रियल एस्टेट क्षेत्र में निजी इक्विटी निवेश (PE Investment) चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में सालाना आधार पर पांच फीसदी घटकर 1.9 अरब डॉलर रह गया है। रियल एस्टेट सलाहकार एनारॉक ने यह जानकारी देते हुए कहा कि ऊंची ब्याज दरों की वजह से निजी इक्विटी फ्लो में कमी आई है। इससे पिछले साल की समान तिमाही में रियल एस्टेट क्षेत्र में निजी इक्विटी निवेश दो अरब डॉलर रहा था।
एनारॉक ने ‘भारतीय रियल एस्टेट में पूंजी फ्लो पर-फ्लक्स 2023-24 की पहली तिमाही की निगरानी रिपोर्ट’ में कहा है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ऊंची ब्याज दरों की वजह से PE गतिविधियों में मामूली गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में PE फ्लो 1.4 अरब डॉलर रहा था। वहीं 2020-21 की पहली तिमाही में यह 20 करोड़ डॉलर और 2019-20 की पहली तिमाही में 1.7 अरब डॉलर रहा था।
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आंकड़ों के मुताबिक, PE Investment में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 94 फीसदी, जबकि घरेलू कोषों की हिस्सेदारी छह प्रतिशत रही। PE गतिविधियों में मुख्य रूप से इक्विटी का दबदबा रहा। कुल प्रवाह में इक्विटी निवेश का हिस्सा 94 फीसदी रहा। मई में ब्रुकफील्ड इंडिया रीट (बीआईआरईटी) और सिंगापुर की जीआईसी ने समान भागीदारी में भारत में 1.4 अरब डॉलर में दो वाणिज्यिक संपत्तियों के अधिग्रहण की घोषणा की थी।
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एनारॉक कैपिटल के प्रबंध निदेशक (MD) एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) शोभित अग्रवाल ने कहा, ‘इस सौदे को छोड़ दिया जाए, तो ऊंची ब्याज दरों तथा वैश्विक अनिश्चितताओं की वजह से PE गतिविधियों कमोबेश सुस्त रही हैं।’ अप्रैल-जून के दौरान रियल एस्टेट क्षेत्र में कुल PE निवेश में से 90 फीसदी कार्यालय संपत्तियों में आया। एक साल पहले समान अवधि में यह आंकड़ा 68 फीसदी रहा था।