बैंकों का कृषि क्षेत्र में फंसे कर्ज का स्तर बढ़ा है। कई बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान कृषि क्षेत्र में अधिक चूक होने की सूचना दी है। कृषि क्षेत्र में कई बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) 5 प्रतिशत या इससे अधिक थी, वहीं कुछ बैंकों ने दो अंकों में एनपीए होने की जानकारी दी है। बैंकों के कृषि पोर्टफोलियो में दबाव की स्थिति ऐसे समय में बढ़ रही है, जब इस क्षेत्र में ऋण की मांग कम है और कुछ सरकारी बैंकों की कृषि क्षेत्र में सालाना वृद्धि घटकर एक अंक में रह गई है।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘प्राथमिकता वाले क्षेत्र की ऋण जरूरतों में कृषि ऋण अनिवार्य हैं। ऐसे में कर्ज अधिक देने की प्रवृत्ति होती है। खासकर छोटे व सीमांत किसानों को अधिक ऋण दिया जाता है, जो अक्सर कर्ज वापस करने में असफल होते हैं।’अधिकारी ने आगे कहा,‘इस दबाव के कारण कृषि क्षेत्र के ऋण पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके अलावा आमतौर पर कृषि ऋणों को राइट-ऑफ करना मुश्किल होता है।’
पुणे के बैंक ऑफ महाराष्ट्र का कृषि क्षेत्र का फंसा कर्ज पिछले साल जून में 2,512 करोड़ रुपये था, जो इस साल जून में बढ़कर इस साल 3,166 करोड़ रुपये हो गया है, जो कृषि ऋण का 9.65 प्रतिशत है। बैंक के कृषि ऋण में सालाना आधार पर महज 3 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, जबकि क्रमिक आधार पर ऋण में गिरावट आई है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब ऐंड सिंध बैंक ने भी पहली तिमाही में एनपीए अनुपात में वृद्धि की सूचना दी है। कोलकाता के यूको बैंक का कृषि क्षेत्र का फंसा कर्ज 10.81 प्रतिशत के बढ़े स्तर पर बना हुआ है, हालांकि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में इसमें गिरावट आई है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2024 के अंत तक कृषि क्षेत्र का सकल एनपीए अनुपात 6.2 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बना हुआ था। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कुल जीएनपीए में प्राथमिकता वाले क्षेत्र की हिस्सेदारी मार्च 2024 के आखिरमें बढ़कर 57.3 प्रतिशत हो गई, जो मार्च 2023 के आखिर में 51.1 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक के ट्रेंड और प्रोग्रेस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राथमिकता वाले क्षेत्र के एनपीए की वृद्धि में कृषि क्षेत्र में चूक की भूमिका सबसे अधिक रही है।
पहली तिमाही के नतीजे घोषित करने वाले कुछ बैंकों ने कृषि ऋण में सुस्त वृद्धि की सूचना दी है। केनरा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब ऐंड सिंध बैंक के कृषि ऋण में पहली तिमाही के दौरान करीब 3 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वहीं यूनियन बैंक का इस क्षेत्र में ऋण 9 प्रतिशत कम हुआ है।
केनरा बैंक के एमडी और सीईओ के सत्यनारायण राजू ने कहा, ‘किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) में कुछ संतृप्ति की स्थिति हो सकती है, क्योंकि हर कोई केसीसी की पेशकश कर रहा है।’
राजू ने कहा, ‘लेकिन ग्रामीण इलाकों में कर्ज लेने वाले नए लोग हमेशा मौजूद हैं और हमारी कुल शाखाओं में करीब 61 प्रतिशत ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में हैं। हमें संभवतः इस तरह की कोई समस्या नहीं होगी। निश्चित रूप से कृषि क्षेत्र में चूक होगी, लेकिन यह हमारी जोखिम क्षमता के भीतर रहेगी।’
बैंक ऑफ बड़ौदा उन बैंकों में शामिल है, जिसके कृषि ऋण में 16.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि इसका एनपीए अनुपात घटकर 4.85 प्रतिशत रह गया है, जो एक साल पहले 5.31 प्रतिशत था।
बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक और सीईओ देवदत्त चंद ने कहा, ‘कृषि ऋण में 16 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, साथ ही गैर निष्पादित संपत्ति कम हुई है। आगे भी कृषि क्षेत्र में ऋण वृद्धि 13 से 14 प्रतिशत बरकरार रहेगी।’
निजी बैंकों में एचडीएफसी बैंक की कृषि क्षेत्र में चूक सबसे ज्यादा रही है, जो करीब 2,200 करोड़ रुपये थी।