वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि भारत विदेशी मुद्रा के मामले में अगले पांच-छह वर्षों तक संतोषजनक स्थिति में रहेगा। गोयल ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत है और यह अगले पांच-छह साल में खराब-से-खराब परिस्थितियों में देश की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए संतोषजनक स्थिति में है।’
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 12 मई को समाप्त हुए सप्ताह में करीब 600 अरब डॉलर के आंकड़े को छू गया था। गोयल ने कहा कि दुनिया के कई देश भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए उत्सुक हैं। भारत कनाडा, यूरोप मुक्त व्यापार एसोसिएशन (ईएफटीए) में सम्मिलित चार देशों आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकेंस्टाइन के अलावा ब्रिटेन, यूरोपीय संघ से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है।
यह विश्व व्यवस्था में भारत के बढ़ते महत्त्व का परिचायक है। उन्होंने बताया, ‘लिहाजा आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था में अधिशेष होगा। ये मुक्त व्यापार समझौते केवल इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाएंगे और अधिशेष का सृजन करेंगे। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूत मिलने में मदद मिलेगी।’
उन्होंने कहा कि मुक्त व्यापार समझौता द्विपक्षीय संबंध होता है। उन्होंने कहा, ‘मुझे बहुत दुख होता है जब कभी-कभी कहा जाता है कि मैं (उद्योग) यूरोपीय संघ के बाजार तक पहुंच चाहता हूं, लेकिन कृपया उन्हें इसकी अनुमति न दें।’ गोयल ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में बाधाएं आने के बावजूद वस्तुएं के 1 लाख करोड़ डॉलर के निर्यात और सेवाओं के 1 लाख करोड़ का लक्ष्य मुनासिब लगता है।
करीब एक दशक से कुल निर्यात करीब 500 अरब डॉलर के इर्द गिर्द था और यह बीते साल ही 676 अरब डॉलर पर पहुंच पाया। वित्त वर्ष 23 में कुल निर्यात 776 अरब डॉलर था। इसमें वस्तुओं का निर्यात 450 डॉलर था और सेवाओं का निर्यात 326 डॉलर था। उन्होंने कहा कि निर्यात बास्केट का विस्तार होने से भारत को अधिशेष बढ़ाने में मदद मिलेगी और घाटा कम होगा। उन्होंने कहा कि व्यापार को आपूर्ति श्रृंखला में भरोसेमंद साझेदार को ढूंढ़ना चाहिए। व्यापार को प्रतिस्पर्धी मुनाफे के साथ-साथ तकनीक प्राप्त करने और सहयोग की भावना से काम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।