US Fed Rate Cut: अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को लगातार तीसरी बार अपनी प्रमुख ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कमी की। इससे दर घटकर लगभग 3.6 प्रतिशत हो गई, जो करीब तीन वर्षों का न्यूनतम स्तर है। फेड का कहना है कि वह अब कुछ समय तक स्थिति पर नजर रखेगा और आगे की दर कटौती का निर्णय आर्थिक हालात के आधार पर ही करेगा।
फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अब अधिकारी आने वाले आर्थिक आंकड़ों को ध्यान से देखेंगे। उन्होंने कहा कि अभी जो ब्याज दर है, वह ऐसी जगह पर है जहां न तो यह अर्थव्यवस्था को ज्यादा तेज करती है और न ही उसे धीमा करती है। ताजा आर्थिक अनुमान रिपोर्ट में भी यह संकेत मिला है कि अगले वर्ष दरों में केवल एक अतिरिक्त कटौती की उम्मीद है।
पिछले कुछ दिनों से भारतीय शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और सेंसेक्स 1 दिसंबर को ऑल टाइम हाई बनाने के बाद 2 फीसदी टूट गए है। हालांकि, फेड के रेट के फैसले के बाद गुरुवार को बाजार में तेजी देखने को मिल रही है। निवेशक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को लेकर फैसले से पहले सतर्क रुख अपना रहे थे।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड के चीफ रिसर्च अधिकारी डॉ. रवि सिंह ने कहा, ”फेड ने कल 25 बेसिस पॉइंट की दर कटौती की और इसका असर तुरंत ही बाजार की धारणा पर दिखाई दिया। निवेशकों को पहले से ही कुछ राहत मिलने की उम्मीद थी। लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा ने उन्हें और भरोसा दिया।”
उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह कदम आम तौर पर अनुकूल माना जाता है। कमजोर डॉलर से रुपये पर दबाव कम होता है और विदेशी निवेशक उभरते बाजारों के प्रति अधिक सकारात्मक रुख अपनाते हैं। ऐसे हालात में भारतीय इक्विटी बाजार को स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है।’
ट्रस्टलाइन होल्डिंग्स के सीईओ एन. अरुणागिरी ने कहा कि वास्तविक महत्व दर कटौती में नहीं, बल्कि फेड कजी तरफ से दिए जा रहे संकेतों में है। 25 बेसिस पॉइंट की कटौती लगभग अनुमान के अनुरूप थी। असली संदेश फेड की बॉन्ड खरीद प्रोग्राम के पैमाने और उसकी तुरंत शुरुआत में छिपा है। बाजार जहां 15 अरब डॉलर की खरीद की उम्मीद कर रहा था, वहीं फेड ने लगभग 40 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है, वह भी तुरंत—शुक्रवार से ही लागू होने के साथ।”
उन्होंने कहा कि यह शार्ट टर्म बॉन्ड यील्ड्स के लिए बेहद सकारात्मक कदम है। इसके अलावा, फेड ने 2026 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को सितंबर के मुकाबले आधा प्रतिशत बढ़ाया है, जो एक और मजबूत संकेत है।
एन. अरुणागिरी के अनुसार, इन सभी तथ्यों को मिलाकर देखें तो शॉर्ट टर्म में बाजार के लिए माहौल अनुकूल दिखता है। हालांकि, आगे की दर कटौती का रास्ता अभी स्पष्ट नहीं है। फेड खुद भी किसी तय रुख के बजाय आने वाले आर्थिक आंकड़ों पर अधिक निर्भर होकर आगे की ढील का फैसला लेने की तैयारी में दिखाई देता है।
वीटी मार्केटस के ग्लोबल स्ट्रैटेजी ऑपरेशंस लीड रॉस मैक्सवेल के अनुसार, फेड की ताजा कटौती वैश्विक बाजारों को राहत देगी। इससे कर्ज सस्ता होगा और नकदी बढ़ेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी ग्रोथ को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।
उन्होंने कहा, ”फेड की बड़ी कटौती करने की सीमित क्षमता भी निवेशकों के उत्साह को रोक सकती है। कमजोर डॉलर से उभरते बाजारों को फायदा मिल सकता है। हालांकि, वैश्विक बाजार अमेरिकी आर्थिक संकेतों के साथ तालमेल बैठाते रहेंगे। इसलिए अस्थिरता की संभावना बनी रहेगी।”
इस बार ब्याज दर में कटौती के फैसले पर तीन अधिकारियों ने असहमति जताई। पिछले छह सालों में पहली बार इतना बड़ा मतभेद देखने को मिला है। इससे पता चलता है कि समिति में लोगों की राय अलग-अलग है। दो अधिकारियों ने दर को स्थिर रखने का समर्थन किया था, जबकि स्टीफन मिरन ने आधा प्रतिशत की ज्यादा कटौती की मांग की। दिसंबर की बैठक में इस मतभेद के और बढ़ने की संभावना है, क्योंकि कुछ सदस्य रोजगार बढ़ाने के लिए कटौती चाहते हैं और कुछ चाहते हैं कि महंगाई ऊंची होने के कारण दर को अभी न बदला जाए।