भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भ्रामक विज्ञापनों और दावा करने वाले पोर्टफोलियो मैनेजरों पर सख्त रुख अपनाया है। सेबी ने ऐसे मैनेजरों को निर्देश दिया है कि वे तुरंत सभी भ्रामक प्रचार सामग्रियों को हटाएं, क्योंकि ये आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं। सेबी ने 10 जून को एसोसिएशन ऑफ पोर्टफोलियो मैनेजर्स इन इंडिया (APMI) को एक पत्र जारी कर कहा कि पोर्टफोलियो मैनेजर्स को अपनी निवेश क्षमताओं या ऐतिहासिक रिटर्न को लेकर कोई ऐसा दावा नहीं करना चाहिए, जिससे निवेशकों को भ्रम हो या वे गुमराह हों।
सेबी ने देखा है कि कुछ पंजीकृत पोर्टफोलियो मैनेजर अपनी पिछली प्रदर्शन और रिटर्न को लेकर अपनी वेबसाइट या सार्वजनिक मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अतिशयोक्तिपूर्ण और बिना आधार वाले विज्ञापन और दावे कर रहे हैं।
सेबी ने पत्र में कहा, “इस तरह के प्रचार मौजूदा और संभावित निवेशकों को गुमराह कर सकते हैं। और यह झूठा आभास दे सकते हैं कि संबंधित संस्थाएं असाधारण रिटर्न देने में सक्षम हैं।” सेबी ने इन सभी संस्थाओं को निर्देश दिया है कि वे तत्काल सभी भ्रामक विज्ञापनों और ग्राहकों के लिए जारी की गई मार्केटिंग सामग्री को वापस लें।
बाजार नियामक सेबी ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन पोर्टफोलियो मैनेजर्स को भेजी गई यह चेतावनी केवल सलाह तक सीमित नहीं है। अगर कोई संस्था नियमों का उल्लंघन करती पाई गई, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। मार्च 2025 तक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) के तहत कुल प्रबंधनाधीन संपत्ति (AUM) करीब ₹37.8 लाख करोड़ थी, और इससे जुड़े ग्राहकों की संख्या लगभग 2 लाख थी।
सेबी ने अपने पत्र में कहा, “पोर्टफोलियो मैनेजर्स यह सुनिश्चित करें कि उनकी वेबसाइट, किसी भी सार्वजनिक मीडिया प्लेटफॉर्म या ग्राहकों को भेजे गए प्रमोशनल मैटेरियल में जारी किए गए सभी विज्ञापन/बयान तथ्यात्मक हों, जांचे-परखे जा सकें और 7 जून 2024 को जारी सेबी के पोर्टफोलियो मैनेजर्स के लिए मास्टर सर्कुलर में उल्लेखित विज्ञापन संहिता का पूरी तरह पालन करते हों।”
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दिसंबर 2024 में बाजार नियामक सेबी ने ‘पास्ट रिस्क एंड रिटर्न वेरिफिकेशन एजेंसी’ (PaRRVA) की स्थापना की थी। इसका मकसद निवेश सलाहकारों, रिसर्च एनालिस्ट्स (RAs), एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स और ऐसे अन्य संस्थानों द्वारा दी जा रही सेवाओं के जोखिम और रिटर्न से जुड़े दावों की जांच और सत्यापन करना है।