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लेखक : बीएस संपादकीय

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: सब्सिडी पर नियंत्रण जरूरी, भरपाई के लिए उधारी कोई ठोस रणनीति नहीं

हमारे देश में अक्सर सब्सिडी का इस्तेमाल कल्याण और सामाजिक मदद के लिए किया जाता है। उनकी उपयोगिता, जरूरत और लंबी अवधि के दौरान उनकी व्यावहारिकता हाल के वर्षों में गंभीर बहस का मुद्दा रही है। बहरहाल, देश के बढ़े हुए आम सरकारी ऋण और सीमित राजकोषीय गुंजाइश के संदर्भ में देखें तो सब्सिडी को […]

आज का अखबार, संपादकीय

खाद्य मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति: आर्थिक समीक्षा में उभरी चिंताएं

इस समय लगातार उच्च खाद्य मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति पर इसके असर को लेकर एक दिलचस्प और जीवंत बहस चल रही है। हालांकि यह विषय नया नहीं है और मुद्रास्फीति को लक्षित करने की लचीली व्यवस्था को अपनाए जाने के समय से ही यह बहस का विषय रही है, लेकिन आर्थिक समीक्षा में की गई […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: निवेश सुधार की मिली जुली तस्वीर

मांग के चार प्रमुख कारकों- निजी खपत, निवेश, सरकारी व्यय और निर्यात – में सरकारी व्यय, खासतौर पर पूंजीगत व्यय के माध्यम से होने वाले व्यय ने पिछले कुछ वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि में मुख्य योगदान किया है। उदाहरण के लिए इस वर्ष केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय आवंटन सकल घरेलू उत्पाद के […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: आठवीं आर्थिक जनगणना की तैयारी, मजबूत हो सांख्यिकीय प्रणाली

जैसा कि इस समाचार पत्र में भी हाल ही में प्रकाशित हुआ, केंद्र सरकार ने आठवीं आर्थिक जनगणना की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि अगले वर्ष उसकी औपचारिक शुरुआत कर दी जाएगी। आर्थिक जनगणना एक अहम उपाय है जो देश भर के प्रतिष्ठानों के ढांचों और परिचालन को लेकर विस्तृत […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: अफसरशाही में लैटरल एंट्री की आवश्यकता क्यों? सरकार ने 45 विशेषज्ञ पदों के लिए आवेदन मांगे

संघ लोक सेवा आयोग ने संयुक्त सचिव और निदेशक/उप सचिव स्तर के 45 पदों के लिए तीन वर्ष की अवधि के अनुबंध के वास्ते आवेदन आमंत्रित किए हैं। इस अवधि को बढ़ाकर पांच वर्ष तक किया जा सकता है। यह दिखाता है कि केंद्र सरकार अफसरशाही में लैटरल एंट्री (बाहरी प्रवेश) को लेकर निरंतर प्रतिबद्ध […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial- खनन कर: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करें राज्य, कम हो सकेगा प्रभाव

खनन पर कर लगाने का राज्यों का अधिकार 1 अप्रैल, 2005 की तारीख से प्रभावी तथा बरकरार रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने एक ओर जहां राजकोषीय संघवाद के सिद्धांतों को मजबूती प्रदान की है, वहीं दूसरी ओर उसने खनन कंपनियों पर भारी वित्तीय देनदारी भी थोपी है। उद्योग जगत के मुताबिक निजी और सार्वजनिक क्षेत्र […]

संपादकीय

Editorial: टेलीमार्केटिंग कॉल- TRAI के हालिया आदेश को प्रभावी ढंग से लागू करना जरूरी, तभी मिलेगी स्पैम से निजात

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इस सप्ताह के आरंभ में एक आदेश जारी किया जिसका उद्देश्य स्पैम फोन कॉल पर अंकुश लगाना है। इसमें रिकॉर्डेड संदेश भी शामिल हैं। टेलीमार्केटिंग करने वालों की ओर से अवांछित और स्पैम कॉल हाल के महीनों में तेजी से बढ़ी हैं जिससे मोबाइल उपभोक्ताओं की निजता का हनन […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: बैंकों के ऋण और जमा वृद्धि के बीच कैसे कम होगा अंतर?

हाल के दिनों में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास दोनों ने बैंकिंग क्षेत्र में ऋण और जमा वृद्धि के बीच बढ़ते अंतर को लेकर चिंता जताई। दास इस विसंगति के बारे में सार्वजनिक रूप से पहले से ही चर्चा करते रहे हैं। उदाहरण के लिए गत सप्ताह […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: सेबी में व्यवस्थागत कमियां, भरोसा मजबूत करने के लिए सुधार की जरूरत

अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने बीते कुछ दिनों में अदाणी समूह से जुड़े मामले में नए आरोप लगाए हैं। इस बार उसके निशाने पर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) तथा उसकी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच हैं। हिंडनबर्ग ने अदाणी मामले की जांच में सेबी की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं और आरोप […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: भारती एंटरप्राइजेज को ब्रिटेन की BT Group के साथ सौदे से होगा लाभ

भारती एंटरप्राइजेज की अंतरराष्ट्रीय निवेश इकाई ने ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी बीटी ग्रुप में 24.5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की है। भारती एंटरप्राइजेज ‘एयरटेल’ ब्रांड नाम से दूरसंचार सेवाओं का संचालन करती है। कंपनी यह हिस्सेदारी दूरसंचार निवेश कारोबार से जुड़ी इकाई ए​ल्टिस से खरीद रही है। ए​ल्टिस पर भारी भरकम कर्ज है और […]

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