बंबई उच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका (पीआईएल) में मांग की गई है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को निर्देश दिए जाएं कि उसने निवेशक जागरूकता और सुरक्षा उपायों के तहत ‘भ्रामक’और ‘गुमराह’ करने वाले विज्ञापन अभियानों के लिए एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) को जो अनुमति दी है, उसे रद्द कर दे।
याची पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है। उसने आरोप लगाया है कि एम्फी ‘बिना किसी आधार या तर्क के लापरवाही से यह प्रचार कर रहा है कि म्युचुअल फंड सही हैं।’ याची ने आरोप लगाया है, ‘विज्ञापन अभियान पूरी तरह से निराधार, लापरवाह, झूठे, आधारहीन और गुमराह करने वाले हैं, जिनमें सकारात्मक फीचर्स पर तोड़-मरोड़कर जोर दिया गया है।’
एम्फी के विज्ञापनों की तुलना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और खुद सेबी जैसी अन्य संस्थाओं के विज्ञापनों से करते हुए याची ने तर्क दिया है कि उपर्युक्त विज्ञापन किसी भी कारोबार को बढ़ावा नहीं देते हैं, उनका कोई वाणिज्यिक उद्देश्य नहीं है। वे पूरी तरह सार्वजनिक भलाई के लिए हैं।
याचिका में कहा गया है, ‘एम्फी द्वारा प्रचारित विज्ञापन अभियानों में निवेशक शिक्षा या जागरूकता जैसा कोई भी तत्व नहीं है। ये विज्ञापन अभियान म्युचुअल फंड की विशेषताओं और फीचर्स, इनकी सीमाओं/बाधाओं आदि के बारे में प्रकाश नहीं डालते या उल्लेख नहीं करते, बल्कि बिना किसी आधार या गुणवत्ता के केवल इस बात का जोरदार समर्थन करते और राय देते हैं कि म्युचुअल फंड सही हैं, महज एक छोटे से डिस्क्लेमर के साथ।’
याची ने कहा कि इस तरह के विज्ञापन वाणिज्यिक प्रकृति के हैं और इनका उद्देश्य केवल एम्फी के सदस्यों को लाभ पहुंचाना है, न कि निवेशकों की सुरक्षा की ज्यादा परवाह करना। कानून के जानकारों का कहना है हाई कोर्ट ने इस मामले में बाजार नियामक को नोटिस भेजा है।