मॉरीशस, सिंगापुर और नीदरलैंड्स जैसे देशों से भारत की गैर-सूचीबद्ध स्टार्टअप में आने वाले विदेशी निवेश पर ऐंजल टैक्स लगेगा। सरकार ने ऐंजल टैक्स से संबंधित नियम की अधिसूचना जारी की है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी सहित 21 देशों से होने वाले निवेश को इसी साल 1 अप्रैल से लागू हुए ऐंजल टैक्स से छूट दी गई है।
मगर सिंगापुर, आयरलैंड, नीदरलैंड्स और मॉरीशस जैसे देशों को छूट वाली सूची में शामिल नहीं किया गया है, जबकि अधिकतर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) इन्हीं देशों के जरिये भारत आता है। मॉरीशस, सिंगापुर में निवेश इकाइयों के जरिये वैश्विक निवेशक भारत में दाखिल होते हैं और उन कंपनियों में निवेश करते हैं, जो यहां स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जो देश छूट वाली सूची में नहीं हैं, उनमें मौजूद विशेष उद्देश्य वाली इकाइयों (एसपीवी) को ऐंजल कर से छूट मिलेगी या नहीं।
शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी में पार्टनर गौरी पुरी ने कहा, ‘FPI, पेंशन फंड और व्यापक आधार वाले निवेश फंड समेत निवेशकों की कुछ निश्चित श्रेणियों को ही राहत दी गई है। मगर इन निवेशकों को भी देखना पड़ेगा कि ऐंजल टैक्स से छूट प्राप्त करने के लिए भारत में सीधे निवेश बेहतर है या एसपीवी के जरिये। सिंगापुर, नीदरलैंड्स और लक्जमबर्ग को शामिल नहीं किया जाना हैरत भरा है क्योंकि भारत में बड़ी संख्या में निवेश इन्हीं देशों के रास्ते आता है और ये प्रमुख वित्तीय केंद्र भी हैं।’
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पिछले शुक्रवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने सॉवरिन वेल्थ फंडों, पेंशन फंडों, बैंकों तथा बीमा फर्मों सहित कई विदेशी निवेशकों को ऐंजल कर से छूट का प्रस्ताव किया था। CBDT ने ऐंजल टैक्स के लिए अतिरिक्त मूल्यांकन के मानदंड भी तय किए हैं।
व्यापक आधार वाली और 50 या अधिक निवेशकों (हेज फंड छोड़कर) वाली निवेश इकाई को भी कर दायरे से बाहर रखा गया है। सीबीडीटी ने कहा कि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप में विदेशी निवेश पर यह टैक्स नहीं लगेगा। जिन विदेशी इकाइयों को इसके दायरे से बाहर नहीं रखा गया है, उन्हें निवेश पर ऐंजल टैक्स देना होगा। सीबीडीटी ने स्टार्टअप द्वारा निवेश के बदले शेयर जारी करने के 90 दिन के भीतर मर्चेंट बैंकर द्वारा किए गए मूल्यांकन को स्वीकार करने का भी प्रस्ताव दिया है।
नांगिया एंडरसन एलएलपी में पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा, ‘देशों की यह सूची इतनी स्पष्ट करने का मकसद उन देशों से भारत में ज्यादा विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित करना है, जहां का नियमन ढांचा मजबूत है। यह कदम बेहिसाब धन के प्रचलन को रोकने के लिए एफडीआई को ऐंजल टैक्स के दायरे में लाने के सरकार के शुरुआती इरादे के अनुरूप है।’
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ऐंजल टैक्स से छूट वाले देशों की सूची में ऑस्ट्रिया, कनाडा, चेक गणराज्य, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, इजरायल, इटली, आइसलैंड, जापान, कोरिया, रूस, नॉर्वे, न्यूजीलैंड और स्वीडन भी शामिल हैं।
आम बजट में उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग से मान्यताप्राप्त स्टार्टअप को छोड़कर गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में विदेशी निवेश को ऐंजल कर के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया गया था। ऐंजल टैक्स के लागू प्रावधानों से छूट का दावा करने वाले स्टार्टअप के लिए शर्तों के अनुसार उन्हें उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग के पास पंजीकृत होना चाहिए और चुकता पूंजी और शेयर प्रीमियम की सीमा 25 करोड़ रुपये हो।