रूस से भारत में कच्चे तेल की लोडिंग में गिरावट आई है, लेकिन अमेरिका द्वारा 2 प्रमुख रूसी तेल उत्पादकों पर हाल ही में लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद दिसंबर में आवक काफी मजबूत बनी हुई है।
शिपिंग इंटेलिजेंस फर्म केप्लर के आंकड़ों के अनुसार 11 दिसंबर तक रूस से भारत जाने वाले कच्चे तेल की लोडिंग 12.5 लाख बैरल प्रति दिन रही, जबकि 2025 में अब तक यह औसतन 16.8 लाख बैरल प्रति दिन थी। इससे रूस दिसंबर के लिए भारत में कच्चे तेल का शीर्ष आपूर्तिकर्ता बन गया है। उन शिपमेंट को कच्चे तेल की लोडिंग कहा जाता है, जिन्हें मूल उत्पादक देश में लोड करते हैं और उन्हें भारतीय बंदरगाहों पर पहुंचाया जाना होता है। हालांकि केप्लर ने यह भी कहा कि भारत की ओर जाने वाले कई रूसी कार्गो के बारे में यह नहीं पता है कि वे किस बंदरगाह जा रहे हैं। यह महीने के अंत तक स्पष्ट हो जाएगा।
रूस की वित्तीय क्षमता को सीमित करने की कवायद में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 21 नवंबर से रूसी संस्थाओं रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिया, जो रूस से भारत के तेल आयात का लगभग 60 प्रतिशत भेजती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस की निर्यात व्यवस्था में पर्याप्त अनुकूलन क्षमता है। नए मध्यस्थों, वैकल्पिक व्यापार केंद्रों और लचीली रूटिंग की रणनीति से कच्चे तेल का प्रवाह लचीला बना हुआ है।
पिछले सप्ताह भारत यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आश्वासन दिया था कि मास्को नई दिल्ली को ईंधन की निर्बाध आपूर्ति के लिए तैयार है।
केप्लर में रिफाइनिंग और मॉडलिंग के प्रमुख अनुसंधान विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा, ‘अगर रूस के तेल की आपूर्ति तीसरे पक्ष की कारोबारी इकाइयों द्वारा की जाती है और वे विश्वसनीय रूप से दिखा सकती हैं कि वे रोसनेफ्ट /लुकोइल नहीं हैं, तो वे प्रतिबंधों के बावजूद रिफाइनर (चीन/भारत में) रियायती आपूर्ति कर सकती हैं।’
रितोलिया ने कहा कि जब तक व्यापक द्वितीयक प्रतिबंध नहीं लगाए जाते हैं, तब तक गैर प्रतिबंधित रूसी आपूर्तिकर्ताओं से भारत में तेल खरीद जारी रहने की उम्मीद है।
मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज रूसी कच्चे तेल की भारत की सबसे बड़ी खरीदार है। कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि उसने गुजरात के जामनगर में कंपनी की निर्यात केंद्रित विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) रिफाइनरी में रूसी तेल का आयात बंद कर दिया है। आरआईएल ने रोसनेफ्ट से लगभग 500,000 बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल खरीदने का दीर्घकालिक अनुबंध किया था।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (एचएमईएल) ने भी प्रतिबंधों के बाद रूसी तेल की खरीद को निलंबित कर दिया है। भारत की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करने के लिए सहमत हो गई है। निजी कंपनियों के विपरीत आईओसी, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) सहित राज्य के स्वामित्व वाली भारतीय रिफाइनर व्यापारियों के माध्यम से रूसी तेल खरीदते हैं।
एक सरकारी रिफाइनरी के अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी फिलहाल ‘सीमित आधार पर’ रूस से कच्चा तेल खरीद रही है। कंपनी सुनिश्चित कर रही है कि पूरी आपूर्ति श्रृंखला प्रतिबंध के दायरे से बाहर हो। रूस द्वारा छूट दोगुनी करने के बावजूद नवीनतम प्रतिबंधों के बाद भारतीय रिफाइनर रूसी तेल खरीदने के प्रति सतर्क हैं।