सरकार ने कर्मचारी नामांकन योजना 2025 लॉन्च की है, ताकि ज्यादा से ज्यादा भारतीय मजदूरों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के दायरे में लाया जा सके। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने इस योजना की घोषणा 1 नवंबर को की थी। यह कदम भारत के सामाजिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने और नियोक्ताओं (Employers) को स्वेच्छा से नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के मुताबिक, कर्मचारी नामांकन योजना-2025 एक एक बार का विशेष मौका है, जिसमें नियोक्ता (Employers) उन कर्मचारियों को स्वेच्छा से घोषित कर सकते हैं और दर्ज करा सकते हैं, जो पहले EPF कवरेज से बाहर रह गए थे।
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यह योजना एम्प्लॉयर्स के लिए अनुपालन (Compliance) आसान बनाती है और उन्हें कई तरह की राहत देती है।
EPFO ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो एम्प्लॉयर इस योजना का फायदा उठाएंगे, उनके खिलाफ उन कर्मचारियों के लिए अपने आप कोई अनुपालन कार्रवाई (suo motu action) नहीं की जाएगी, जो पहले ही नौकरी छोड़ चुके हैं।
सरकार का कहना है कि यह योजना “सबके लिए सामाजिक सुरक्षा” (Social Security for All) के लक्ष्य की दिशा में बड़ा कदम है। इससे लाखों कर्मचारी — खासकर छोटी कंपनियों या पहले से अनरजिस्टर्ड प्रतिष्ठानों में काम करने वाले — अब EPF के फायदे, जैसे रिटायरमेंट बचत, बीमा और पेंशन, हासिल कर सकेंगे।
मजदूरों को EPFO के ढांचे में शामिल करने से यह योजना कई तरह के सकारात्मक असर लाएगी:
योजना लॉन्च करते हुए मांडविया ने कहा, “EPFO सिर्फ एक फंड नहीं है, यह भारत की श्रमशक्ति का सामाजिक सुरक्षा पर भरोसा है।”
कर्मचारी नामांकन योजना 2025 नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए एक मौका है, जिससे वे भारत के बढ़ते सामाजिक सुरक्षा ढांचे से जुड़ सकें। सरकार का कहना है कि एक ऐसा सिस्टम जो हर मजदूर को सुरक्षित वित्तीय भविष्य का हक देने की दिशा में काम कर रहा है।