बाजार 2026 में प्रवेश करने की तैयारी कर रहा है। बोफा ग्लोबल रिसर्च के भारत अनुसंधान प्रमुख अमीश शाह ने पुनीत वाधवा को ईमेल के जरिये दिए साक्षात्कार में कहा कि एआई से संबंधित पूंजीगत व्यय और मजबूत उपभोक्ता मांग के साथ-साथ फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में ढील देने के कारण अमेरिका में लगातार मजबूत आर्थिक वृद्धि के परिणाम मौजूदा स्तरों प पहले से ही मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्ष में स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों का प्रदर्शन कमजोर रहने की संभावना है। संपादित अंश:
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की कहानी में अभी भी कुछ जान बाकी है। उनका तर्क है कि तेजी का दौर तब खत्म होता है जब नकदी की कमी के साथ-साथ उच्च लिवरेज भी होता है, लेकिन हमारी वैश्विक शोध टीम के अगले साल फेड द्वारा तीन बार ब्याज दरों में कटौती, डॉलर के कमजोर होने और एआई संपत्तियों की उच्च मांग को देखते हुए ये दोनों ही स्थितियां असंभव लगती हैं।
वैश्विक बाजार का परिदृश्य (अमेरिका को छोड़कर) मिलाजुला नजर आ रहा है। हमारी वैश्विक टीम का मानना है कि एसऐंडपी कैलेंडर वर्ष 2026 में महज 5 फीसदी की बढ़त दर्ज कर सकता है। हालांकि लैटिन अमेरिका नीतिगत सहजता आदि के कारण बढ़त जारी रख सकता है। जापान को इक्विटी पर ऊंचे रिटर्न का फायदा मिल सकता है क्योंकि कंपनियों में सुधार से इसे सहारा मिलेगा।
चीन के शेयर महंगे होते जा रहे हैं और तीसरी तिमाही के नतीजों में गिरावट देखी गई है। यूरोपीय शेयरों को कमजोर आय अनुमानों, उच्च जोखिम प्रीमियम और जीडीपी में नरमी के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक पुनर्संतुलन और डॉलर के कमजोर होने से अमेरिका के बाहर बाजार में मौके मिल सकते हैं।
2026 के लिए आर्थिक नीतियां मुख्य रूप से केंद्र में रहेंगी। अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों का परिणाम भी एक महत्वपूर्ण कारक होगा, जिस पर नजर रखी जाएगी। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से संबंधित पूंजीगत व्यय और मजबूत उपभोक्ता मांग के साथ-साथ फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में ढील दिए जाने के कारण अमेरिका में लगातार मजबूत आर्थिक विकास की उम्मीदें लगभग पहले से ही बाजार में बनी हुई हैं। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से जुड़े शेयरों के मूल्यांकन पर लगातार बहस जारी रहेगी। हमारा मानना है कि निफ्टी 2026 में एसऐंडपी से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
रुपये के अवमूल्यन और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी की चिंताओं के कारण निकट भविष्य में बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है। कैलेंडर वर्ष 2026 के लिए हमारा अनुमान है कि निफ्टी मौजूदा स्तरों से करीब 12 फीसदी रिटर्न देगा। निफ्टी एक साल आगे की आय के 21 गुना पर ट्रेड कर रहा है। पिछले दो दशकों के हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि निफ्टी केवल मजबूत आय वृद्धि/अपग्रेड के समय ही उच्च मूल्यांकन बनाए रखता है, जो अगले साल संभव नहीं है। मूल्यांकन में विस्तार की गुंजाइश न होने के कारण निफ्टी का रिटर्न इसकी आय वृद्धि को प्रतिबिंबित करेगा।
घरेलू म्युचुअल फंडों में निरंतर निवेश से इक्विटी जारी करने के लिए नकदी और आकर्षक मूल्यांकन के कारण प्राथमिक बाजार मज़बूत बने रह सकते हैं। हालांकि प्राथमिक बाजारों में मज़बूत गतिविधि के बावजूद अगर 2025 में अब तक दर्ज किए गए 17 अरब डॉलर के विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी में उलटफेर होता है तो 2026 में द्वितीयक बाजारों को समर्थन देने के लिए पर्याप्त निवेश देखा जा सकता है। एफआईआई की निकासी में उलटफेर हो सकता है क्योंकि आमतौर पर कमजोर अमेरिकी डॉलर और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती उभरते बाजारों (ईएम) में निवेश के लिहाज से सकारात्मक कारक हैं।
हम ब्याज दर के प्रति संवेदनशील घरेलू चक्रीय शेयरों जैसे वित्तीय क्षेत्र, रियल एस्टेट, यात्री/वाणिज्यिक वाहन और विनियमित बिजली कंपनियों को तरजीह देते हैं। संपन्न वर्ग के उपभोक्ता बास्केट का प्रदर्शन सामान्य उपभोक्ता वर्ग से बेहतर हो सकता है। वैश्विक स्तर पर फार्मा और एल्युमीनियम को प्राथमिकता दी जाती है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), इस्पात और ऊर्जा में हमारा निवेश कम है। इसके अलावा हम दूरसंचार और अस्पताल जैसे रक्षात्मक शेयरों को प्राथमिकता देते हैं। सीमित राजकोषीय संसाधनों को देखते हुए सरकारी पूंजीगत व्यय की अगुआई में पूंजीगत खर्च में वृद्धि खासी नरम रह सकती है। इसलिए इंडस्ट्रियल्स और सीमेंट क्षेत्रों में हमारा निवेश कम है।
मिड व स्मॉलकैप सेगमेंट को लेकर हमारा रुख मंदी का है और उम्मीद है कि 2025 में देखा गया उनका खराब प्रदर्शन 2026 में भी जारी रहेगा। हालांकि गिरावट के बाद अब हमें मिड व स्मॉलकैप के भीतर वित्तीय, आईटी, रसायन, आभूषण, टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं और होटल से जुड़े क्षेत्रों में कुछ मौके दिखाई देते हैं।