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हांगकांग-सिंगापुर में बढ़ा Covid-19 का खतरा, भारत में भी मिले 58 नए केस; एक्सपर्ट्स ने घबराने के बजाय सतर्क रहने की दी सलाह

भारत में पिछले सप्ताह आए 58 नए मामलों में से 85%से ज्यादा (यानी कुल 46 मामले) सिर्फ तीन राज्यों—तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी—से सामने आए हैं।

Last Updated- May 18, 2025 | 7:22 PM IST
Covid 19

हांगकांग, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे कई एशियाई देशों में पिछले एक सप्ताह के दौरान कोविड-19 के मामलों में अचानक तेजी आई है। इसके बाद, भारत में भी संक्रमण के कुछ नए मामले दर्ज किए गए हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के कोविड डैशबोर्ड के मुताबिक, देश में पिछले एक हफ्ते में 58 नए मरीज सामने आए हैं, जिससे एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 93 हो गई है। चिंता की बात यह है कि यह बढ़ोतरी ऐसे वक्त में हुई है जब देश में कोविड-19 टेस्टिंग का स्तर काफी कम है। कई मरीजों में वायरल फीवर और कोविड जैसे लक्षण पाए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें कोरोना जांच की सलाह नहीं दी जा रही। हालात को देखते हुए डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स ने लोगों से घबराने के बजाय सतर्क रहने की अपील की है।

स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े एक सूत्र ने कहा, “हालांकि फिलहाल केस कम हैं और घबराने की कोई जरूरत नहीं है, फिर भी केंद्र और राज्य सरकारें सतर्क हैं। अभी किसी नई गाइडलाइन या योजना लाने की कोई तैयारी नहीं है।”

हांगकांग और सिंगापुर में तेजी से बढ़े कोविड के मामले

सतर्कता का यह स्तर एशिया के कई देशों, खासकर हांगकांग और सिंगापुर में कोविड-19 के एक अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन के बढ़ते मामलों के बाद देखा जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिंगापुर में मई के पहले हफ्ते में अनुमानित कोविड मामलों में 28% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह आंकड़ा 14,200 तक पहुंच गया। इसी तरह, हांगकांग में 10 मई को खत्म हुए सप्ताह में वायरस की पुष्टि करने वाले रेस्पिरेटरी सैंपल्स की दर 13.66% हो गई, जो चार हफ्ते पहले 6.21% थी।

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तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी से सामने आए कोविड के मामले

संयुक्त राष्ट्र की कोविड-19 टास्क फोर्स की स्ट्रैटेजिस्ट और पब्लिक हेल्थ व हेल्थकेयर सर्विसेज की सलाहकार सबाइन कापसी (Sabine Kapasi) ने कहा कि भारत में कोविड-19 की स्थिति फिलहाल स्थिर है और सक्रिय मामलों की संख्या कम बनी हुई है। उन्होंने कहा, “केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य अपने यहां ज्यादा मामले होने के कारण ज्यादा टेस्टिंग कर रहे हैं।”

कोविड-19 डैशबोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले सप्ताह आए 58 नए मामलों में से 85%से ज्यादा (यानी कुल 46 मामले) सिर्फ तीन राज्यों—तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी—से सामने आए हैं।

वायरल सीजन में होने वाली सामान्य बढ़ोतरी

गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के कंसल्टेंट डॉ. तुषार तायल ने इसे वायरल सीजन में होने वाली सामान्य बढ़ोतरी बताया है। उन्होंने कहा कि भारत में कोविड के नए मामले बहुत कम आ रहे हैं और रोजाना के आंकड़े भी काफी नीचे हैं।

उन्होंने बताया, “फिलहाल सिर्फ 5% एक्टिव कोविड मामलों में ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है जबकि 2021 की दूसरी लहर के दौरान यह आंकड़ा 20 से 23% तक था।” उनका कहना है कि कोविड-19 जैसे लक्षणों से परेशान कई मरीजों को टेस्ट कराने की सलाह ही नहीं दी जा रही है।

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कोविड जैसे लक्षण फिर भी टेस्ट नहीं करवा रहे डॉक्टर

चेन्नई निवासी संपत (बदला हुआ नाम) ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, “मेरे और मेरे परिवार के दो दिनों के भीतर एक साथ वायरल फीवर से बीमार पड़ने के बावजूद डॉक्टरों ने हमें कोविड टेस्ट कराने से मना कर दिया। मैंने जब इस बारे में पूछा तो मेरी बात को नजरअंदाज कर दिया गया।”

