देशभर में कई स्कूलों ने बच्चों को दिवाली पर बम..पटाखे नहीं छोड़ने की शपथ दिलाई। बच्चों को बताया गया कि अत्यधिक आतिशबाजी से प्रदूषण बढ़ता है जिसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। पटाखे..फुलझड़ी नहीं छोड़कर बच्चों को पर्यावरण के अनुकूल और सुरक्षित दिवाली मनाने के लिये प्रोत्साहित किया गया। इसका असर दिवाली में बम..पटाखों की बिक्री में आई गिरावट के रूप में सामने आया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा पटाखों के दाम हालांकि, इस बार 10 से 15 प्रतिशत तक उंचे है, लेकिन इनकी मांग में जो कमी आई है उसके पीछे बच्चों को बढ़ते प्रदूषण के प्रति जागरूक बनाने और स्कूल में उन्हें पटाखे नहीं छोड़ने की दिलाई गई शपथ मुख्य वजह है।
एसोचैम के सर्वेक्षण में अहमदाबाद, बैंगलूर, भोपाल, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, कानपुर, कोलकाता, लखनउ, मुंबई, पटना, पुणे और सूरत जैसे शहरों में 150 स्कूलों के 1,000 छात्रों से बातचीत की गई। इसमें 200 खुदरा एवं थोक व्यापारियों से भी बातचीत की गई और उनसे इन शहरों में पटाखों की बिक्री के बारे में पूछा गया।
पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरकता, पटाखे बेचने के लिये लाइसेंस देने के मामले में स्थानीय प्रशासन की सख्ती तथा अन्य अहम् मुद्दे हैं जिनकी वजह से बम पटाखों की बिक्री में कमी आई है।
एक अनुमान के अनुसार देश में बम पटाखों का बाजार 1,500 करोड़ रपये का है। देश में तमिलनाडु का शिवकाशी शहर ही पटाखों का अकेले 90 प्रतिशत कारोबार करता है। यहां पटाखे बनाने के संगठित और गैर..संगठित क्षेत्र की करीब 9,000 इकाइयां हैं।
भाषा
नननन