वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधार के बाद केंद्रीय वित्त मंत्रालय अपना ध्यान सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश में तेजी लाने, उनकी परिचालन दक्षता बढ़ाने और उनके पास मौजूद विशाल, अप्रयुक्त परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण पर केंद्रित करेगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी।
सीतारमण ने कहा, ‘हमें विनिवेश पर जोर देना होगा। और मैं इस पर काम करूंगी। कोई नया एजेंडा नहीं है बल्कि मौजूदा एजेंडा है जो कई अलग-अलग कारणों से धीमी गति से चल रहा था। मुझे देखना होगा कि इसे पुनर्जीवित करने और पटरी पर लाने का सबसे अच्छा तरीका क्या होगा।’
विनिवेश विभाग को उम्मीद है कि लंबे समय से अटके आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी बिक्री इसी वित्त वर्ष में पूरी हो जाएगी और उसके लिए दिसंबर तिमाही में वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जा सकती हैं।
सरकार की 25 फीसदी की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंड को पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) जैसी वित्तीय संस्थाओं में हिस्सेदारी बेचने की भी योजना है।
सीतारमण ने कहा कि पिछले सप्ताह जीएसटी दरों में व्यापक कटौती से उच्च उपभोग, निवेश और रोजगार सृजन का अच्छा चक्र शुरू होगा। उन्होंने कहा, ‘सभी को इससे राहत मिलेगी। इससे खपत बढ़ेगी। मांग को बढ़ावा मिलेगा ..निवेश आएगा, क्षमता निर्माण होगा और नौकरियां सृजित होंगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इस कदम से भारतीय उद्योग जगत की इस चिंता को दूर करने में मदद मिलेगी जो कमजोर मांग के कारण निवेश रोक रहे हैं।
सीतारमण ने कहा कि सरकार इस पर नजर रख रही है कि उद्योग जीएसटी दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा, ‘उद्योग या व्यापार के प्रति मेरा दृष्टिकोण विश्वास पर आधारित है। यही वजह है कि वे पहले से ही ग्राहकों को लाभ देने की बात कह रहे हैं। हम चाहते हैं कि लोगों को इसका लाभ मिले। इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि उद्योग कर कटौती का लाभ ग्राहकों को देंगे। इसलिए मैं 22 सितंबर को यह नहीं कह सकती, मैं छड़ी लेकर बैठी हूं।’
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत के निर्यात पर लगाए गए 50 फीसदी शुल्क के असर पर वित्त मंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्र इसके प्रभाव का आकलन कर रहे हैं और सरकार को जानकारी मिलने के बाद वह निर्यातकों की राहत के लिए पैकेज लाएगी। उन्होंने कहा, ‘जब तक कोई उद्योग अपने संबंधित मंत्रालय या विभाग को यह नहीं बताता कि कितना नुकसान है, सरकार कोई सार्थक फैसला नहीं ले सकती। अतिरिक्त शुल्क 27 अगस्त से शुरू हुआ है। हमें आंकड़े जुटाने होंगे उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।’
सीतारमण ने कहा कि इस महीने के अंत तक जीएसटी अपील पंचाट के लिए नियम और संचालन दिशानिर्देश लागू हो जाएंगे और नवंबर तक देश भर में (इसके विभिन्न पीठों में) सुनवाई शुरू हो जाएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘अभी भी हर राज्य में कम से कम एक या दो पंचाट हैं और अपीली पंचाट दिल्ली में होगा। पंचाट और पीठ के नाम तय हो चुके हैं और सब कुछ तैयार है। इसके निष्पादन, अधिकार क्षेत्र, मूल्य आदि जैसे मुद्दों पर काम करने वाला अधिकारियों का समूह अगले 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।’
जीएसटी में आयकर की तर्ज पर मानवीय हस्तक्षेप (फेसलेस) मूल्यांकन की संभावना के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा कि वह इस पर विचार करने से पहले सुधारों के स्थिर होने का इंतजार करेंगी। उन्होंने आगे कहा, ‘फिर हम सभी को साथ लेकर चलेंगे और तय करेंगे कि यह कैसे किया जाए क्योंकि इसमें राज्य जीएसटी (एसजीएसटी), केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) घटक शामिल हैं। फेसलेस का मतलब होगा कि तीनों ही मामलों में फेसलेस प्रक्रिया में राज्यों और केंद्र दोनों की भागीदारी होगी।’
सरकार द्वारा जॉब वर्क पर जीएसटी को 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी करने के निर्णय किया गया है जिससे छोटी कंपनियों, खास तौर पर परिधान क्षेत्र में आउटसोर्स किए गए विनिर्माण कार्य प्रभावित हो सकते हैं। इस बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि यह इस सिद्धांत पर आधारित है कि अधिकांश सेवाओं पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जा रहा है क्योंकि 12 फीसदी का स्लैब समाप्त हो चुका है।
उन्होंने कहा, ‘ यह सेवा की श्रेणी में आता है। विनिर्माता को अपने व्यावसायिक ढांचे में उसके अनुसार सुधार करना होगा। मुझे इस क्षेत्र से सहानुभूति है मगर कर भावनात्मक नहीं हो सकता।’
सीतारमण ने बीमा सेवाओं पर जीएसटी दर शून्य करने से होने वाले राजस्व नुकसान के लिए बीमा फर्मों को राहत देने से इनकार किया है।