भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत के लिए स्टेबलकॉइन्स के प्रति दृष्टिकोण सावधानी वाला और घरेलू अनिवार्यताओं के मुताबिक होना चाहिए, क्योंकि स्टेबलकॉइन्स मुद्रा और वित्त प्रणाली में विश्वास को कम कर सकते हैं।
मिंट एनुअल बीएफएसआई कॉन्क्लेव 2025 में बोलते हुए शंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्टेबल कॉइन किसी भी ऐसे उद्देश्य को पूरा नहीं करते हैं जिसे फिएट मनी द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता है। शंकर ने कहा, ‘हमने देखा है कि स्टेबलकॉइन्स में पैसे की बुनियादी विशेषताओं का अभाव है, उनके फायदे न तो अद्वितीय हैं और न ही विवादरहित हैं और उनके जोखिम बहुत वास्तविक हैं।’
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भारत को पहले से ही भुगतान परिदृश्य से लाभ मिल रहा है जो अत्यधिक कुशल, विश्वसनीय और मजबूत है। यूपीआई, आरटीजीएस, और एनईएफटी लाखों उपयोगकर्ताओं को तेज़, कम लागत वाली और सुरक्षित भुगतान की सुविधा प्रदान करते हैं, इसलिए जोखिमों पर विचार किए बगैर वित्तीय प्रणाली में स्टेबलकॉइन्स को एकीकृत करने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा, ‘भारत की व्यापक आर्थिक स्थिति और नीतियां बेहतर हैं, लेकिन स्टेबलकॉइन्स के लिए नीतिगत विकल्पों पर विचार करते समय घरेलू वजहों और जरूरतों पर निश्चित रूप से विचार करने की जरूरत है।’