एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने नवंबर 2025 के Mutual Funds आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के बाद ब्रोकरेज फर्म नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने म्युचुअल फंड सेक्टर को लेकर अच्छा नजरिया रखा है। नुवामा ने HDFC AMC के लिए ₹3,510, निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट के लिए ₹1,090 और KFin टेक्नोलॉजीज के लिए ₹1,480 का टारगेट प्राइस तय किया है। ब्रोकरेज का कहना है कि इंडस्ट्री में फंड फ्लो सुधर रहे हैं और एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
नुवामा के अनुसार, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए निवेश नवंबर में भी लगभग रिकॉर्ड स्तर पर बना रहा। इस महीने SIP से करीब ₹29,445 करोड़ आए, जिसमें सिर्फ हल्की सी गिरावट देखी गई। FY26 की शुरुआत से अब तक SIP के जरिए एक्टिव इक्विटी फंड्स में कुल ₹2.3 ट्रिलियन का शुद्ध निवेश हुआ है। इससे साफ होता है कि रिटेल निवेशकों का नियमित निवेश म्युचुअल फंड इंडस्ट्री को अब भी मजबूत सहारा दे रहा है।
ब्रोकरेज के मुताबिक, नवंबर में लंप-सम निवेश में अच्छा सुधार देखने को मिला। इस महीने लंप-सम इनफ्लो बढ़कर ₹9,880 करोड़ पहुंच गया। SIP से लगातार आ रहे निवेश और लंप-सम निवेश में आई तेजी की वजह से एक्टिव इक्विटी फंड्स में कुल निवेश बेहतर रहा। हालांकि, नुवामा का कहना है कि मौजूदा निवेश स्तर अभी भी इस साइकल के शुरुआती दौर के मुकाबले कमजोर ही है।
नवंबर में मौजूदा स्कीम्स के जरिए एक्टिव इक्विटी फंड्स में ₹36,700 करोड़ का निवेश आया, जबकि नई फंड ऑफर यानी NFO से ₹2,700 करोड़ जुटाए गए। मौजूदा स्कीम्स में निवेश महीने-दर-महीने 32.2 फीसदी बढ़ा, जबकि NFO के जरिए आने वाले निवेश में 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
नवंबर में शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली, जिसका सीधा असर Mutual Funds इंडस्ट्री पर पड़ा। इस दौरान निफ्टी 50 में महीने-दर-महीने 1.9 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। बाजार की इस तेजी से एक्टिव इक्विटी फंड्स का AUM 1.5 फीसदी बढ़कर ₹44.4 ट्रिलियन हो गया। FY26 की शुरुआत से अब तक एक्टिव इक्विटी फंड्स में कुल ₹2.9 ट्रिलियन का शुद्ध निवेश हुआ है, जो शुरुआती AUM का करीब 8 फीसदी है।
नवंबर में निवेशकों का ज्यादा रुझान डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स की ओर रहा। लार्ज और मिडकैप, फ्लेक्सी-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स में सबसे अधिक निवेश देखने को मिला। इसके अलावा थीमैटिक फंड्स में भी सीमित लेकिन अच्छा निवेश दर्ज किया गया। नुवामा का कहना है कि डायवर्सिफाइड फंड्स में लगातार निवेश एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के लिए अच्छा संकेत देता है, क्योंकि इससे एक बार आने वाले NFO निवेश पर निर्भरता घटती है और निवेश की मांग लंबे समय तक बनी रहती है।