उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने 17 अक्टूबर को इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर सड़क कर छूट की पांच साल के लिए और बढ़ा दिया था। मगर सभी को चौंकाते हुए स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन कमीशन (एसटीसी) ने गुरुवार को परिवहन विभाग के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों को दी गई छूट की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई। सरकारी अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।
इस अचानक पुनर्विचार ने उद्योग जगत को सांसत में डाल दिया है। इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली प्रमुख कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि वे काफी चिंतित हो गए हैं। उन्होंने आगाह किया कि ऐसे नीतिगत पलटाव उस सेक्टर को कमजोर कर सकते हैं, जो अब भी राज्य में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहा है।
संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा कार बाजार है, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के मामले में फिलहाल आठवें स्थान पर है। एक वरिष्ठ उद्योग अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री धीमी हो गई है, क्योंकि सरकार ने जुलाई 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों पर सड़क कर पर छूट को बढ़ा दिया था, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों की दिलचस्पी घटी। मगर परिवहन विभाग ने 17 अक्टूबर को जारी अपने आदेश में इस सूची से स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों को बाहर कर सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को छूट दी है।
अधिकारियों ने बताया कि स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड को इसलिए बाहर रखा गया है क्योंकि सरकार ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और शून्य-उत्सर्जन भविष्य की दिशा में एक कदम के रूप में इलेक्ट्रिक कारों के घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता देना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जीएसटी परिषद के नक्शेकदम पर चलते हुए सितंबर में कर दरों में की गई कमी के बाद ईवी को 5 प्रतिशत के दायरे में रखा जबकि अन्य सभी कारों को उच्च कर श्रेणियों में रखा। इससे यह पता चलता है कि प्रोत्साहन मुख्य रूप से ईवी को ही मिलना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि नवंबर के वाहन पंजीकरण आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में देश में सबसे आगे रहा। वहां 2,116 गाड़ियां बिकीं। इसके बाद कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और राजस्थान क्रमशः दूसरे से सातवें स्थान पर रहे।