भारतीय रिजर्व बैंक की उदारीकृत धनप्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत विदेश में भेजा गया धन जुलाई 2024 में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16.7 प्रतिशत बढ़कर 2.75 अरब डॉलर हो गया। पिछले साल जुलाई में 2.36 अरब डॉलर भेजा गया था। इस बढ़ोतरी की वजह अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर खर्च में वृद्धि है।
एलआरएस योजना 2004 में शुरू की गई थी। इसके तहत कोई व्यक्ति एक वित्त वर्ष में किसी भी अनुमति प्राप्त चालू या पूंजी खाते के लेन देन से या दोनों खातों से मिलाकर बगैर किसी शुल्क के 2,50,000 डॉलर तक विदेश भेज सकता है।
शुरुआती चरण में इस योजना के तहत 25,000 डॉलर तक भेजने की छूट थी, जिसे धीरे धीरे बढ़ाया गया।
विदेश भेजे जाने वाले धन में अंतरराष्ट्रीय यात्रा सबसे बड़ा सेग्मेंट है, जिसकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है। इसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 17.08 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह जुलाई 2023 के 1.42 अरब डॉलर की तुलना में बढ़कर 1.66 अरब डॉलर हो गया है।
इसी तरह से निकट संबंधियों की देखरेख के लिए भेजा गया धन 19.5 प्रतिशत बढ़कर 33.74 करोड़ डॉलर हो गया है। वहीं उपहार की श्रेणी में आने वाला धनप्रेषण पिछले साल की तुलना में 41 प्रतिशत बढ़कर 27.526 करोड़ डॉलर हो गया है।
इक्विटी और डेट योजनाओं में निवेश 108 प्रतिशत बढ़कर 12.086 करोड़ डॉलर हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 5.806 करोड़ डॉलर था।
वहीं विदेश में पढ़ाई के लिए धनप्रेषण मामूली बढ़कर 27.216 करोड़ डॉलर हुआ है। अचल संपत्तियों की खरीद के लिए भेजा गया धन करीब 65 प्रतिशत बढ़कर 2.454 करोड़ डॉलर हो गया है।
वहीं दूसरी ओर जमा करने के लिए भेजा गया धन सालाना आधार पर 16.8 प्रतिशत घटकर 4.168 करोड़ डॉलर रह गया है।
पिछले महीने की तुलना एलआरएस योजना के तहत धन प्रेषण 26.22 प्रतिशत बढ़ा है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में धनप्रेषण 24.39 प्रतिशत घटकर 6.9 अरब डॉलर रह गया है।