न्यूयॉर्क में चल रही संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने विश्व व्यापार और वैश्विक शांति के लिए कई अहम मुद्दों पर बात की। जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया में बढ़ती संरक्षणवादी नीतियां, टैरिफ में उतार-चढ़ाव और गैर-टैरिफ बाधाएं व्यापार को प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में ब्रिक्स को बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था की रक्षा करनी चाहिए।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि जब दुनिया में बहुपक्षीय व्यवस्था दबाव में है, तब ब्रिक्स ने तर्कसंगत और रचनात्मक बदलाव की मजबूत आवाज बनकर उभरने का काम किया है। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि ब्रिक्स को शांति, संवाद, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने का संदेश और मजबूत करना चाहिए। उनकी यह टिप्पणी हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने और रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25 फीसदी जुर्माने के बाद आई है।
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जयशंकर ने ब्रिक्स देशों से संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख संस्थाओं, खासकर सुरक्षा परिषद (UNSC) में व्यापक सुधार की मांग को और बुलंद करने की अपील की। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी और नवाचार ब्रिक्स के अगले चरण के सहयोग को नई दिशा देंगे। भारत 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा। इस दौरान भारत का ध्यान खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल बदलाव, स्टार्टअप्स, नवाचार और सतत विकास पर होगा।
विदेश मंत्री ने इस मौके पर सिएरा लियोन, रोमानिया, क्यूबा, ऑस्ट्रिया, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, रूस, उरुग्वे, कोलंबिया और एंटीगुआ-बारबुडा जैसे देशों के मंत्रियों से भी मुलाकात की। यूएई के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान के साथ उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की। ऑस्ट्रिया की विदेश मंत्री बीट मीनल-राइजिंगर के साथ उन्होंने भारत और यूरोप के सामने मौजूदा भू-राजनीतिक हालात और विकल्पों पर बात की।
जयशंकर ने भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (IBSA) मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा लिया। इस दौरान IBSA ने UNSC में बदलाव की जोरदार मांग उठाई। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ उनकी बातचीत में द्विपक्षीय रिश्तों, यूक्रेन संकट और पश्चिम एशिया के हालात पर चर्चा हुई।
जयशंकर ने कोलंबिया के विदेश मंत्री के साथ भारत-CELAC विदेश मंत्रियों की बैठक की सह-अध्यक्षता भी की। इस बैठक में कृषि, व्यापार, स्वास्थ्य, डिजिटल क्षेत्र, आपदा प्रबंधन और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। साथ ही, AI, टेक्नोलॉजी, महत्वपूर्ण खनिज, अंतरिक्ष और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावनाएं तलाशने का फैसला हुआ। भारत और CELAC ने ग्लोबल साउथ की आवाज को और मजबूत करने के लिए बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की जरूरत पर भी बल दिया।