानना है कि शुल्क किसी के लिए भी अच्छे नहीं होते। अमेरिका पर इसका सबसे खराब असर पड़ेगा क्योंकि इनसे अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है। फेडरल रिजर्व ब्याज दरें कम कर सकता है लेकिन लंबी अवधि की ब्याज दरें जरूरी नहीं कि कम हों। अगर बॉन्ड बाजार ने दरों में कटौती को पसंद नहीं किया तो लंबी अवधि की ब्याज दरें बढ़ भी सकती हैं जिससे शेयर बाजार पर बुरा असर पड़ेगा।

क्या बाजार इन जोखिमों को समझ रहे हैं

शेयर बाजार अब बॉन्ड बाजार से बहुत प्रभावित रहता है। अगर बॉन्ड की कीमतें नीचे जाती हैं और ब्याज दरें बढ़ती हैं तो शेयर बाजार इसे पसंद नहीं करेगा। अमेरिका में शेयरों के दाम पहले से ही काफी ऊंचे हैं और अगर ब्याज दरें कम नहीं होतीं तो बाजार पर दबाव पड़ सकता है।

क्या AI वाली कंपनियों का दौर खत्म हो रहा है

मार्क फैबर के अनुसार ए आई क्षेत्र का महत्व खत्म नहीं हुआ है लेकिन इस क्षेत्र के शेयर बहुत महंगे हो चुके हैं। तकनीक महत्वपूर्ण है लेकिन शेयरों की कीमत पहले से ही भविष्य की सफलता को मानकर चल रही है। फैबर को इसमें साल 2000 वाली इंटरनेट बुलबुले जैसी स्थिति दिखती है जब इंटरनेट सही तकनीक थी पर उसके शेयर भारी गिरावट में चले गए थे।

2026 के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था के जोखिम क्या हैं

फैबर कहते हैं कि पश्चिमी देशों की सामाजिक व्यवस्था स्थिर नहीं है। दुनिया में कई जगह भूराजनैतिक तनाव भी बढ़ रहा है जैसे पश्चिम एशिया, वेनेजुएला और यूक्रेन। इसके साथ ही दुनिया भर में कर्ज बहुत बढ़ गया है और सरकारें सबसे बड़ी कर्जदार बन चुकी हैं। ऐसे में सरकारें ज्यादा पैसा छापने की ओर जाती हैं जिससे महंगाई और बढ़ती है। उनके मुताबिक दुनिया में सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक सभी तरह के खतरे मौजूद हैं।

क्या उभरते बाजार विकसित देशों को पीछे छोड़ सकते हैं

उभरते बाजार पिछले 15 साल से अमेरिका से पीछे चल रहे हैं लेकिन फैबर का मानना है कि आने वाले समय में लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। लंबी अवधि में भारत भी अमेरिका से बेहतर कर सकता है।

क्या भारतीय बाजार में तेजी चौंकाती है

फैबर कहते हैं कि यह उन्हें नहीं चौंकाता। भारत में शेयर बाजार रुपये में जरूर ऊपर गया है लेकिन डॉलर में वह नीचे है। सितंबर 2024 के बाद से भारतीय बाजार डॉलर के लिहाज से नई ऊंचाई नहीं छू पाया है। सोने और चांदी के लिहाज से भी भारतीय बाजार कमजोर दिखता है।

भारत से निवेशकों को अगले साल क्या उम्मीद करनी चाहिए

फैबर का अनुमान है कि भारत से बहुत अच्छे मुनाफे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। डॉलर के हिसाब से भारतीय बाजार पिछले 12 महीने में नीचे है जबकि ब्राजील 55 प्रतिशत ऊपर है। दुनिया के कई अन्य बाजार भारत से बेहतर रहे हैं।

2026 में विदेशी निवेश किन देशों की ओर जा सकता है

फैबर के अनुसार इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, हांगकांग, ब्राजील, कोलंबिया और चिली जैसे बाजारों में विदेशी निवेश बढ़ सकता है। भारत के लिए वे अगले 12 महीने अच्छे नहीं मानते क्योंकि यहां दाम बहुत ऊंचे हैं और वैश्विक तनाव भी बढ़ रहे हैं।

क्या दुनिया के अधिकतर बाजार कमजोर रहेंगे

फैबर का मानना है कि दुनिया के ज्यादातर शेयर बाजार अगले साल अच्छा प्रदर्शन नहीं करेंगे। कुछ जगह अवसर जरूर होंगे जैसे थाईलैंड के कुछ बैंक अच्छे डिविडेंड दे रहे हैं लेकिन सिर्फ किसी एक क्षेत्र में पैसा लगाकर पूरी दुनिया की रणनीति नहीं बनाई जा सकती। वे यह भी कहते हैं कि कागजी मुद्रा यानी डॉलर, यूरो और रुपया लगातार अपनी कीमत खो रहे हैं। अगर दुनिया के शेयर बाजारों को सोने या चांदी में मापा जाए तो वे नीचे दिखेंगे।

सोना और चांदी पर राय

फैबर कहते हैं, 30 साल से मैं भारतीय निवेशकों को सोना और चांदी रखने की सलाह देता आया हूं। मुझे नहीं पता कि इनकी कीमत कितनी ऊपर जाएगी लेकिन इतना जरूर जानता हूं कि कागजी मुद्रा यानी नोट की खरीदने की ताकत समय के साथ घटती ही रहती है जैसा कि दशकों से होता आया है। भारत में ऐसा कोई सामान नहीं है जो 30 साल पहले से आज सस्ता हो गया हो। मैं किसी खास कीमत का अनुमान नहीं देता लेकिन अगर आप नकद रूप में सुरक्षित धन रखना चाहते हैं तो उसका कुछ हिस्सा सोने चांदी या प्लेटिनम में रखना चाहिए।

2026 के लिए अंतिम सलाह

फैबर निवेशकों को सावधानी बरतने और निवेश को अलग अलग जगह लगाने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि बाजार बहुत महंगे हैं लेकिन आम लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। भारत कई देशों से बेहतर स्थिति में है लेकिन पश्चिमी देशों में आम परिवार 20 साल पहले की तुलना में ज्यादा मुश्किल में हैं।

First Published - December 4, 2025 | 1:13 PM IST

संबंधित पोस्ट