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MFI सेक्टर में 4.5 करोड़ खातों की कमी से बढ़ी चिंता, DFS सचिव ने कहा: यह आत्ममंथन का समय

एमएफआई सेक्टर में समेकन पर जोर देते हुए नागराजू ने कहा कि सितंबर तक ऋण खातों की संख्या में 4.5 करोड़ की कमी आई है

Last Updated- November 13, 2025 | 9:21 PM IST
M Nagaraju, secretary, Department of Financial Services
वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम नागराजू | फाइल फोटो

वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम नागराजू ने गुरुवार को कहा कि पिछले वर्ष के दौरान ऋण खातों की संख्या में गिरावट और बकाया राशि में कमी माइक्रो फाइनैंस संस्थानों (एमएफआई) के लिए चिंता और तनाव का कारण है और इस क्षेत्र को इस मसले पर आत्मनिरीक्षण की जरूरत है। डीएफएस सचिव माइक्रोफाइनैंस संस्थानों द्वारा वसूले जा रहे ब्याज दरों का मसला उठाया और कहा कि जरूरतमंद लोग ज्यादा ब्याज पर कर्ज ले सकते हैं, लेकिन यह संभव है कि वापस करने में सक्षम न हों।

नागराजू ने कहा, ‘मैंने ब्याज दरों की बहुत अधिक दरें देखीं, जो वास्तव में माइक्रोफाइनैंस संस्थानों के संगठनों में अक्षमता के कारण है।’ उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन के लिए ब्याज दर उचित स्तर पर रखना जरूरी है।

नागराजू ने इम्पैक्ट फाइनैंस इंस्टीट्यूशंस के एक संगठन सा-धन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम क्या गलत कर रहे हैं? क्या कुछ ऐसा है जिसे हम सुधार सकते हैं? क्या हमारे मॉडल आबादी के एक बड़े वर्ग के लिए सही और बेहतर हैं?’ एमएफआई सेक्टर में समेकन पर जोर देते हुए नागराजू ने कहा कि सितंबर तक ऋण खातों की संख्या में 4.5 करोड़ की कमी आई है।

उन्होंने कहा कि ऋण खातों में कुल बकाया राशि मार्च 2024 के 4.4 लाख करोड़ रुपये से घटकर सितंबर 2025 में 3.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है। उन्होंने कहा कि माइक्रोफाइनैंस सेक्टर आर्थिक और समावेशी विकास के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण स्तंभ बन गया है और इसे देश में वित्तीय समावेशन में सुधार पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में चल रही सरकारी योजनाओं के बावजूद अभी भी 30 से 35 करोड़ युवाओं को धन मुहैया कराने की जरूरत है। नागराजू ने कहा, ‘सरकार वित्तीय समावेशन और महिला सशक्तीकरण के लिए एमएफआई का समर्थन करना जारी रखेगी, लेकिन एमएफआई में अब जुनून और प्रतिबद्धता की कमी है। इस क्षेत्र को युवा पीढ़ी को आकर्षित करने की आवश्यकता है।’

एमएफआई को सामान्यतया बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से धन मिलता है। साथ ही वे बॉन्डों से भी धन जुटाते हैं।

मार्च 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में एमएफआई की फंडिंग में आधे से अधिक की गिरावट आई, जो घटकर 58,109 करोड़ रुपये रह गई। यह सालाना आधार पर 55.40 प्रतिशत की गिरावट है। केयरएज रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2026 को समाप्त होने वाले मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सालाना आधार पर एमएफआई की वृद्धि 4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

सम्मेलन के दौरान राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के चेयरमैन शाजी केवी ने कहा कि वे ग्रामीण क्रेडिट स्कोर के लिए एक मॉडल बनाने और छोटे एमएफआई  के साथ सहयोग करने पर काम कर रहे हैं।

First Published - November 13, 2025 | 9:19 PM IST

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