RBI MPC Meeting: आरबीआई की तीन दिन चलने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आज से शुरू हो रही है। यह बैठक 3 से 5 दिसंबर 2025 तक होगी। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति इस बैठक बैठक में मुख्य चर्चा का मुद्दा होगा- क्या रीपो दर में बदलाव किया जाएगा, जिससे होम लोन और अन्य कर्जों की EMI पर असर पड़े।
एसबीआई रिसर्च के मुताबिक, जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP वृद्धि 8.2% रही और आर्थिक हालात मजबूत हैं। इन कारणों से केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो दर में कटौती की बजाय स्थिर रखने की संभावना अधिक बताई जा रही है।
फरवरी 2025 में 0.25% कटौती
अप्रैल 2025 में 0.25% कटौती
जून 2025 में 0.50% कटौती
अगस्त और अक्टूबर में कोई बदलाव नहीं किया गया।
यह भी पढ़ें: RBI MPC Meeting: क्या RBI देगा 25bps की कटौती? आपके लोन और EMI पर होगा सीधा असर, जानिए एक्सपर्ट्स की राय
अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर 2025 में होने वाली RBI की मौद्रिक नीति बैठक में दरों में कटौती या यथास्थिति बनाए रखने का सवाल मुख्य रहेगा।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयरएज के अनुसार, मुद्रास्फीति 0.3% पर आकर दस साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है, जबकि RBI का लक्ष्य 4% है। कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता और रबी की अच्छी फसल मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखेंगी। इसलिए, दिसंबर में 0.25% कटौती की संभावना भी बनी हुई है।
ICICI बैंक के अनुसार, इस साल खुदरा मुद्रास्फीति कम होने और निर्यात में चुनौतियों के बावजूद, मजबूत आर्थिक वृद्धि, कमजोर रुपये और उच्च क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात के कारण दरों को यथास्थिति पर रखना ज्यादा उचित माना जा रहा है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री अदिती गुप्ता के मुताबिक, Q2 FY26 में GDP वृद्धि 8.2% रही और शहरी तथा ग्रामीण खपत में सुधार देखा गया। CPI मुद्रास्फीति 0.25% तक कम हुई है, जबकि कोर मुद्रास्फीति 4% से ऊपर बनी हुई है। इसका मुख्य कारण सोने और GST में कटौती है, जो मांग आधारित नहीं है। ऐसे में दरों में कटौती की गुंजाइश होने के बावजूद RBI फिलहाल सतर्क रहने की नीति अपनाएगा।
वहीं, कृष्णा ग्रुप और क्रिसुमी कॉर्पोरेशन के चेयरमैन अशोक कपूर का मानना है कि मुद्रास्फीति कम होने के कारण RBI 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है। इससे हाउसिंग और उससे जुड़े सेक्टरों को लाभ मिलेगा और मौजूदा आर्थिक वृद्धि और मजबूत होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल दरें यथास्थिति पर रखकर आर्थिक संकेतकों और मुद्रास्फीति के रुझानों को समझना बेहतर होगा, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर उचित कदम उठाए जा सकें।
रीपो दर घटती है तो बैंक लोन सस्ते कर सकते हैं, जिससे EMI में राहत मिलेगी।
यदि दर स्थिर रहती है तो मौजूदा ब्याज दरें बनी रहेंगी और EMI पर तुरंत फर्क नहीं आएगा।
RBI की यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मुद्रास्फीति बहुत कम है और GDP भी मजबूत है। MPC का फैसला सीधे कर्ज की कीमतों और आम लोगों की EMI पर असर डालेगा।