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राजनीतिक चंदे पर SC सख्त! ₹2,000 तक कैश चंदा लेने के नियम पर केंद्र, निर्वाचन आयोग से जवाब तलब

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह का योगदान राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता को कमजोर करता है। व्यापक डिजिटल भुगतान के युग में यह तर्कहीन हो गया है।

Last Updated- November 25, 2025 | 9:54 AM IST
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उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग और अन्य से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें आयकर अधिनियम के उस प्रावधान को चुनौती दी गई है जो राजनीतिक दलों को 2,000 रुपये तक का नकद चंदा स्वीकार करने की अनुमति देता है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह का योगदान राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता को कमजोर करता है। व्यापक डिजिटल भुगतान के युग में यह तर्कहीन हो गया है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता का दो सदस्यीय पीठ याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया। याची खेम सिंह भाटी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने तर्क दिया कि राजनीतिक फंडिंग में वित्तीय पारदर्शिता एक संवैधानिक अधिकार है, जिसे शीर्ष अदालत ने चुनावी बांड के फैसले में मान्यता दी है। उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक दलों के लिए कर छूट योगदानकर्ता के विवरण की घोषणा पर निर्भर करती है, जिसमें पैन (स्थायी खाता संख्या) और बैंक जानकारी शामिल है। यदि नकद दान की अनुमति दी गई तो फिर दानदाता के बारे में मांगी जाने वाली जानकारी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।

राजनीतिक दलों को कर में छूट के लिए विशेष प्रावधान

राजनीतिक दलों को कर में छूट के लिए धारा 13ए के तहत विशेष प्रावधान किया गया है। इसका खंड (घ) पार्टियों को नकद में 2000 रुपये तक का चंदा स्वीकार करने की अनुमति देता है। याचिकाकर्ता ने इसे एक अपारदर्शी खामी बताते हुए तर्क दिया कि अकेले जून 2025 में ही यूपीआई लेनदेन 24 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, इसलिए नाम छुपाकर नकद चंदे की व्यवस्था बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं रह जाता।

याचिका में राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल आयकर रिटर्न और योगदान रिपोर्ट के बीच विसंगतियों की ओर भी इशारा किया गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि कुछ संस्थाएं शून्य योगदान की रिपोर्ट करती हैं, जबकि उनके अंतर्वाह को नकद में भुगतान की गई सदस्यता फीस के रूप में वर्गीकृत करती हैं। इसमें चुनाव आयोग को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल फॉर्म 24ए रिपोर्टों का ऑडिट करने और प्राप्त प्रत्येक चंदे के लिए पैन और बैंक विवरण का खुलासा अनिवार्य करने के लिए न्यायिक निर्देश देने की मांग की गई है।

First Published - November 25, 2025 | 9:54 AM IST

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