उन्होंने आगे बताया कि उनके परिवार के सदस्यों को बहुत तेज बुखार, तेज बदन दर्द और संभवतः ब्रेन फॉग जैसे लक्षण हो रहे हैं, लेकिन डॉक्टर इसे “नया वायरल फीवर” मान रहे हैं। संपत ने कहा, “मैं पहले दो बार कोविड से संक्रमित हो चुका हूं, लेकिन इस बार की स्थिति पहले से ज्यादा खराब लग रही है। फर्क बस इतना है कि इस बार हमें कोई डर नहीं है और डॉक्टर भी इसे लेकर चिंतित नहीं हैं।”

सर्जरी से पहले कोविड टेस्ट अब अनिवार्य नहीं

मेडिकल एक्सपर्ट्स ने माना है कि अब सामान्य सर्जरी या अन्य प्रक्रियाओं से पहले अनिवार्य कोविड टेस्टिंग को काफी हद तक हटा दिया गया है। सर्जरी से पहले के प्रोटोकॉल को लेकर तायल ने बताया कि अस्पताल अब भी कोविड-19 के लक्षणों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं। हालांकि, सामान्य तौर पर सर्जरी या प्रक्रियाओं से पहले अनिवार्य टेस्टिंग अब सिर्फ हाई-रिस्क मरीजों या कुछ विशेष अस्पतालों की पॉलिसियों तक सीमित रह गई है।

तायल ने यह भी कहा कि हर हेल्थकेयर सेंटर की गाइडलाइन अलग हो सकती है, इसलिए वहां की मौजूदा पॉलिसी की जानकारी लेना जरूरी है। टेस्टिंग रेट राज्यों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है, जो अक्सर वहां की आबादी और स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे पर निर्भर करती है।

फिलहाल सिंगापुर में जो SARS-CoV-2 वेरिएंट्स फैल रहे हैं, वे LF.7 और NB.1.8 हैं। ये दोनों JN.1 वेरिएंट (Omicron) की अगली पीढ़ी के रूप में माने जा रहे हैं।

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कोविड वेरिएंट नया मगर लक्षण पुराने

मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर संदीप बुद्धिराजा ने नए वेरिएंट को लेकर कहा कि इन देशों में जो नए मामले सामने आ रहे हैं, वे JN.1 के सब-वेरिएंट्स के कारण हो रहे हैं। JN.1 वही वेरिएंट है जो पिछली कोविड लहर के दौरान अमेरिका और भारत समेत कई देशों में प्रमुख था। उन्होंने कहा, “हमें पहले से पता है कि ओमिक्रॉन परिवार के वेरिएंट्स (जैसे JN.1) कैसे काम करते हैं। ये काफी तेजी से फैलते हैं, लेकिन अधिकतर लोगों में कोई गंभीर बीमारी नहीं करते।”

कापसी ने बताया कि हांगकांग और सिंगापुर में पाया गया नया वेरिएंट लक्षणों के मामले में पहले के वेरिएंट्स जैसा ही है। इनमें बुखार, खांसी और थकान जैसे लक्षण शामिल हैं। उन्होंने कहा, “इसकी गंभीरता व्यक्ति की सेहत पर निर्भर करती है।”

तायल ने बताया कि ओमिक्रॉन परिवार से जुड़े इस सब-वेरिएंट के लक्षणों में रेस्पिरेटरी प्रभाव के अलावा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं जैसे मतली और दस्त भी देखी जा रही हैं। साथ ही ब्रेन फॉग जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी सामने आ रहे हैं।

भारत में संभावित मामलों में बढ़ोतरी से निपटने के लिए डॉ. बुद्धिराजा ने कहा कि जिन मामलों में संदेह हो, खासकर यात्रियों में, उन्हें जीनोमिक सर्विलांस के तहत टेस्ट किया जाना चाहिए और उसके बाद संबंधित व्यक्ति को आइसोलेट किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस समय इसके अलावा आम लोगों के लिए किसी बड़े स्तर की कोई विशेष सलाह देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत में अभी तक मामलों में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं देखी गई है।”

(अंजली सिंह के इनपुट के साथ)

First Published - May 18, 2025 | 7:22 PM IST

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