मक्के के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बढ़ने की मार उन उद्योगों पर पड़ने जा रही है जिनमें मक्के का बड़े पैमाने पर उपभोग होता है।
गौरतलब है कि मक्के के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 25 फीसदी (220 रुपये प्रति क्विंटल) तक बढ़ाए जाने की बात चल रही है जिससे कुछ उद्योगों की सेहत बिगड़ सकती है। मक्के का उपभोग करने वाले उद्योगों से जुड़े लोगों का कहना है कि इतनी बढ़ोतरी किसी भी लिहाज से जायज नहीं, अगर बढ़ोतरी हो तो 20 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
मक्के की बढ़ी कीमतों से जिन उद्योगों का पसीना निकलने को है उनमें सबसे ऊपर पोल्ट्री कारोबार का नाम है। कुल उत्पादन का 80 फीसदी मक्का का उपभोग तो 40,000 करोड़ रुपये वाला पोल्ट्री उद्योग ही करता है। ऐसे में इस उद्योग से जुड़े लोगों की चिंता लाजिमी ही है। कुछ इसी तरह का हाल घरेलू स्टार्च उद्योग का भी है।
इस उद्योग से कारोबारियों का कहना है कि उनके पास अपने तैयार उत्पादों की कीमतें बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रहेगा। गौरतलब है कि वर्ष 2008-09 के लिए मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 840 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है जबकि पिछले साल यही 620 रुपये प्रति क्विंटल था।
नैशनल ऐग कॉ-ऑर्डिनेशन कमिटी (एनईसीसी) की चेयरपर्सन अनुराधा देसाई ने कहा, ‘हमारे कारोबार के लिए अभी मुश्किलें खत्म भी नहीं हुईं थीं और अब एक नई मुसीबत ने दस्तक दे दी है। मक्के के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रस्तावित बढ़ोतरी का सीधा सा मतलब है कि हाजिर बाजार में मक्का एक हजार रुपये प्रति क्विंटल से कम में नही मिलने वाली।
पोल्ट्री उद्योग में मक्का ही मुख्य कच्चा माल है अब जब इसकी कीमतों में इजाफा होगा तो पोल्ट्री उत्पादों की कीमतें भी बढेंगी।’ देश के सबसे बड़े पॉल्ट्री फॉर्मों में से एक वेंकटेश्वर हेचरीज के पूर्व प्रबंध निदेशक ओ पी सिंह ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘पोल्ट्री उद्योग के लिए लागत में कम से कम से 20 फीसदी इजाफा होना तो तय ही है और इसके चलते अंडे और चिकन की कीमतों में निश्चित रूप से बढोतरी हो जाएगी। लागत से कम में कोई अपना उत्पाद आखिर कब तक बेच सकता है?’
दूसरी ओर इस बढ़ोतरी से स्टार्च उद्योग भी खासी परेशानी में है। ऑल इंडिया स्टार्च मैन्युफैक्चर्स असोसिएशन के प्रेजीडेंट अमोल एस सेठ का कहना है, ‘हम मक्के की कीमतों में बढ़ोतरी को सही नहीं ठहरा सकते आखिर इससे हमारी लागत में बढ़ोतरी होना तय है।’ मुंबई के एक स्टार्च निर्माता, सहयाद्रि स्टार्च के प्रबंध निदेशक विशाल मझीठिया का कहना है कि मक्के की कीमतों में तेजी आने से हमारा मार्जिन प्रभावित होगा।
ठीक इसी तरह की बात दिल्ली में मौजूद भारत स्टार्च के महाप्रबंधक (मार्केटिंग) नेविन विज कह रहे हैं। विज का कहना हैं, ‘इस स्थिति में हमारे पास दो ही विकल्प हैं। या तो अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ा दें या फिर कारोबार ही बंद कर दें।’ सिंह के अनुसार पोल्ट्री उद्योग के लिए बहुत मुश्किल वक्त आने वाला है।
उनका कहना है, ‘नई फसल के आने पर लोग एमएसपी पर ही मक्का बेचेंगे ऐसे में पोल्ट्री उद्योग के पास बढ़ी कीमत में खरीदने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रहेगा।’ पिछले सीजन में मक्का का खरीद मूल्य 700 रुपये प्रति क्विंटल था जो इस साल बढ़कर 1,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाएगा।